Politalks.News/Rajasthan/BTP. राजस्थान में अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी सियासी दल अपनी अपनी नींव मजबूत करने में जुट गए है. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस जहां अपने मैनिफेस्टो के सभी वादों को जनता तक पहुंचाने की जुगत में लगी है, तो वहीं प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी अलग अलग मुद्दों को लेकर अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की जुटी हैं. लेकिन प्रदेश की सियासत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) में फूट पड़ती नजर आ रही है. बीटीपी के टिकट पर राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनावों में भाग्य आजमाने वाले दोनों विधायकों ने अब अपनी नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया है. इस सम्बंध में चौरासी विधायक राजकुमार रोत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘हमने अलग होने और अपनी नई पार्टी बनाने का फैसला किया है. इससे स्थानीय नेतृत्व का विकास होगा.’ राजकुमार रोत के साथ ही BTP के एक अन्य विधायक रामप्रसाद ने भी रोत के बयान का समर्थन किया.
आपको बता दें, गुजरात आधारित राजनीतिक दल बीटीपी ने बीते 2018 के चुनाव में ही राजस्थान में प्रवेश किया और 11 उम्मीदवारों को पार्टी के बैनर पर मैदान में उतारा था. हालांकि इनमें से महज दो उम्मीदवार चौरासी से राजकुमार रोत और सागवाड़ा से रामप्रसाद ने ही जीत दर्ज की थी. लेकिन अब ये दोनों ही विधायक अपनी पार्टी से नाराज नजर आ रहे हैं. यही नहीं उनके साथ बीटीपी के अन्य कई कार्यकर्ता भी पार्टी से नाराज हैं. ऐसे में दोनों विधायकों ने अपने समर्थकों के साथ अब नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया है. दरअसल, रोत और रामप्रसाद दोनों ही विधायक बीटीपी गुजरात के लगातार हस्तक्षेप से नाराज हैं.
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अपने मन की भड़ास निकालते हुए चौरासी विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि, ‘हमें किसी दल की जरुरत नहीं है. हम 2015 से विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से आदिवासियों के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, फिर चाहे वह भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा BPVM हो, या फिर किसान मोर्चा या मुक्ति मोर्चा हो, हमने हमेशा हमारे लोगों के लिए काम किया. बाद में जब 2018 में विधानसभा चुनाव हुए तो हम बीटीपी में शामिल हो गए. उस वक़्त BTP गुजरात की तरफ से हमें आश्वासन दिया कि गुजरात से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा और स्थानीय नेतृत्व और राज्य कार्यकारिणी द्वारा ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. लेकिन जब राजस्थान में राजनीतिक संकट आया, उपचुनाव हुए और राज्यसभा चुनाव के दौरान भी गुजरात से दखलंदाजी की गई. जिसके बाद हमारे मतभेद खुलकर सामने आ गए.’
इसके साथ ही धरियावद उपचुनाव का जिक्र करते हुए राजकुमार रोत ने कहा कि, ‘हमने धरियावद विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थावरचंद को समर्थन देने की सिफारिश की थी, लेकिन उन्होंने गणेश मीणा को मैदान में उतारा. जिससे कार्यकर्ताओं में काफी रोष व्याप्त हो गया. उसके बाद से प्रदेश कार्यकारिणी में गुजरात का हस्तक्षेप सभी स्तरों तक बढ़ गया लेकिन अब हमने अलग होने का मन बना लिया है.’ राजकुमार रोत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘अब हमने अपनी नई पार्टी बनाने का फैसला कर लिया है. नई पार्टी बनने से स्थानीय नेतृत्व का विकास होगा.’
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आपको बता दें, सागवाड़ा से बीटीपी विधायक रामप्रसाद ने भी राजकुमार रोत के बयान का समर्थन किया है. रामप्रसाद ने कहा कि, ‘एक तरह से, हम पहले ही राजनीतिक संकट के बाद से अलग हो चुके हैं, जब उन्होंने कांग्रेस का समर्थन नहीं करने के लिए व्हिप जारी किया था. धरियावद उपचुनाव या राजनीतिक संकट नहीं होने का आश्वासन देने के बावजूद, हर मामले में हस्तक्षेप किया गया है.’
इसी बीच पार्टी विधायकों के नए दल बनाने के एलान पर BTP प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम घोघरा की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. घोघरा ने कहा कि , ‘यह वर्चस्व की लड़ाई है. पार्टी के दोनों विधायक और कुछ नेता बीटीपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. गुजरात की तरफ से कभी भी किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया. पार्टी में जो भी निर्णय लिया गया वो विधायकों के परामर्श से ही लिया गया था. यहां तक कि ग्रामीण निकाय चुनावों में टिकट भी भी विधायकों के परामर्श पर दिया गया था लेकिन वे अब इससे मुकर रहे हैं इसकी क्या वजह से वो जानें. प्रदेश सरकार की तरफ से अब तक 17 सूत्री मांगों में से कोई भी मांग पूरी नहीं हुई. कुल मिलाकर बागियों का निर्णय उनके स्वार्थ में लिया जा रहा है और धोखा देने का कार्य किया जा रहा है. यही नहीं पार्टी ने उन्हें कई नोटिस जारी किए, लेकिन इन विधायकों ने आज तक जवाब नहीं दिया. मैं पार्टी नेतृत्व को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिख रहा हूं.