Politalks.News/Uttarpradesh. उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कमर कस ली है. भाजपा की ओर से भले इस बात का कितना भी प्रचार किया जा रहा हो कि ‘ईमानदार सरकार, काम दमदार‘, लेकिन संकेत जो मिल रहे हैं उससे लग रहा है कि अगला चुनाव भी हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर ही लड़ना तय माना जा रहा है. दिवाली के त्योहार के बहाने भाजपा ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. अयोध्या में जैसी दिवाली इस बार मनाई गई है और उस दौरान भाजपा के नेताओं ने जो बातें कही हैं उसके बाद कोई संशय नहीं रह गया है.
दरअसल, दीवाली की पूर्व संध्या पर आयोजित भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में कहा था कि, ‘पहले कारसेवकों पर गोलियां चली थीं अबकी बार पुष्प वर्षा होगी‘. सीएम के इस बयान के बाद से सियासी गलियारों में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा है कि आखिर योगी कहां कार सेवा करने की बात कर रहे हैं, क्योंकि अयोध्या में तो राम मंदिर का निर्माण कार्य अपने चरम पर है. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पूरे बयान से मिले इशारों से यह साफ हो गया है कि राम की नगरी अयोध्या के बाद इस बार कृष्ण की नगरी मथुरा के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगा.
यह भी पढ़ें- एक जेब में ब्राह्मण तो दूसरी में हैं बनिए- बीजेपी नेता के ‘विवादित बोल’ पर कांग्रेस बोली- सत्ता का है नशा
अयोध्या की भव्य दिवाली के बीच सीएम योगी ने संतों से पूछा था कि, ‘राम मंदिर निर्माण से आप खुश हैं या नहीं? साथ ही योगी ने कहा था कि, ‘अब रामभक्तों पर गोलियां नहीं चलेंगी‘. 2 नवंबर 1990 की घटना का जिक्र करते हुए योगी ने कहा था कि, ’31 साल पहले रामभक्तों और कारसेवकों पर गोलियां चलवाई गई थीं. तब जय श्री राम कहना और राम मंदिर निर्माण के लिए आवाज उठाना अपराध माना जाता था, लेकिन भाइयो-बहनों आपकी ताकत, लोकतंत्र की ताकत कितनी मबजूत होती है, आपने इसका अहसास कराया. यह लोकतंत्र की शक्ति है, जिन्होंने राम भक्तों पर गोली चलाने का आदेश दिया था आज आपके सामने नतमस्तक हैं’. मुख्यमंत्री योगी ने ये भी कहा था कि, ‘अगली बार जब कारसेवा होगी तो राम और कृष्ण भक्तों पर गोलियां नहीं चलेंगी बल्कि फूलों की वर्षा होगी‘. सीएम योगी के इन बयानों की सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है. वहीं यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने भाषण में पुराने नारे की याद दिलाई और कहा कि, ‘अयोध्या हुई हमारी है, अब मथुरा, काशी की बारी है’.
आपको बता दें, भगवान श्रीकृष्ण के लाखों-करोडों भक्त मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में बने शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने की मांग की करते रहे हैं. इस मामले में मथुरा जिला सिविल न्यायालय में याचिका भी दायर की गई है. श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक की मांग की गई है. यहां यह भी बता दें कि आधा दर्जन कृष्ण भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने और मस्जिद को पूरी तरह से हटाकर पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है.
यह भी पढ़े: वैट कम कराने के लिए राज्यों में प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल बनाना गलत- CM गहलोत ने लिखा PM मोदी को पत्र
दायर याचिका में दावा किया गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था. इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी. अब परिवादियों के अनुसार सेवा संघ की ओर से किया गया समझौता गलत है. इसलिए उक्त समझौते को निरस्त करते हुए मस्जिद को हटाकर मंदिर की जमीन उसे वापस करने की मांग की गई है. वहीं कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में श्रीकृष्ण मंदिर की भव्यता से चिढ़कर उसे तुड़वा दिया था और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण करवा दिया था. इसी ईदगाह को हटाने के लिए कोर्ट में वकील विष्णु जैन और रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में केस दाखिल किया है.
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम योगी द्वारा कृष्णभक्त कारसेवकों पर पुष्प वर्षा करने वाला बयान मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बनी मस्जिद को लेकर ही दिया है. मतलब की चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री योगी द्वारा राम भक्तों के साथ कृष्णभक्तों द्वारा कारसेवा का जिक्र अनायास ही नहीं किया गया है. हालांकि यूपी में चुनाव से पहले अयोध्या, मथुरा और काशी के साथ-साथ दूसरी बातों से भी हिंदू मुस्लिम का माहौल बनाया जा रहा है. योगी सरकार के एक मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर मुस्लिमपरस्ती का आरोप लगाते हुए कहा है कि, ‘वे वोट के लिए धर्म भी बदल सकते हैं‘. अखिलेश के बारे में यह नैरेटिव भी मुलायम सिंह को अब्बाजान कहे जाने के बहाने योगी आदित्यनाथ ने ही शुरू किया था.
यह भी पढ़े:- देशभर के उपचुनावों में कांग्रेस ने दिखाया दम, ‘जीत’ का अंतर बहुत बड़ा जबकि ‘हार’ का अंतर बहुत कम
यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिवाली के इस आयोजन के दौरान अपने भाषण में यह भी कहा कि, ‘पहले की सरकारें सिर्फ कब्रिस्तान बनवाती थीं‘. आपको याद दिला देते हैं कि, ‘कब्रिस्तान-श्मशान का नैरेटिव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चुनाव में बनाया था’. इस नरैटिव के जरिए भाजपा ने जमकर वोटों की फसल काटी थी.