बिहार विधानसभा चुनावों से पहले लालू परिवार एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में काफी सारी चीजें चल रही हैं, जो चुनावी समर में प्रभाव डाल सकती हैं. फिर चाहें वो तेज प्रताप को पार्टी व परिवार से निकाले जाने को लेकर पारिवारिक कलह हो या फिर कथित लालू द्वारा अंबेडकर का अपमान हो, दोनों ही मुद्दों पर एनडीए राजद की घेराबंदी में जुटी है. इस संकट के समय में पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए इस बार युवा चेहरों और खासकर महिलाओं को आगे लाने की योजना बनायी है. ऐसे में रोहिणी आचार्य को पावर प्लेयर बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने में जुट गयी हैं.
रोहिणी आचार्य राजद के 13वीं बार अध्यक्ष बने पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण से पार्टी झंडे पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार का स्वाद चखा. अब रोहिणी सक्रिय तौर पर राजनीति में उतर रही हैं. ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि रोहिणी को तेज प्रताप की खाली जगह भरने के लिए चुनावी अखाड़े में उतारा गया हो.
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रोहिणी के हाल में नीतीश कुमार पर हमले और बयान में राज्य की कई अव्यवस्थाओं पर हमला बोला गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. क्रिमिनल ताकतवर हो गए हैं और पुलिस सिर्फ वनराज की तरह तमाशा देख रही है. उनके इन बयानों से रोहिणी इस चुनाव में राजद की ओर से प्रमुख चेहरा बनते दिख रही है.
पार्टी की अगली रणनीति पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को एकजुट करने की है. इसमें रोहिणी की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है. रोहिणी की मौजूदगी केवल बिहार तक सीमित नहीं है बल्कि रोहिणी के सहारे अब पार्टी झारखंड, बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है. ऐसे में रोहिणी की सियासी मौजूदगी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर भी फायदा पहुंचा सकती है. अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि रोहिणी किस विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरती हैं.



























