फिल्म देखकर आई प्रधानमंत्री को कश्मीरी पंडितों की याद, मुहब्बत है तो लेकर आएं उन्हें वापस- ओवैसी

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर राजनीति चरम पर, ABP न्यूज़ को दिए अपने इंटरव्यू में AIMIM प्रमुख ओवैसी ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- 'कश्मीरी पंडितों का विस्थापन है उस समय की सरकार की नाकामी, उस वक्त के गवर्नर और सरकार थी इसके लिए जिम्मेदार'

ओवैसी के निशाने पर केंद्र सरकार
ओवैसी के निशाने पर केंद्र सरकार

Politalks.News/TheKashmirFiles. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर देश की सियासत गरमा गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां संसदीय दल की बैठक के सहारे इशारों इशारों में कश्मीरी पंडित के विस्थापन के लिए कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस भी तत्कालीन बीजेपी गठबंधन की सरकार होने के नाते सरकार पर हमलावर है. इसी कड़ी में AIMIM प्रमुख एवं लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक निजी मीडिया चैनल से बात करते हुए केंद्र सरकार से कश्मीरी पंडितों को इंसाफ दिलाने के लिए एक कमेटी बनाने की मांग रखी. ओवैसी ने कहा कि, ‘उस समय कश्मीर में कितने कश्मीरी पंडित मारे गए और कितने विस्थापित हुए इसको लेकर मोदी सरकार कमीशन क्यों नहीं बना देती और उन्हें वापस कश्मीर क्यों नहीं ले आती.’ इस दौरान ओवैसी ने केंद्र सरकार पर जबरदस्त निशाना साधा.

कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर बनाई गई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने उन लोगों के दर्द को ताजा कर दिया है जो 1990 में पलायन के शिकार हुए थे. कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित इस फिल्म को लेकर देश में राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है. इस मुद्दे को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ABP न्यूज़ को दिए अपने एक इंटरव्यू में खुलकर चर्चा की. साथ ही केंद्र सरकार को सलाह तो दी ही साथ ही जमकर निशाने भी साधे. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘1990 के समय कितने कश्मीरी पंडित मारे गए और कितने विस्थापित हुए हैं  इसको लेकर मोदी सरकार कमीशन क्यों नहीं बना देती. आज एक फिल्म देखकर मोदी सरकार को कश्मीरी पंडितों की तकलीफ याद आ रही है.’

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सांसद ओवैसी ने आगे कहा कि, ‘मैंने लोकसभा में ये कहा कि मोदी सरकार इस बात के लिए एक कमेटी बना दे और जितने भी विस्थापित लोग हैं, उन्हें वापस लेकर आए. सरकार ये बता दे कि उस समय कितने कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ. साथ ही मैं सरकार से ये सवाल भी पूछना चाहता हूँ कि 1500 हिंदुओं की मौत पर कौन रोएगा.’

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि, ‘नॉन कश्मीरी लोगों की जो हत्या आतंकियों ने की है उसकी भी तो प्रधानमंत्री को बात करनी चाहिए. जम्मू के नरसंहार की बात भी होनी चाहिए. क्या प्रधानमंत्री दिल्ली नरसंहार को भूल गए? क्या प्रधानमंत्री असम का नरसंहार भूल गए? उस पर कौन आंसू बहाएगा. कांग्रेस शासन में मुराबाद में फायरिंग हुई. इन सब मामलों की भी तो जांच होनी चाहिए. कश्मीर समस्या के लिए कौन जिम्मेदार? देश के प्रधानमंत्री के पास आज 300 से ज्यादा सांसद हैं लोकसभा में, आपके खुद के गवर्नर वहां है, उसके बावजूद आपको फिल्म देखकर कश्मीरी पंडित की याद आ रही है.’

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केंद्र पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि, ‘देश के कश्मीरी पंडितों से अगर देश के प्रधानमंत्री को मुहब्बत है तो आप जांच कराकर कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस लेकर आइए. जांच कमेटी से ही कश्मीरी पंडितों को इंसाफ मिलेगा. लेकिन मेरा एक सवाल है कि पिछले 7 साल में सरकार उन्हें क्यों वापस नहीं लाई.’ वहीं जब असदुद्दीन ओवैसी से सवाल पूछा गया कि, क्यों कश्मीरी पंडित घर छोड़ने पर मजबूर हुए? तो उन्होंने कहा कि, ‘उस वक्त के गवर्नर और सरकार इसके लिए जिम्मेदार थी. कश्मीरी पंडितों का विस्थापन उस समय की सरकार की नाकामी है.’ ओवैसी ने आगे कहा कि, ‘लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई.’ मेरा मानना है कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मिलनी चाहिए.’

वहीं जब ओवैसी से सवाल पूछा गया कि उन्हें अलगाववादियों पर निशाना साधने मेंडर लगता है? तो इस सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा कि, ‘मैं और डर एक साथ नहीं रह सकते हैं. ओवैसी और डर एक समंदर के दो किनारे हैं.’ ओवैसी ने आगे कहा कि, ‘बीजेपी को अपनी कश्मीर पॉलिसी साफ करनी चाहिए. अजा बीजेपी सत्ता में है, बीजेपी हुकूमत भी है.’ वहीं  कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर जब ओवैसी से सवाल पूछा गया है कि, ‘कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर फैसले से आप क्या परेशान थे?’ इस सवाल का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि, ‘मुस्लिम लड़कियां यूनिफॉर्म के खिलाफ नहीं हैं. सेंट्रल स्कूलों में हिजाब की इजाजत है. मैं तो ये कहना चाहता हूं कि हमारा देश अलग-अलग फूलों को गुलदस्ता है. इसमें से दो फूल निकाल देंगे तो गुलदस्ता कहां रहेगा.’

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