Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान (Rajasthan) की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘राजस्थान सरकार कुछ दबा रही है और आश्चर्य है कि आखिर उसके पास मुआवजे के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों की संख्या के आंकड़े क्यों नहीं हैं’. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब विपक्ष भी गहलोत सरकार पर हमलावर है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने गहलोत सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि, ‘वैश्विक महामारी कोरोना (CORONA) से जान गंवाने वाले लोगों के पीड़ित परिजनों को मुआवजा नहीं दिए जाने पर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाने से प्रमाणित हो रहा है कि राज्य की संवेदनहीन गहलोत सरकार की कोविड मृतकों के आश्रितों को मुआवजा राशि देने की बिल्कुल भी मंशा ही नहीं है’.
‘सरकार जानबूझकर पीड़ित परिवारों की मदद नहीं कर रही’
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘राज्य सरकार द्वारा कोरोना से मौत के मामलों में पीड़ित परिजनों को मुआवजा नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट को टिप्पणी करते हुए यह कहना पड़ा कि सबसे खराब स्थिति राजस्थान के लोगों की है. हमें लगता है कि राजस्थान सरकार कुछ छिपा रही है. कोविड मृतकों के आंकड़े, मुआवजा के लिए आवेदनकर्ताओं की संख्या और कितने लोगों को मुआवजा दिया गया, इससे संबंधित इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं देने से साफ प्रतीत हो रहा है कि राज्य सरकार जानबूझकर पीड़ित परिवारों की मदद नहीं कर रही है’.
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‘आंकड़ों की कारगुजारी में माहिर है गहलोत सरकार’
चूरू विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर आंकड़ों की कारगुजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘राज्य सरकार को कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या और कितने पीड़ित परिवारों को आर्थिक सम्बल दिया गया, इस संबंध में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. क्योंकि कोरोना से मृत्यु के आंकड़ों और राज्य सरकार द्वारा बांटे गए मुआवजे में करीब तीन हजार मौतों का फर्क है. आंकड़ों की कारगुजारी में माहिर गहलोत सरकार कोविड मौतों के वास्तविक आंकड़ों से लगातार छेड़खानी कर रही है. प्रदेश में कोरोना से मृत्यु के आंकड़े 8959 हैं वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मुताबिक मुआवजे के हकदार पीड़ित परिजनों के आंकड़ें इससे भिन्न हैं’.
‘मृतक आश्रित दर-दर की ठोकरें खाने के मजबूर’
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘राज्य सरकार ने कोविड काल के दौरान ड्यूटी में तैनात राज्य सरकार के कर्मचारी, निगम, बोर्ड व संविदा कर्मचारियों के निधन पर 20 लाख रुपये एक्सग्रेशिया व 50 लाख रु की अनुग्रह राशि देने का जोरो-शोरों से ऐलान कर खूब वाहवाही लूटी थी लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आई तो कोविड मृतकों के आश्रितों को एक विभाग से दूसरे विभाग दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है. सरकारी बदइंतजामी की वजह से कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट पर कोविड नहीं लिखकर हार्ट अटैक, डायबिटीज व अन्य बीमारियां का जिक्र किया जा रहा है जिससे पीड़ित निर्धारित मुआवजा राशि प्राप्त करने से वंचित है’.
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‘मुआवजा राशि नहीं मिलना पीड़ितों के जख्मों को और गहरा करना’
भाजपाई दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘कोरोना काल में पहले परिजन अपनों के असमय काल कवलित होने से दुःखी थे और अब मुआवजा राशि नहीं मिलना उनके जख्मों को और गहरा करने के समान है, जिसकी दोषी गहलोत सरकार है. हैरानी का बात है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, खुद की सरकार की नाकामियों को छिपाते हुए कोरोना मृतकों के आश्रितों को मुआवजा राशि देने के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगाते रहे हैं. अब माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राजस्थान सरकार खुद बैकफुट पर आ गई है’.
‘गहलोत सरकार का राहत पैकेज दिखावटी और कागजी’
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘राजस्थान के साथ महाराष्ट्र और केरल राज्य को एक हफ्ते में पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है और कहा है कि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को अनसुना करेगी तो कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा. विपक्ष के नाते हम सभी लगातार राज्य सरकार की मंशा को बार-बार उजागर करते हुए कह रहे थे कि राज्य सरकार ने कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों व विधवा महिलाओं के लिए राहत पैकेज की जो घोषणा की वह सिर्फ दिखावटी व कागजी है और अधिकांश आश्रितों को अब तक राज्य सरकार की ओर से ना तो मुआवजा दिया गया और ना ही योजना के तहत लाभान्वित किया गया’.
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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से हुई मौत पर 50 हजार रुपये का मुआवजा देने में देरी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. अनुग्रह राशि देने में ढिलाई बरतने पर शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र, राजस्थान और केरल को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह ने कहा कि, ‘राजस्थान सरकार कुछ दबा रही है और आश्चर्य है कि आखिर उसके पास मुआवजे के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों की संख्या के आंकड़े क्यों नहीं हैं, राज्य सरकार, जिसने अब तक 9,000 के करीब कोविड की मौत दर्ज की है, प्राप्त आवेदनों पर डेटा के बिना मुआवजे का भुगतान कैसे कर सकती है’. पीठ ने यह भी कहा कि, ‘राज्य सरकार ने कोविड मुआवजे के संबंध में कई स्थानीय भाषा के कागजातों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी है, जिसमें उसने विज्ञापन दिया था. साथ ही, अंग्रेजी दैनिकों में विज्ञापनों, रेडियो विज्ञापनों और सोशल मीडिया पर विज्ञापनों की कोई जानकारी नहीं है’.