Politalks.News/Delhi. 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले देश में एक नई बहस शुरू हो गई है. लोकसभा सचिवालय ने मानसून सत्र से ठीक 4 दिन पहले हिंदी और अंग्रेज़ी के ऐसे शब्दों-वाक्यों की सूची जारी की है, जिनका सदन में इस्तेमाल असंसदीय माना जाएगा. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जिन शब्दों को असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखा गया है उनमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी और ख़ून से खेती जैसी शब्द शामिल हैं. यानी अगर इन शब्दों का इस्तेमाल संसद में किया गया तो उसे सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा. इसे लेकर देश में नई बहस छिड़ गई है. कांग्रेस ने कहा कि, ‘मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे.’ वहीं विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी.’
गुरूवार को लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी की गई सूची के अनुसार जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, बहरी सरकार, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार, कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, गुलछर्रा, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, दोहरा चरित्र, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह, दादागिरी, दंगा सहित कई अंग्रेज़ी के शब्दों का इस्तेमाल भी अब लोकसभा या राज्यसभा में बहस के दौरान कार्यवाही में शामिल नहीं किया जाएगा. यही नहीं इसके अलावा अध्यक्ष पर आक्षेप को लेकर इस्तेमाल किए गए कई वाक्यों को भी असंसदीय अभियव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है, मसलन- आप मेरा समय खराब कर रहे हैं, आप हम लोगों का गला घोंट दीजिए, चेयर को कमज़ोर कर दिया गया है, मैं आप सब से यह कहना चाहती हूं कि आप किसके आगे बीन बजा रहे हैं?’
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यही नहीं इस सूची में सूची में राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही से हटाए गए जिन शब्दों और वाक्यों को शामिल किया गया है उनमें अंट-शंट, अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, उचक्के, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, औकात, कांव-कांव करना, गिरगिट, गुलछर्रा, घड़ियाली आंसू, घास छीलना, चोर-चोर मौसेरे भाई, ठग, ठगना, ढिंढोरा पीटना, तड़ीपार, तलवे चाटना, धोखाधड़ी, नाटक आदि शामिल हैं. विपक्षी दलों ने इस कदम को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. विपक्षी दलों का कहना है कि वे इस आदेश को नहीं मानेंगे और इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे. कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, सहित कई नेताओं ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘न्यू इंडिया की न्यू डिक्शनरी. असंसदीय का मतलब चर्चा और बहस में इस्तेमाल होने वाले शब्दों से है, जो पीएम के कामकाज का सही वर्णन करता है, जिसे अब बोलने पर रोक लगा दी गई है.’ राहुल गांधी ने एक असंसदीय वाक्य का एक उदाहरण भी पेश करते हुए लिखा, ‘जुमलाजीवी तनाशाह ने अपने झूठ और अक्षमता का खुलासा होने पर मगरमच्छ के आंसू बहाए.’ वहीं प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बोला जाए, “2 करोड़ रोजगार”, “किसानों की आय दुगनी” जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; ‘थैंक यू’ बोला जाए, PS: संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?’
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वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, ‘मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे. अब आगे क्या विषगुरु?’ वहीं कन्हैया कुमार डॉलर की कीमत का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘साहेब, अब लगे हाथ संसद से ‘डॉलर’ शब्द भी बैन करवा ही दो. वर्ना जैसा आपने कहा था कि रुपया अपनी क़ीमत खोता रहेगा और प्रधानमंत्री अपनी गरिमा.’ दरअसल गुरूवार को सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए पहली बार डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत 80 रूपये को पार कर गई है. इससे पहले TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘लोकसभा और राज्यसभा के लिए असंसदीय शब्दों की सूची में ‘संघी’ शामिल नहीं है. दरअसल, सरकार ने हर उस शब्द को बैन कर दिया है जिसके ज़रिए विपक्ष ये बताता है कि बीजेपी कैसे भारत को बर्बाद कर रही है.’
विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सामने आना पड़ा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि, ‘पहले इस तरह के असंसदीय शब्दों की एक किताब का विमोचन किया जाता था… कागजों की बर्बादी से बचने के लिए हमने इसे इंटरनेट पर डाल दिया है. किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हमने हटा दिए गए शब्दों का संकलन जारी किया है. क्या उन्होंने (विपक्ष) 1,100 पन्नों की इस डिक्शनरी (असंसदीय शब्दों को मिलाकर) को पढ़ा है, अगर वे गलतफहमियां नहीं फैलाते. यह 1954…1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई थी. 2010 से सालाना आधार पर रिलीज हो रही है.’ ओम बिरला ने आगे कहा कि, ‘जिन शब्दों को हटा दिया गया है, वे विपक्ष के साथ-साथ सत्ता में पार्टी द्वारा भी संसद में कहे और उपयोग किए गए हैं. केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों के चयनात्मक निष्कासन के रूप में कुछ भी नहीं है. कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी. बिरला ने कहा कि बेवजह भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करें.