Politalks.News/HaryanaPolitics. देश के 10 राज्यों की 57 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के चलते सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. जहां राजस्थान में बीजेपी के समर्थन से एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने नामांकन दाखिल कर कांग्रेस को टेंशन दे दी है तो वहीं हरियाणा में आखिरी वक्त में मीडिया समूह आईटीवी नेटवर्क के मालिक कार्तिकेय शर्मा ने नामांकन दाखिल कर कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. है. यही नहीं माकन की मुश्किल तब और बढ़ गई जब जेजेपी ने अपना सनर्थन कार्तिकेय शर्मा को देने का एलान कर दिया. ऐसे में अब माना जा रहा है कि हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हो सकती है. बता दें, 41 साल के कार्तिकेय शर्मा आईटीवी नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और पूर्व कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा के बेटे हैं.
आपको बता दें, जननायक जनता पार्टी ने कांग्रेस की मुश्किलें बढा दी हैं. बीते रोज सिरसा में मीडिया से बात करते हुए जेजेपी प्रमुख अजय सिंह चौटाला ने राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के समर्थन का ऐलान किया. चौटाला ने कहा कि जेजेपी के विधायक निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय के समर्थन में मतदान करेंगे. वहीं भाजपा भी बचे हुए विधायकों के साथ पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के बेटे का समर्थन कर रही है. माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार बने अजय माकन की राह मुश्किल हो सकती है. दिल्ली के नेता अजय माकन को हरियाणा से कांग्रेस ने टिकट दिया है. कांग्रेस का मानना है कि अजय माकन पंजाबी समुदाय से आते हैं और उन्हें उतारे जाने से मनोहर लाल खट्टर की काट की जा सकेगी.
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वहीं आपको यह भी बता दें कि निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय के पिता विनोद शर्मा कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं. वह 1999 में कांग्रेस की हरियाणा यूनिट के सीनियर नेता थे, जब उनके बेटे मनु शर्मा को दिल्ली की मॉडल जेसिका लाल की हत्या के आरोप में जेल जाना पड़ा था. मॉडल ने मनु शर्मा को ड्रिंक ऑफर करने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते मनु शर्मा ने गोली मार दी थी. मनु शर्मा को जून 2020 में पेरोल पर रिलीज किया गया है. विनोद शर्मा के अब भी तमाम कांग्रेसियों से संबंध हैं. यही कारण है कि कांग्रेस के एक अन्य पूर्व नेता ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है.
यहां आपको गणित समझा दें कि किसी भी उम्मीदवार को हरियाणा में राज्यसभा सीट जीतने के लिए 30 वोट हासिल करना जरूरी है और कांग्रेस के पास सूबे में 31 मत हैं. हालांकि किसी की भी नजर कुलदीप विश्नोई पर नहीं जा रही है, जो बीते कुछ वक्त से कांग्रेस आलाकमान से नाराज हैं. दरअसल, पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस का पूर्व कंट्रोल मिल गया है, जिसके चलते कुलदीप विश्नोई परेशान चल रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि कुलदीप विश्नोई ही नहीं विनोद शर्मा राज्य के कुछ और विधायकों को तोड़ सकते हैं.
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गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अजय माकन को हरियाणा से राज्यसभा के उम्मीदवार बनाया है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा की शर्त इतनी थी कि रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की बजाय पार्टी किसी को उम्मीदवार बनाती है तो वे उसकी जीत सुनिश्चित करेंगे. पहले ऐसा लग रहा था कि पार्टी किसी ब्राह्मण को हरियाणा से उम्मीदवार बनाएगी. तभी प्रमोद तिवारी भी हुड्डा से मिलने गए थे. राजीव शुक्ल भी प्रयास कर रहे थे और आनंद शर्मा के नाम की भी चर्चा थी. गुलाम नबी आजाद हरियाणा के प्रभारी रहे हैं इसलिए उनके नाम की भी चर्चा हो रही थी. लेकिन अंत में कांग्रेस ने माकन का नाम तय किया. अब हुड्डा की जिम्मेदारी है कि वे उनकी जीत सुनिश्चित करें.
यहां आपको बता दें, कांग्रेस ने चाहे जिस मजबूरी में माकन को हरियाणा भेजा हो लेकिन पार्टी के नेता दो फायदे बता रहे हैं. पहला, वे पंजाबी खत्री हैं, जिस समुदाय से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं. हरियाणा में ऐसी चर्चा है कि भाजपा अगला चुनाव खट्टर के नाम पर नहीं लड़ेगी अगले चुनाव तक उनके दस साल हो जाएंगे और उससे पहले भाजपा नया नेता उतारेगी ताकि एंटी इन्कम्बैंसी कम की जा सके. ऐसे में माकन के राज्यसभा में रहने का फायदा कांग्रेस को मिलेगा. अगर भाजपा खट्टर को नहीं हटाती है तब भी कांग्रेस अपना एक पंजाबी खत्री चेहरा पेश करेगी. माकन का दूसरा फायदा यह है कि कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और अब आम आदमी पार्टी की राजनीति कर रहे अशोक तंवर उनके बहनोई है. सो, कांग्रेस किसी तरह माकन के सहारे उनको न्यूट्रालाइज करने का प्रयास करेगी.
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लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े होकर दो बड़े मीडिया समूहों के मालिकों ने हरियाणा और राजस्थान में कांग्रेस की नींद उड़ा दी है. हरियाणा में आईटीवी के मालिक कार्तिकेय शर्मा तो राजस्थान में ज़ी मीडिया ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय के तौर मैदान में उतर कर न सिर्फ कांग्रेस की मुश्किलें ही बढ़ा दी हैं बल्कि कांग्रेस को एक बार फिर विधायकों की बाड़ाबंदी के लिए मजबूर कर दिया है.