देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार अपना बतौर पीएम तीसरे कार्यकाल का निर्वाह कर रहे हैं. अगले लोकसभा चुनाव होने में अभी चार साल शेष हैं लेकिन सियासी गलियारों में संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी का यह अंतिम कार्यकाल होने वाला है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मोहन भागवत का एक बयान इसके सीधे संकेत दे रहा है. नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने 75 साल में रिटायर होने की बहस छेड़ते हुए कहा कि 75 साल के होने पर आपको रूक जाना चाहिए. पीएम मोदी भी इसी साल 75 साल पूरे करने वाले हैं.
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दरअसल, नागपुर में ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’ पुस्तक की लॉन्चिंग कार्यक्रम में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘जब कोई आपको 75 साल का होने पर बधाई देता है तो इसका मतलब ये है कि अब आपको रूक जाना चाहिए और दूसरों को काम करने का मौका देना चाहिए.’ हालांकि ये भी एक संयोग ही है कि भागवत भी इसी साल सितंबर में 75 वर्ष के होने वाले हैं और नरेंद्र मोदी का भी इसी सितंबर माह में साढ़े सात दशकों का सफर पूरा होगा. ऐसे में अनुमान यही लगाया जा रहा है कि मोहन भागवन ने अपने साथ साथ पीएम नरेंद्र मोदी के भी राजनीतिक सफर को विराम देने का संकेत दिया है.
आड़वाणी-जोशी जैसे दिग्गजों को बिठाने वाले करेंगे परंपरा का पालना?
भागवत के इस बयान पर अब एक नई सियासी बहस छिड़ गयी है. उनके इस बयान पर उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत का एक तीखा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि भागवत ये संदेश पीएम मोदी को देना चाह रहे हैं. राउत ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, जसवंत सिंह आदि जैसे नेताओं को जबरन रिटायरमेंट दिलाया, क्योंकि वह 75 साल के हो गए थे. अब देखते हैं कि क्या मोदी इसका पालन खुद भी करेंगे.
बीजेपी कर रही बहस से इनकार
इससे उलट बीजेपी ने मोदी के राजनीतिक रिटायरमेंट से स्पष्ट तौर पर इनकार कर दिया है. पिछले साल मई में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल का होने के बाद भी सक्रिय राजनीति से रिटायर नहीं होंगे. मोदी 2029 तक देश की अगुवाई करेंगे और मोदी आने वाले चुनावों में भी नेतृत्व करेंगे.’ इसके बावजूद संघ प्रमुख के इस ताजा बयान ने रिटायरमेंट बहस एक बार फिर से छेड़ दी है.
सियासी जानकारों का ये भी मानना है कि इस 2026 में संघ को भी एक नया नेतृत्व करने वाला चेहरा मिलने वाला है और 2029 में बीजेपी को. हालांकि बीजेपी के रवैये से तो यही लग रहा है कि आगामी चुनाव भी मोदी के ही नेतृत्व में लड़ा जाने वाला है. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि संघ के खिलाफ जाते हुए बीजेपी किस तरह से अपने राजनीतिक पथ पर कायम रह पाती है.



























