Politalks.News/Punjab. केंद्र सरकार द्वारा भले ही तीनों कृषि कानून (Farmers law) वापस ले लिए गए हों, लेकिन इसे सियासी मारामारी अभी तक जारी है. राजनीतिक हलकों में ये साफ़ है कि बीजेपी (BJP) ने आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी हार के प्रतिबिम्ब को देखते हुए तीनों कानून वापस लिए हैं.अब जब तीनों कृषि कानून वापस ले ही लिए गए हैं तो राजनीतिक दल भी सियासी उधेड़बुन में लगे हैं. तो वहीं शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के बीजेपी के साथ जाने कि सभी अटकलों पर अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने विराम लगा दिया है. साथ ही सुखबीर सिंह बादल ने दलित को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाये जाने पर कांग्रेस (Congress) को भी जमकर आड़े हाथ लिया.
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानन वापस लिए जाने के बाद अब सुखबीर सिंह बादल का दर्द सामने आया है. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में सुखबीर बादल ने कहा कि ‘अगर बीजेपी ने पहले हमारी बात सुनी होती तो उन्हें यह सब झेलने की जरूरत नहीं पड़ती और किसान आंदोलन में मारे गए कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी.’
यह भी पढ़े: चन्नी ने ‘आप’ तो सिद्धू ने घेरा अपनी ही सरकार को- STF की रिपोर्ट नहीं खुली तो बैठूंगा भूख हड़ताल पर
तीनों कृषि कानून किस तरह लागू हुए और उस समय की स्थिति का जिक्र करते हुए बादल ने कहा कि ‘कृषि कानूनों को लेकर पहले दिन जब संसद में ये बिल लाए गए तभी से हमारा रुख स्पष्ट था. हमने कहा था कि ये कानून अव्यवहार्य हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने हमें बार-बार आश्वासन दिया कि वे इन कानूनों में बदलाव करेंगे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जिस दिन संसद में ये विधेयक लाए गए उस दिन भी मैंने भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात की थी और उनसे अनुरोध किया था कि इन्हें एक प्रवर समिति को भेजा जाए लेकिन उन्होंने मना कर दिया था जिसके बाद हम गठबंधन से बाहर चले गए.’ वहीं आगामी चुनाव से बीजेपी के साथ जाने कि सभी अटकलों को बादल ने सिरे से ख़ारिज कर दिया. बादल ने कहा कि ‘ऐसी स्थिति में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता.’
सुखबीर सिंह बादल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ‘जब इन कानूनों को पहली बार कैबिनेट में लाया गया था, तब हमने केंद्र सरकार को इस बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन दुर्भाग्य से मोदी सरकार ने सोचा कि वे अपना रास्ता आगे बढ़ा सकते हैं, और उन्होंने ऐसा किया. नतीजतन हमें बिना कुछ लिए ही संकट से गुजरना पड़ा. इसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है.’ वहीं तीनों कृषि कानून निरस्त करने के बाद पीएम मोदी की छवि में क्या बदलाव आया वाले सवाल पर बादल ने कहा कि ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, पहले आप किसी चीज को नष्ट करते हैं और बाद में माफी मांगते हैं, छवि तुरंत नहीं बदलती है.’
यह भी पढ़े: उपचुनाव की हार और बढ़ती दरार पर चिंतित आलाकमान, 5 दिसंबर को अमित शाह लेंगे सबकी क्लास
कांग्रेस पार्टी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए बादल ने कहा कि ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार कानून बनाने वाली समिति का हिस्सा थी और मनप्रीत सिंह बादल उनकी बैठकों में शामिल हुए थे. लेकिन ना तो कैप्टन ने और ना ही कांग्रेस ने कभी इसे लेकर शोर मचाया. उन्होंने लोगों को यह नहीं बताया कि ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं. मेरा मानना है कि यह एक आपराधिक कृत्य है और इसकी सबसे बड़ी अपराधी कांग्रेस पार्टी है. क्योंकि उन्होंने इन कानूनों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन कानूनों से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हमारी एक ही गलती है कि हम कैबिनेट में मौजूद रहे.’
पंजाब कांग्रेस की सियासी कलह के बाद दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाये जाने के सवाल पर सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि ‘आपकी पार्टी में जो भी सक्षम हो उसे मुख्यमंत्री बनना चाहिए, फिर चाहे वह जाट, दलित या हिंदू हो. चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस ने सिर्फ राजनीतिक खेल दिखाया है.’ बादल ने आगे कहा कि ‘कलह के दौरान उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री के तौर पर सुनील जाखड़ के नाम का प्रचार किया, लेकिन उन्हें हिंदू होने के कारण खारिज कर दिया गया. उनके बाद में नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई नाम सामने आए, लेकिन आखिर में उन्होंने दलित कार्ड खेला. यदि चरणजीत सिंह चन्नी सक्षम हैं तो उन्हें पहली पसंद होना चाहिए था.’ सुखबीर बादल ने कहा कि ‘मैं कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि आगामी चुनावों में चन्नी को अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करें.’