Politalks.news/Bihar. 12 सितम्बर को बिहार के दिग्गज नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की पुण्यतिथि है. इस मौके पर चिराग पासवान एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं जिसके लिए चिराग ने तमाम दिग्गज नेताओं को न्योता भेजा है. राम विलास के निधन के बाद LJP में हुई फूट किसी से छिपी नहीं है. लेकिन पासवान की पुण्यतिथि से पहले उनके पशुपति पारस बदले बदले नजर आ रहे हैं. रामविलास पासवान की पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल होने के चिराग पासवान के न्योते को ना सिर्फ उन्होंने स्वीकार किया बल्कि 8 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम में चिराग को भी बुलाने की बात कही. इसके इत्तर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग की और साथ ही बिहार सहित दिल्ली में भी रामविलास पासवान के नाम पर स्मारक बनवाने की मांग उठाई.
पासवान के निधन के बाद पहली बार के साथ नजर आएंगे चाचा भतीजे
रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा में हुई टूट के कारण काफी लम्बे समय से चाचा भतीजों में कोई मुलाकात नहीं हुई. रामविलास के निधन के बाद केंद्रीय मंत्री पशुुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान को पार्टी में साइड लाइन कर दिया. यहां तक LJP प्रमुख पशुपति पारस ने चिराग पासवान से सभी अहम पद भी छीन लिए. इन सभी घटनाक्रमों के बाद यह पहला मौका होगा जब चाचा और भतीजा 12 सितम्बर को पटना में मिलेंगे. अपने पिताजी की पुण्यतिथि पर चिराग पासवान ने राजनीतिक जगत के कई दिग्गजों को भी न्योता दिया. इसी कड़ी में चिराग पासवान ने अपने चाचा एवं LJP प्रमुख पशुपति पारस को भी न्योता दिया.
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अगर चिराग नहीं आते बुलाने तो भी जाता भाई की पुण्यतिथि पर- पारस
इस पुरे मामले पर केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे बड़े भाई दिवंगत रामविलास पासवान के बरखी को लेकर हो रहे आयोजन में शामिल होंगे. मैं आज जो कुछ भी हूँ वो अपने बड़े भैया के पुण्य प्रताप से ही हूं. पारस ने आगे कहा कि अगर चिराग पासवान मुझे निमंत्रण देने नहीं आते तो भी मैं अपने बड़े भाईसाहब के पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल होता. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने आगे कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर 8 अक्टूबर को एक समारोह आयोजित करने जा रहा हूँ जिसमें मैं चिराग और उनके परिवार के सदस्यों को भी आमंत्रित करूंगा.
पार्टी में छिड़ी आपसी खींचतान को लेकर बोले पशुपति
वहीं जब पशुपति पारस से पार्टी में फैली आपसी खींचतान को लेकर सवाल पूछा गया तो पशुपति पारस ने कहा कि मेरा यह मानना है कि परिवार का मामला अलग होना चाहिए और राजनीति का मामला अलग है. परिवार और राजनीति को आपस में नहीं जोड़ना चाहिए. यहीं नहीं पशुपति पारस ने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात करने की बात कही. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार कैबिनेट से इस प्रस्ताव को पास करे और प्रधानमंत्री को पत्र लिखे कि रामविलास पासवान जी को भारत रत्न दिया जाय.
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पारस के बयान बाद राजनीतिक गलियारों में लगने लगे कयास
पशुपति पारस ने आगे कहा कि जिस पार्टी कार्यालय में पटना में 31 सालों तक रामविलास पासवान का संबन्ध रहा है और पटना जाने पर जहां वो रुकते थे, उसे सरकार राष्ट्रीय स्मारक घोषित करे. केंद्रीय मंत्री ने एक और मांग करते हुए कहा कि हाजीपुर से 1977 से उनका संबंध रहा है, इसलिए मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह मांग करता हूँ कि हाजीपुर के किसी सरकारी भवन में रामविलास पासवान की बड़ी प्रतिमा लगाई जाए. साथ ही जब केंद्रीय मंत्री से दिल्ली में 12 जनपद पर रामविलास पासवान की प्रतिमा लगाए जाने और रामविलास पासवान स्मृति का बोर्ड लगाए जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्हों कहा कि देश में जितने भी बड़े बड़े नेता पैदा हुए हैं उनके नाम से स्मारक बना है. इसलिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह मांग करता हूँ कि दिल्ली में जहाँ भी जगह हो वहां रामविलास पासवान जी के नाम पर स्मारक बनना चाहिए. पशुपति पारस के इन बयानों के बाद सियासी गलियारों में कई अटकलें लगाई जा रहे है कि पशुपति अब पार्टी में अपने पैठ को और भी ज्यादा मजबूत करना चाहती है.
अभी नहीं मिला मुख्यमंत्री जी से मिलने का समय, जल्द मिल दूंगा न्योता- चिराग
अपने पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के लिए चिराग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद और कई अन्य नेताओं को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया है. इसी क्रम में उन्होंने गुरुवार को अपने चाचा पारस के आवास पर पहुंचकर उन्हें निमंत्रण दिया. तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रण भेजे जाने को लेकर चिराग पासवान से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री जी से मिलने का समय मांग रहा हूँ लेकिन अभी मुझे समय नहीं मिला है. मैं जल्द ही उनसे मुलाकात कर न्योता दूंगा.