हरियाणा में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच शह-मात का खेल जारी है. दोनों राजनीति दल एक दूसरे के खिलाफ युद्धस्तर पर प्रचार कर रहे हैं. हरियाणा में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उतर चुके हैं और विपक्षी दल पर तीखे जुबानी तीर भेद रहे हैं जिससे कांग्रेस अंदर तक लहुलुहान हो चुकी है. हरियाणा विस चुनाव से ऐन वक्त पहले लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला की चुनाव प्रचार से दूरी ने पार्टी के प्रति बहती हवा का रूख भी मोड़ सा दिया है. ऐसे में आशा की किरण बनकर आई कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने एक ऐसी तिलिस्मी चाल चली है, जिससे माना जा रहा है कि ये हरियाणा में कांग्रेस की हारी हुई बाजी पलटकर रख देगी.
यह भी पढ़ें: क्या जाट लैंड में पीएम मोदी की चुनावी रैली मौसम के रूख को बदल पाएगी?
दरअसल, प्रियंका गांधी वाड्रा ने हरियाणा चुनाव में किसानों का पुराना हो चुका मुद्दा न उठाकर बेरोजगारी पर वार किया है. कांग्रेस नेत्री ने प्रदेश के युवाओं पर दांव खेलते हुए सताधारी बीजेपी सरकार को गहरा आघात पहुंचाने की कोशिश की है. प्रियंका ने कहा कि हरियाणा में भाजपा ने बेरोजगारी की ऐसी महामारी फैलाई है कि होनहार युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में कुल 4.5 लाख सरकारी पद हैं, जिनमें से 1.8 लाख पद खाली पड़े हैं. ऐसा करके वर्तमान सरकार ने युवाओं से भविष्य की सारी उम्मीदें छीन कर उनके साथ घोर अन्याय किया है.
क्या है प्रियंका की तिलिस्मी चाल
कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने एक जनरैली में कहा कि हमारा संकल्प है कि हम युवाओं में व्याप्त निराशा को दूर करके हरियाणा को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का काम करेंगे. चुनावी प्रचार के दौरान प्रियंका ने अपनी दूरगामी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही राज्य में दो लाख पक्की भर्ती की जाएंगी. साथ ही पलायन और परिवारों की बर्बादी रोकने के ठोस उपाय किए जाएंगे. अब रणनीतिकारों का मानना है कि बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर प्रियंका गांधी ने सच्ची मायनों पर बीजेपी की दबी नस पर वार किया है. युवा वर्ग को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. किसानों की नाराजगी के बाद अगर यंग बिग्रेड बीजेपी से दूर होती है तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को जाना निश्चित है.
सरकार को घेरने की जुगत में राहुल गांधी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी इसी मुद्दे पर हरियाणा सरकार के साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. अपनी चुनावी रैलियों में राहुल गांधी ने बेरोजगारी को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वह उन लोगों के परिवार से मिले जिनके बच्चे विदेशों में खुद को खपा रहे हैं. वह लोग ‘यातनाओं की यात्रा’ कर रहे हैं. यदि उनको देश में नौकरी मिलती तो वह विदेश क्यों जाते.
बेरोजगारी-महंगाई पर केंद्र चारों खाने चित्त
केंद्र की मोदी सरकार हो या हरियाणा की खट्टर/सैनी सरकार, दोनों बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर चुप्पी साध कर बैठी है. भले ही केंद्र सरकार लाखों युवाओं को स्वरोजगार या सरकार नौकरी देने का दंभ भर रही हो लेकिन हकीकत तो ये है कि नोटबंदी और कोरोना काल के गुजर जाने के बाद भी बेरोजगारी से संकट टला नहीं है. कंपनियों हजारों की तादात में छंटनी कर रही है और परिवारों के भूखों मरने की नौबत आ रही है. लोकसभा चुनावों के घोषणा पत्र या बजट 2024 में भी इस बारे में कोई खास घोषणा नहीं की गई है. इन दोनों मुद्दों पर सरकार बैक फुट पर है. ऐसे में माना यही जा रहा है कि अगर इस मुद्दे को हवा दी जाए तो कांग्रेस हरियाणा में हवा के रूख को एक बार फिर से अपनी ओर मोड़ सकती है.