Politalks.News/Uttarpardesh. उत्तरप्रदेश में AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दौरे पर किसान नेता राकेश टिकैत ने निशाना साधा है. टिकैत ने ओवैसी को बीजेपी का ‘चचाजान’ बताया. बागपत में किसानों की रैली के दौरान टिकैत ने कहा कि, ‘बीजेपी ओवैसी का सहारा लेगी. ओवैसी गाली देंगे लेकिन यूपी सरकार केस दर्ज नहीं करेगी‘. टिकैत के मुताबिक़ ओवैसी यहां किसानों को बर्बाद करेगा, बीजेपी और ओवैसी ए और बी टीम हैं. किसानों को इनकी चाल समझने की ज़रूरत है’.
टिकैत के बयान पर बीजेपी तिलमिला गई है टिकैत पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘वो किसान आंदोलन की आड़ में राजनीति कर रहे हैं’. टिकैत के चचाजान वाले बयान पर अब ‘महाभारत’ शुरू हो गई है. टिकैत के बयान पर AIMIM नाराज़ है. तो भाजपा भी भड़की हुई है. कांग्रेस और सपा की ओर से भी बयानों के तीर चले हैं. यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव पर तंज कसने के लिए उनके पिता मुलायम सिंह यादव को ‘अब्बाजान’ कह कर निशाना साध रहे हैं. लेकिन ‘अब्बाजान’ के बाद अब ‘चचाजान’ की एंट्री ने सियासी घमासान को दिलचस्प बना दिया है.
ओवैसी बीजेपी के ‘चचाजान’- टिकैत
इस पूरे मामले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘अगर उत्तर प्रदेश सरकार का कोई मेहमान बाहर से आ रहा है तो उसे कोई ना कोई नाम तो देना पड़ेगा. इसलिए ‘चचाजान’ नाम ठीक है. गांव के लोगों ने ही यह नाम दिया है, इससे किसी को क्या दिक्कत होगी’. राकेश टिकैत ने ओवैसी पर बीजेपी की ‘बी टीम’ होने का आरोप लगाया और कहा कि, ‘यह बीजेपी की मदद कर रहे हैं’. टिकैत ने कहा कि, ‘गांव के लोग बताते हैं कि ओवैसी बीजेपी की मदद कर रहे हैं. कोई चाहे तो इसे लेकर सर्वे करवा ले’.
देश का हर वोट डालने वाल करता है राजनीत- ओवैसी
बीजेपी के आरोप पर राकेश टिकैत ने आगे कहा कि, ‘यहां पर तो हर कोई राजनीति कर रहा है, यहां कौन है जो राजनीति नहीं कर रहा है. जो भी वोट देता है वो राजनीति करता है. इसलिए देश में हर आदमी राजनीति करता है’. AIMIM के बीजेपी के हिमायती होने के आरोप पर राकेश टिकैत ने कहा, कि, ‘हम चुनाव तो लड़ नहीं रहे, चुनाव तो यह दोनों एक दूसरे खिलाफ लड़ रहे हैं और एक दूसरे को फायदा पहुंचा रहे हैं. यह इनके हैदराबाद से आए सरकारी मेहमान और सरकारी चचाजान हैं. यह इन्हें फायदा पहुंचाने के लिए आ रहे हैं’.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब्बाजान वाले बयान के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘मैंने बयान नहीं सुना और ना ही कोई आपत्ति है. कोई किसको क्या कहता है, इससे हमें कोई मतलब नहीं है’.
मुजफ्फरनगर दंगों के समय कहां छिपे थे टिकैत- AIMIM
राकेश टिकैत के ‘चचा जान’ वाले बयान पर एआईएमआईएम भड़क गई है. AIMIM के प्रवक्ता आसिम वकार ने कहा कि, ‘आप कितने बड़े सेकुलर हैं ये मुझसे और मेरे लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता. 2017 का जो चुनाव था और 2019 का इसमें आप बीजेपी को जिता रहे थे और उनके लिए काम कर रहे थे’. वकार ने कहा कि मुसलमानों के कंधे पर बैठकर अपनी राजनीतिक दूरी तय कर रहे हैं. जब मुजफ्फनगर में दंगे हुए थे तो आप कहां छिपे थे. यकीन से कह रहा हूं 2022 में तय हो जाएगा राकेश टिकैत बीजेपी के बल्ले से खेल रहे हैं’.
