Rajasthan Politics: राजस्थान में मौजूदा साल चुनावी साल है. इस साल के आखिर में प्रदेश की 200 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं. सत्ता बदलने के ट्रेड के बीच कांग्रेस जहां फिर से सत्ता हथियाने के लिए हाथ पैर मार रही है, वहीं बीजेपी वापसी करने के लिए रणनीति बना रही है. राजस्थान में सत्ता पर काबिज होने के लिए राज्य की कुल 200 विधानसभा सीटों में से मेवाड़-बागड़ क्षेत्र की 28 सीटों की अहम भूमिका है. अधिकांश अवसर पर जो इस इलाके में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करता है, सत्ता की कुर्सी पर वही विराजमान होता है. हालांकि पिछली बार कांग्रेस को यहां बीजेपी के मुकाबले कम सीटें मिली थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की तिगड़ी की नजरें भी मेवाड़ का सियासी किला हथियाने पर लगी हुई है. अगर उन्होंने मेवाड़ को फतह किया तो राजस्थान की सत्ता पर जीत दूर नहीं होगी.
20 से अधिक सीटें जिसे मिली, उसकी जीत पक्की
राजस्थान में सत्ता की कुर्सी पाने में मेवाड़-बागड़ की भूमिका अहम रही है. 15वीं विधानसभा को छोड़कर जिस पार्टी ने मेवाड़-बागड़ की 28 में से 20 सीटों पर कब्जा जमाया है, उसी के हाथ सत्ता की चाबी लगी है. यानी उसी पार्टी की सरकार बनी है. मेवाड़-बागड़ इलाका विधानसभा के 5 जिले राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ कवर करता है. 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी यहां 15 और कांग्रेस को 10 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई थी. भारतीय ट्राइबल पार्टी को दो और एक सीट निर्दलीय के हाथ लगी थी.
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वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 20 और बीजेपी को केवल 6 सीटें मिली. कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई. उसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस को केवल दो सीटें मिली. इस मौके पर बीजेपी ने राजस्थान में सरकार बनाई. वसुंधरा राजे सीएम बनीं.
मेवाड़-बागड़ क्षेत्र और मेवाड़ के सियासी किले का महत्व देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता मेवाड़-बागड़ में दौरे पर दौरे कर रहे हैं. राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इन इलाकों में मतदाताओं का रूख अपनी ओर मोड़ने के लिए पूरा क्षेत्र खंगाल रहे हैं.
कटारिया के जाने से यहां बीजेपी पड़ सकती है कमजोर
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाब चंद कटारिया को असम के राज्यपाल पद पर भेजे जाने से बीजेपी यहां थोड़ी कमजोर नजर आ रही है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी की राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गई है. उनकी इस ताजपोशी को कटारिया के यहां से भेजे जाने से आई कमजोरी को दूर करने के नजरिए से भी देखा जा रहा है.
गहलोत और जोशी पर किला फतह करने की जिम्मेदारी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्ता वापसी को लेकर जोर लगा रहे हैं. इस वर्ष का शायद ही कोई महीना छूटा हो जब वह मेवाड़ इलाके में न आए हों. वहीं चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से सांसद और बीजेपी नेता सीपी जोशी की मेवाड़-बागड़ क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. बीजेपी ने पिछली बार यहां जीती 15 सीटों पर मतदाताओं को दोबारा और 13 हारी हुई सीटों पर इस बार आर्शीवाद पाने के लिए रणनीति बुननी शुरू कर दी है. खुद पीएम मोदी मई में यहां आए थे और 5500 करोड़ रुपए के विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर की आधारशिला रखी. पिछले 8 माह में पीएम का राजस्थान में उदयपुर समेत आसपास के क्षेत्रों में 5 बार दौरा हो चुका है. 30 जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उदयपुर आ चुके हैं.
परंपरा लिहाज से क्षेत्र में बीजेपी का भारी है पलड़ा
बदलाव के लिए वोट डालने के ट्रेंड के लिहाज से यहां के मतादाओं का समर्थन पाने की बारी कांग्रेस की है. वहीं राज्य में परंपरा के हिसाब से सत्ता पाने की उम्मीद के मामले में बीजेपी का पलड़ा भारी है. नतीजा, कांग्रेस ने यहां पाने के लिए और बीजेपी ने यहां गंवाने से बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. पिछले कुछ महीनों में सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी न किसी बहाने से इस इलाके में दर्जनभर से अधिक यात्राएं कर चुके हैं.