Politalks.News/Punjab-UP_Politics. कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश के मऊ से बाहुबली विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के बीच कई दिनों तक जुबानी जंग चलती रही थी. इसका कारण था कि पंजाब के रोपड़ जेल में सजा काट रहा अंसारी को यूपी की जेल में शिफ्ट कराने के लिए यूपी सरकार ने कई बार अपनी पुलिस पंजाब भेजी, लेकिन हर बार पंजाब सरकार ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया. इसके खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे और आखिरकार अदालत के फैसले के बाद मुख्तार को उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया.
मुख्तार को लेकर पंजाब और यूपी सरकार के बीच अभी ‘कड़वाहट‘ खत्म भी नहीं हुई थी कि अमरिंदर सिंह का एक और ‘मुस्लिमों को लुभाने‘ के लिए लिया गया फैसला योगी आदित्यनाथ को ‘नागवार‘ गुजरा. बात को आगे बढ़ाने से पहले आपको याद दिला दें कि पंजाब में अगले वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस राज्य में मौजूदा कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में चुनावों को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए जुट गए हैं. अब बात को आगे बढ़ाते हैं.
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तो इस बार सीएम योगी और अमरिंदर सिंह के बीच टकराव की प्रमुख वजह है पंजाब का मुस्लिम बहुल इलाका ‘मलेरकोटला‘. 14 मई को जब पूरे देश भर में ईद धूमधाम के साथ मनाई जा रही थी तब ही मुख्यमंत्री अमरिंदर ने पंजाब के मुसलमानों को ईद के मौके पर कस्बा मलेरकोटला को ‘जिला‘ बनाने की घोषणा कर गिफ्ट के रूप में ईदी दे दी’. लेकिन पंजाब सरकार का यह फैसला योगी सरकार को ‘बर्दाश्त‘ नहीं हुआ. इसके बाद दोनों ओर से शब्दबाणों की ‘सियासी बौछार‘ शुरू हो गई. मुख्यमंत्री योगी ने अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब में मलेरकोटला नाम के नए जिले का निर्माण ‘कांग्रेस की विभाजनकारी नीति है, आस्था और धर्म के आधार पर कोई भी भेद भारत के संविधान की भावना के विपरीत है.’
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर ने सीएम योगी आदित्यनाथ को जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश पंजाब के मामलों से दूर रहे, कैप्टन ने कहा कि ‘वे पिछले चार वर्षों से खुद अपने राज्य में सांप्रदायिक कलह को बढ़ावा दे रहे हैं‘. विभाजनकारी और विनाशकारी भाजपा सरकार के तहत यूपी की तुलना में हम बेहतर स्थिति में हैं. कैप्टन ने योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछते हुए कहा की वो पंजाब के लोकाचार या मलेरकोटला के इतिहास के बारे में क्या जानते हैं? बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद और मुगलसराय का नाम बदलकर प्रयागराज और पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर किया था. आइए अब आपको बताते हैं मलेरकोटला के बारे में, जिसको लेकर पंजाब, उत्तर प्रदेश सरकारें आमने-सामने हैं.
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अभी तक पंजाब के संगरूर जिले में आता था मालेरकोटला शहर
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने ईद के मौके पर मलेरकोटला को पंजाब का 23वां जिला घोषित किया. बता दें कि अभी तक मालेरकोटला संगरूर जिले का एक कस्बा था. यह मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है. गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार मलेरकोटला की कुल आबादी 135424 है. इसमें 68.50 फीसदी मुसलमान हैं. वहीं 20.71 फीसदी हिंदू हैं. यहां सबसे कम 9.50 फीसदी सिखों की आबादी है. पंजाब में सिखों की आबादी 57.69 फीसदी हैं. ‘मुस्लिम बाहुल्य शहर के निवासियों ने इस फैसले को राज्य सरकार की ओर से ईद का तोहफा बताया‘. वहीं मलेरकोटला को जिला बनाने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस क्षेत्र का ‘इतिहास‘ भी अच्छी तरह जान लिया था. जो इस जिले को बनाने का विरोध कर रहे हैं अमरिंदर उन्हें इसका प्राचीन इतिहास भी बता रहे हैं.
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मलेरकोटला शहर के बारे में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बताया कि इसकी स्थापना 1454 में अफगानिस्तान के शेख सदरुद्दीन-ए-जहां द्वारा की गई थी. बाद में 1657 में बाजिद खान द्वारा मलेरकोटला राज्य की स्थापना की गई. इसके बाद मलेरकोटला को पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ बनाने के लिए अन्य नजदीकी रियासतों के साथ मिला दिया गया. 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, तत्कालीन मलेरकोटला राज्य का क्षेत्र पंजाब राज्य का हिस्सा बन गया. सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि दुनिया भर में सिख समुदाय मलेरकोटला के पूर्व नवाब शेर मोहम्मद खान का सम्मान करते है, जिन्होंने मुगलों द्वारा दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के दो बेटों की यातना के खिलाफ आवाज उठाई थी.
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यही नहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मलेरकोटला के लिए विकास परियोजनाओं की घोषणा करते हुए कहा कि ‘नवाब शेर मोहम्मद खान के नाम पर एक सरकारी मेडिकल कॉलेज जल्द ही स्थापित किया जाएगा‘. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अपने ‘चुनावी घोषणापत्र‘ में इसे जिले का दर्जा देने का वादा किया था, जो अब जाकर पूरा हुआ है. लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार का मुस्लिमों को दिया गया चुनावी तोहफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अखर गया.