विपक्ष के लिए फील्डिंग कर रहे हैं टिकैत- भाजपा
चचाजान वाले बयान पर बीजेपी ने भी टिकैत को आड़े हाथ लिया है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि, ‘योगी जी ने अब्बाजान शब्द का इस्तेमाल किसी और संदर्भ में किया था. लेकिन टिकैत अपनी रैलियों में लोगों को बुलाकर अल्लाह हू अकबर के नारे लगवा रहे हैं’. मौर्य ने कहा कि, उत्तरप्रदेश तुष्टिकरण की राजनीति से काफी दूर जा चुका है और 2022 का चुनाव विकास के मुद्दे पर होगा. उधर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि, ‘टिकैत विपक्ष के लिए फील्डिंग कर रहे हैं’.
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ओवैसी की भाजपा से सांठ-गांठ, जहां परेशानी में होती है BJP वहां पहुंच जाते हैं- कांग्रेस
राकेश टिकैत के चचाजान वाले बयान पर कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया ने कहा कि, ‘निश्चित तौर पर ओवैसी यूपी चुनाव केवल भाजपा के इशारे पर लड़ रहे हैं. उन्होंने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है और वे हमेशा ऐसा करते हैं. चाहे महाराष्ट्र का चुनाव हो या बिहार का ये साफ है कि भाजपा के साथ पूरी तरह उनकी सांठगांठ है’. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता ने सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि, भाजपा जहां भी परेशानी में पड़ती है वहां-वहां ओवैसी उनकी मदद करने आ जाते हैं. इसलिए ओवैसी भाजपा के चचाजान हुए ना’. राजपूत ने असम और बिहार चुनाव में ओवैसी की भूमिका पर सवाल उठाए.
भाजपा से हुआ ओवैसी का उदय- सपा
टिकैत के बयान और भाजपा को निशाने पर लेते हुए सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने कहा कि, ‘यह साफ है कि भाजपा ओवैसी की पार्टी को प्रश्रय देती है. बिहार मे राजद को रोकने के लिए भाजपा के प्लान के हिसाब से वहां चुनाव लड़े और अब यूपी आ गए हैं. ओवैसी दक्षिण भारत के अन्य राज्य में चुनाव लड़ने नहीं जाते, वे केवल तेलंगाना तक सीमित हैं. नोटबंदी के दौरान उनके बैंक में करोड़ों रूपए जमा हुए लेकिन न तो ईडी ने पूछा और न सीबीआई. 2014 से पहले ओवैसी को कौन जानता था. इनका उदय ही केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद हुआ है.
अब्बाजान और चचाजान जैसे शब्दों की एंट्री से उत्तर प्रदेश में होने वाला विधानसभा चुनाव मुद्दों से भटककर ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में अब्बा जान का ज़िक्र किया. उसके बाद एक बड़े किसान नेता ने चचा जान का इस्तेमाल करते हुए भाजपा पर हमला बोला है. यूपी देश के उन राज्यों में शामिल हैं जहां दूसरी लहर में लोग ऑक्सीजन को मुहाल थे. आलम ये था कि सैकड़ों की संख्या में लाशें गंगा में मिलीं. ऐसे में उम्मीद तो ये है कि आने वाले विधानसभा चुनाव मुद्दों पर लड़े जाएं. लेकिन इस बात की पूरी आशंका बनी हुई है कि मुद्दों की जगह इस चुनावों में ऐसी ही ध्रुवीकरण वाली बातें हावी रहेंगी.