पायलट को धमकी देकर चांदना ने दिया अपरिपक्वता का परिचय! या किसी सियासी ज्वालामुखी की है आहट

खुद पर फेंके गए जूते और बोतलों के लिए अशोक चांदना ने न सिर्फ सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया बल्कि सीधे मरने मारने की धमकी देते हुए कहा- मुझ पर जूता फेंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो जल्दी से बन जाए, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है, जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं

img 20220913 075808
img 20220913 075808

Politalks.News/Rajasthan/Chandna/Pilot. बात कांग्रेस की करें या अन्य किसी भी दल की, पार्टी के अंदर किन्ही दो नेताओं के बीच आपसी खींचतान और वर्चस्व की की अघोषित लड़ाईयां चलती आई हैं. राजस्थान कांग्रेस में भी सदियों से शीर्ष नेताओं के बीच आपस में वैचारिक मतभेद चले आ रहे हैं, जिसके चलते समय समय पर ये नेता एक दूसरे के प्रति जुबानी बाण चलाते रहे हैं, लेकिन कभी सीधे सार्वजनिक रूप से मरने मारने की धमकी जैसी ओछी राजनीति पर नहीं आए. बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान की करें तो सियासी संकट के समय अपनी नेचर के विपरीत जाकर सीएम गहलोत ने पायलट को नकारा निकम्मा कहकर सबको चौंका दिया था, लेकिन अब सीएम गहलोत की कृपापात्र, उनके नाम राशि और उन्हीं की सरकार में सबसे ‘युवा’ और खेल मंत्री अशोक चांदना ने सारी सीमाएं तोड़ते हुए प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट पर न सिर्फ ओछे आरोप लगाए बल्कि पायलट को मारने तक कि धमकी दे दी… यह मामला कहां तक जाएगा यह तो समय बताएगा लेकिन इस घटना ने अशोक चांदना की राजनीतिक अपरिपक्वता से जगत को अवगत जरूर करवा दिया है.

दरअसल, बीते रोज सोमवार को गुर्जर आरक्षण आंदोलन के प्रणेता स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थियों का पुष्कर के 52 घाटों पर विसर्जन का कार्यक्रम रखा गया था. इससे पहले पुष्कर के मेला ग्राउंड में MBC समाज (गुर्जर, रेबारी, राइका, देवासी, गड़रिया, बंजारा, गाडरी, गायरी, गाडोलिया लुहार) की एक आमसभा रखी गई थी, जिसमें प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और एक भाजपा के कई नेताओं ने भी शिरकत की और कर्नल बैंसला के सम्मान में अपने विचार रखे. इस दौरान गहलोत सरकार में खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना जैसे ही भाषण देने आए वहां उपस्थित लोगों ने जूते और अन्य सामान फेंककर उनका विरोध जताना शुरू कर दिया, यहां बता दें समर्थकों द्वारा सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे कार्यक्रम में शुरू से लगाए जा रहे थे, हां चांदना के भाषण के दौरान ये नारे जोरदार तरीके से लगाए गए. इससे आहत अशोक चांदना ने घटना के लिए न केवल सीधे सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया बल्कि धमकी तक दे डाली.

अशोक चांदना ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, ‘मुझ पर जूता फेंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो जल्दी से बन जाए, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है. जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं.’ सबसे पहले तो चांदना उसी समय मंच पर भी भीड़ से जुबानी जंग लड़ते दिखे लेकिन बाद में जब इस घटना के वीडियो वायरल हुए तो वह और भी ज्यादा क्रोधित हो गए. पहले तो चांदना ने कार्यक्रम के आयोजकों और उपस्थित जनसमूह पर सवाल खड़े करते हुए यह ट्वीट किया की, ’72 शहीदों को मारने के आदेश देने वाले तत्कालीन मंत्रिमंडल सदस्य राजेंद्र राठौड़ के मंच पर आने पर तालियां बजीं और जिसके परिवार के लोग आंदोलन में जेल गए उन पर जूते फेंके गए. जिस मंच पर जूते फेंके गए उस पर शहीदों के परिवार जन बैठे थे. कम से कम उनका तो ख्याल कर लेते.’/यही नहीं चांदना ने यह भी लिखा कि, ‘कर्नल साहब की अंतिम स्मृति को ऐसे कलंकित करने वाले लोग कितना दूर तक जाएंगे? यह तो वक्त बताएगा.’

यह भी पढ़े: बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में चांदना और रावत को दिखाए जूते, पायलट जिंदाबाद के जमकर लगे नारे

यहां आपको बता दें कि देर रात अशोक चांदना के सचिन पायलट को धमकी वाले ट्वीट के बाद से रातभर सोशल मीडिया पर चांदना के ट्वीट पर रिट्वीट और फेसबुक पर कमेंट्स की बाढ़ आई हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा लोग चांदना को गलत बताते हुए उन पर पायलट द्वारा किए गए अहसानों की याद दिला रहे हैं. साथ ही हाल ही में सचिन पायलट के एक बयान कि, ‘आप किसी के जयकारे नहीं लगा सकते तो विरोध भी न करें, सभी को साथ लेकर चलना है.’ हालांकि सोशल मीडिया पर कई लोग इसे सीएम अशोक गहलोत की फूट डालो राजनीति करो की नीति का एक हिस्सा भी बता रहे हैं. तो कुछ लोगों का कहना है कि लोकतंत्र में शोर अनिवार्य है लेकिन जरूरत से ज्यादा शोरगुल किरकिरा हो जाता है….जब सियासत में डेसीबल स्तरों का बढ़ते जाना बचने-बचाने की बात करने लगे तो समझ जाइए क्रोध का ज्वालामुखी फटने वाला है…

यह भी पढ़े: मैं किसी गरीब को न्याय नहीं दिला सकती तो दे दूंगी मुख्यमंत्री को इस्तीफा- दिव्या मदेरणा की दो टूक

दरअसल, सचिन पायलट समर्थकों की अशोक चांदना के प्रति यह नाराजगी सियासी संकट के समय से चल रही है. पायलट समर्थकों का कहना है कि पायलट गुट की बगावत के समय खेलमंत्री अशोक चांदना ने सचिन पायलट का साथ नहीं दिया. अगर चांदना साथ दिया होता तो आज सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री होतेय वर्ष 2020 में पायलट की बगावत के समय अशोक चांदना ने गहलोत कैंप का साथ दिया था. याद दिला दें कि बीते दिनों टोंक जिले में एक कार्यक्रम में कोटपूतली विधायक इंद्राज गुर्जर ने अशोक चांदना का नाम लिए बिना उन्हें गद्दार बताया था. इंद्राज गुर्जर ने कहा कि समाज के गद्दारों को चुनाव में सबक सिखाएंगे.

Leave a Reply