गुजरात की विसावदर सीट पर तीन दिन पहले आए उपचुनाव के परिणामों से उत्साहित आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. यहां बोटाद सीट से आप विधायक उमेश मकवाना ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. फिलहाल उनके इस्तीफा देने की कोई खास वजह अभी तक सामने नहीं आयी है लेकिन जो कारण स्वयं मकवाना ने दिया, वो काफी दिलचस्प है. इनका मानना है कि पार्टी अब बाबा अंबेडकर साहेब के सिद्धातों से भटक रही है..इसलिए उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और अब एक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर अपना सफर जारी रखेंगे. मकवाना के इस कदम से उपचुनाव में आप के गोपाल इटालिया की जीत के जश्न पर पानी सा फिर गया है.
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बीजेपी में शामिल हो सकते हैं मकवाना
माना यही जा रहा है कि पूर्व में बीजेपी के नेता रह चुके उमेश मकवाना जल्द ही भूपेंद्र भायानी के पद चिन्हों पर चलते हुए नजर आएंगे. 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के भूपेंद्र भायानी ने विसावदर विस सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन दिसंबर 2023 में इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. खाली सीट पर हुए उप चुनावों में पार्टी के ही कैंडिडेट गोपाल इटालिया 17554 वोटों से जीत दर्ज करते हुए बीजेपी प्रत्याशी को धूल चटाई. इस जीत को मोदी का किला धवस्त करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है. हालांकि मकवाना का ये कदम पार्टी की उम्मीदों को झटका देने के लिए शायद पर्याप्त है.
आप को कोई जानता नहीं था लेकिन..
उमेश मकवाना ने इस दौरान कहा, ‘मैंने 20 साल तक भाजपा में अलग-अलग पदों पर काम किया. उस समय जब गुजरात में AAP को कोई पहचानता भी नहीं था, तब मैंने सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी जॉइन की थी. अब मुझे लगता है कि आप पार्टी अंबेडकर के सिद्धांतों से भटक रही है. यही कारण है कि मैंने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. मैं पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम करना जारी रखूंगा. मैं बोटाद के लोगों के बीच जाऊंगा. फिर उनकी राय लूंगा.’
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गुजरात में पांच विधायक हैं पार्टी के
गुजरात विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पांच विधायक मौजूद हैं. यहां अमूमन चुनावी जंग भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही होती है. पिछले विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आप ने इतिहास रचते हुए पांच सीटों पर जीत हासिल की. साथ ही कांग्रेस की जीत की राह में रोड़े अटकाने का काम भी किया. कई सीटों पर आप के उम्मीदवार कांग्रेस को पछाड़ते हुए दूसरे नंबर पर रहे जिससे कांग्रेस का काम मुश्किल हो गया. उप चुनाव में जीत को आप के लिए बूस्टर डोज बताया जा रहा था लेकिन पार्टी के नेताओं का इस तरह से पार्टी के खिलाफ जाना आगामी विस चुनावों में कार्यकर्ताओं का होसला तोड़ने का काम करेगा.