Politalks.News/UttarPradesh. पिछले एक महीने से योगी सरकार का भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अगले साल की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर ‘सभी एंगल‘ से परखने में जुटे हुए थे. इसके लिए ‘दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई दौर बैठकों का चला‘. बीच-बीच में सियासी ‘अटकलें‘ भी लगती रहीं कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की ‘कुर्सी‘ से हटाया जा सकता है? इसके साथ ही योगी सरकार के मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म था. इन सबके बीच आखिरकार बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर योगी आदित्यनाथ पर ही भरोसा जताया.
यानी सही मायने में योगी सरकार को अब ‘अधिक डिस्टर्ब‘ नहीं किया जाएगा.. इसका बड़ा कारण यह भी है कि योगी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विपक्ष भी हमला बोलने के लिए तैयार बैठा था. अब भाजपा हाईकमान ने लगभग मंत्रिमंडल विस्तार को विराम देने की कोशिश की है. पार्टी आलाकमान ने योगी के चेहरे को ही ‘जिताऊ‘ माना है और उनके चेहरे पर ही पार्टी विधानसभा चुनाव में ‘दांव‘ लगाएगी. बता दें कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े नेताओं की मैराथन समीक्षा बैठक से अटकलों का दौर जारी था. यह सच है कि राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और प्रभारी राधामोहन सिंह के साथ मुलाकात में प्रदेश के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी केे प्रति थोड़ी नाराजगी जताई थी. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इन सब बातों को विराम देते हुए योगी को ही ‘मिशन 2022‘ की कमान सौंपने की तैयारी कर ली है.
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आपको बता दें, योगी सरकार में फेरबदल को लेकर पिछले महीने से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और संघ के नेताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. मुख्यमंत्री चेहरे में बदलाव को लेकर न तो चर्चा हुई है और न ही इसकी कोई संभावना है. बल्कि प्रदेश स्तर पर उनकी कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत करने वाले नेताओं की ओर से भी उन्हें बदलने को लेकर कोई सुझाव नहीं दिया गया. हां यह जरूर कहा गया कि मुख्यमंत्री को कुछ स्तर पर समन्वय स्थापित करना होगा. जाहिर तौर पर इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व के पास होगी. हालांकि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल या संगठन में छोटे मोटे बदलाव किए जा सकते हैं. गठबंधन के नए साथियों की खोज और उन्हें भविष्य के संबंध में वादों का जिम्मा भी केंद्रीय नेतृत्व के साथ समन्वय के साथ किया जाएगा, लेकिन चेहरा योगी आदित्यनाथ ही होंगे. वहीं पीएम मोदी के करीबी और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बनाए गए अरविंद कुमार शर्मा को भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, फिलहाल उन्हें कौन सा मंत्री पद दिया जाएगा इस पर संशय बरकरार है.
लखनऊ छू-छू कर लौट रहे थे भाजपा खेवनहार, यूपी पहुंचे राधामोहन बोले-ऐसे ही आया हूं
पिछले कुछ दिनों से बीजेपी के बड़े नेता दिल्ली से लखनऊ आते और लखनऊ से दिल्ली लौट जाते, लेकिन फिर भी बात नहीं बन पा रही थी. कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश भाजपा प्रभारी और संघ के शीर्ष नेताओं का लखनऊ का ‘तूफानी‘ दौरा चल रहा था. लगातार बैठकें करना, फीडबैक लेना और फिर दिल्ली हाईकमान को रिपोर्ट के बावजूद भी ‘अंतिम नतीजे‘ पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिससे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं में भी ‘बेचैनी‘ बनी थी. वहीं विपक्ष समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस के नेता भी यूपी में फेरबदल को लेकर ‘बेसब्री‘ से इंतजार कर रहे थे.
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पिछले महीने के आखिरी में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, भाजपा संगठन महामंत्री सुनील बंसल और यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह ने मुख्यमंत्री योगी समेत मंत्रियों से तीन दिनों तक ‘मैराथन बैठकें‘ कीं. उसके बाद लखनऊ से दिल्ली लौट गए. तब उम्मीद जताई जा रही थी कि एक या दो दिन में ‘योगी मंत्रिमंडल विस्तार का भाजपा हाईकमान निर्णय ले सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ’. ऐसे में रविवार को ‘एक बार फिर लखनऊ के सियासी गलियारों में उत्तर प्रदेश सरकार में फेरबदल को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा‘.
बता दें कि दिल्ली में 3 से 5 जून तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद रविवार को उत्तर प्रदेश भाजपा प्रभारी राधामोहन सिंह जब अचानक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राजभवन में मुलाकात करने पहुंचे तो योगी सरकार में फेरबदल की अटकलें शुरू हो गई. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात के बाद राधा मोहन सिंह एक बार फिर ‘गोलमोल‘ जवाब देते रहे. राधामोहन सिंह ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन बहुत मजबूती के साथ चल रहे हैं. ‘यूपी भाजपा प्रदेश प्रभारी ने कहा कि देश के अंदर सबसे मजबूत संगठन और सबसे लोकप्रिय सरकार यूपी में ही काम कर रही है‘. ‘मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों को खारिज करते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रदेश प्रभारी बनने के बाद से उनकी राज्यपाल से भेंट नहीं हुई है, इसीलिए राज्यपाल से मुलाकात करने चला आया’.
भाजपा प्रदेश प्रभारी ने कहा कि राज्यपाल से उनकी मुलाकात ‘शिष्टाचार‘ भेंट है, इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन और मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच भाजपा उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष ने पिछले हफ्ते राजधानी लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा तथा प्रदेश के तमाम मंत्रियों और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से अलग-अलग बैठक की थी.
राज्यपाल को राधामोहन के ‘लिफाफा’ दिए जाने पर लगती रहीं अटकलें
भले ही भाजपा प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से ‘शिष्टाचार‘ मुलाकात बता रहे हो लेकिन ऐसा हो नहीं सकता है कि वह दिल्ली से सिर्फ उनसे मुलाकात करने आए हों? इसके साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन को एक बंद ‘लिफाफा‘ दिया है. प्रदेश प्रभारी ने जो लिफाफा राज्यपाल को दिया है, उसमें क्या है? ये सवाल बना हुआ था. उसके बाद भाजपा प्रभारी ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से भी मुलाकात की. आज राधा मोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि योगी सरकार के मंत्रीमंडल में जो पद खाली हैं, वे भरे जाएंगेे, इन सभी पदों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उचित समय पर निर्णय लेंगे‘.
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राधामोहन सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव में हमारी अच्छी जीत हुई है, अब जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तैयारी है. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश भाजपा में सियासी खींचतान के बीच प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने ‘बड़ा बयान‘ दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि प्रदेश को योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री नहीं मिल सकता, कोई भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसा परिश्रमी और ईमानदार नहीं हो सकता‘. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में सीएम योगी ने कानून का राज स्थापित किया है.