महाराष्ट्र में अभी की सबसे बड़ी सियासी हलचल भरी खबर सामने आयी है कि दो दशकों बाद ठाकरे बंधु एक साथ चुनावी जाजम पर साथ आ रहे हैं. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने राज्य का राजनीतिक तापमान बढ़ाते हुए दावा किया कि शिवसेना और मनसे मिलकर महाराष्ट्र नगर पालिका चुनाव लड़ेंगे. इसके लिए शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी (MNS) के मुखिया राज ठाकरे एक साथ आएंगे. उन्होंने बताया कि दोनों के बीच सभी तरह के मतभेद समाप्त हो चुके हैं और ठाकरे बंधुओं ने महाराष्ट्र एवं मराठी एकता के लिए तलवार उठा ली है.
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गांधी-नेहरूवाद की ओर आ रहे मोदी
शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने एक मीडिया साक्षात्मकार में कहा कि मिस्टर मोदी ने स्वदेशी का नारा दिया, ये भी तो पंडित नेहरू का ही विजन है. महात्मा गांधी का विजन है. अब पंडित नेहरू और गांधी के विजन की याद आ गई. स्वदेशी का नारा भी कांग्रेस का ही नारा रहा है. अब कुछ दिन बाद आप गांधी टोपी पहनकर भाषण देंगे. उसके सिवा आपके पास कोई चारा नहीं है. ये देश आधुनिक बना है तो पंडित नेहरू की देन है. मैं मानता हूं कि मोदी धीरे-धीरे गांधीवाद और नेहरूवाद की तरफ जा रहे हैं.
बीजेपी तालिबानी प्रवृति की सरकार
राज्यसभा सांसद ने भारतीय जनता पार्टी की देवेंद्र फडणवीस सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि बीजेपी की सरकार तालिबानी प्रवृति की है. राउत ने आगे बताया कि हम मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और नासिक में एक साथ लड़ेंगे.
दूसरों के विजन को अपना बता रहे मोदी
संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पर निशाना साधा. स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से जनता के नाम पीएम के भाषण पर उन्होंने कहा, ‘आजादी के समय देश की स्थिति क्या थी. यहां एक सुई भी नहीं बनती थी. अब देश कहां से कहां पहुंच गया है. ये पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी का विजन है. ये अटल बिहारी वाजपेयी का विजन है. ये मनमोहन सिंह और राजीव गांधी का विजन है. इसी के चलते देश आज इस मुकाम पर है कि हम अंतरिक्ष में पहुंच चुके हैं. देश अगर आधुनिक बनता है तो ये अच्छी बात है.’
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महाराष्ट्र की राजनीति में शायद यह अब तक की सबसे बड़ा सियासी उबाल है. विधानसभा चुनाव के बाद मनसे और शिवसेना दोनों की राजनीतिक स्थितियां फिलहाल राज्य में ठीक नहीं है. ऐसे में दोनों पार्टियों को इसी साल के अंत में होने वाले निकाय चुनावों से बड़ी उम्मीदें हैं. अब देखना ये होगा कि ठाकरे बंधु मिलकर किस तरह से सत्ताधारी महायुति सरकार का सामना करते हैं. देखने वाली बात ये भी है कि ठाकरे परिवार का यह गुट महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बनता भी है या फिर नहीं.



























