Politalks.News/Punjab. पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद विरोध के स्वर तेज हो चले हैं. पंजाब में कांग्रेसी दिग्गज अपनी कुर्सी तक नहीं बचा पाए. खुद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू अपनी सीट नहीं बचा पाए. तो वहीं चन्नी सरकार के कई मंत्री भी इस चुनावी रण में सफल नहीं हो सके. चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद कांग्रेस में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी के बयान को हथियार बनाते हुए निशाना साधा है. साथ ही सुनील जाखड़ ने चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी के लिए बोझ बता दिया. वहीं सुनील जाखड़ CWC की बैठक पर भी सवाल उठाए.
हाल ही में संपन्न हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. आम आदमी पार्टी ने जहां प्रचंड जीत हासिल करते हुए 92 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं कांग्रेस महज 18 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस की इस दुर्गति को देखते हुए अब पार्टी में विरोधी स्वर उठने लगे हैं. कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेता खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. वहीं रविवार को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में चरणजीत सिंह चन्नी को एसेट बता हार का ठीकरा नवजोत सिंह सिद्धू और अन्य नेताओं पर फोड़ा गया.
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कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सोमवार को हुए बैठक में पंजाब में कांग्रेस को मिली हार का भी जिक्र किया गया. कांग्रेस नेत्री अंबिका सोनी ने CWC की बैठक में कहा कि, ‘चरणजीत सिंह चन्नी की टांग खिंचाई के कारण कांग्रेस को पंजाब में हार का मुंह देखना पड़ा’. अंबिका सोनी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी और चरणजीत सिंह चन्नी दोनों पर जमकर निशाना साधा. जाखड़ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक न्यूज़ पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि, ‘एक एसेट- क्या आप मजाक कर रहे हैं? भगवान का शुक्र है कि उन्हें उस महिला की ओर से राष्ट्रीय कोष नहीं घोषित किया गया, जिसने उन्हें सीएम के तौर पर पेश किया था.’
सुनील जाखड़ यहीं नहीं रुके और उन्होंने आगे कहा कि, ‘चरणजीत सिंह चन्नी उस महिला के लिए एक एसेट हो सकते हैं, लेकिन पार्टी के लिए तो वह सिर्फ एक बोझ हैं. राज्य की टॉप लीडरशिप नहीं बल्कि उनकी लीडरशिप ने ही गिराने का काम किया है और इसके चलते पार्टी में गिरावट आ गई.’ हालांकि सुनील जाखड़ ने इस बयान के सामने आने के बाद सफाई देते हुए कहा कि, ‘मेरे ट्वीट का अर्थ किसी एक व्यक्ति पर हमला बोलना नहीं है. मैं इस बात से निराश हुआ हूं कि किस तरह से मनोरोगियों जैसी बात कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग में हुई. रिपोर्ट बताती है कि बीते 30 सालों से राज्यसभा में बैठे कुछ नेता हाईकमान के सामने खुद को पंजाब की आवाज के तौर पर पेश करते रहे हैं.’
सुनील जाखड़ ने आगे कहा कि, ‘कांग्रेस कार्यकर्ता किसी ऐसे नेता को चाहते हैं, जिस पर वह यकीन कर सकें. पंजाब की एक नेता ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी में खुद को राष्ट्रीय धरोहर बताने का प्रयास किया. वह खुद को धरोहर बता सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए नहीं. अगले 5 साल पंजाब एवं कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे. इन्हीं लोगों ने सीएम पद के लिए सिफारिशें दी थीं, जबकि अब राहुल गांधी पर इस फैसले की जिम्मेदारी डाली जा रही है.’ जाखड़ ने आगे कहा कि, ‘पंजाब के लोग बदलाव चाहते हैं, लेकिन जिस शख्स को बदलाव करते हुए लाया गया, उससे हालत और बिगड़ गई. ये दवा तो बीमारी से भी ज्यादा घातक थी.’