पॉलिटॉक्स न्यूज/मध्यप्रदेश. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत और कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट की सम्भावनाओं ने जोर पकड़ लिया है. सिंधिया आज दोपहर 12:30 बजे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. बावजूद इसके सीएम कमलनाथ अपनी सत्ता को बचाए रखने का दावा करते हुए हर जुगत लगा रहे हैं. इसी प्रयास में कांग्रेस के मौजूदा 88 सहित कुल 92 विधायकों को राजस्थान के जयपुर स्थित एक होटल रिसोर्ट में ठहराया जा रहा है ताकि शेष विधायकों में टूट रोकी जा सके. वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ के सरकार के पास बहुमत होने के दावे के चलते बीजेपी भी हर कदम फूंक फूूंक कर रख रही है. विधायकों को टूट-फूट से बचाए रखने की कवायद में जुटी बीजेपी ने 106 विधायकों को गुरुग्राम की होटल आईटीसी ग्रैंड भारत में ठहराया है. शिवराज सिंह खुद उन्हें यहां लेकर पहुंचे हैं.
दूसरी ओर, सिंधिया गुट की तरफ से जो आत्मसम्मान और पर्याप्त सम्मान न दिए जाने के आरोपों का प्रदेश कांग्रेस ने बाकायदा लिस्ट देकर जवाब दिया है. कांग्रेस के अधिकारिक ट्वीट में ये बताया गया है कि बीते 18 सालों के राजनीतिक करियर में कांग्रेस ने सिंधिया को क्या दिया. कांग्रेस ने ये सवाल भी किया है कि इतना कुछ देने के बावजूद भी मोदी और शाह की शरण में सिंधिया क्यों चले गए?
जानिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने की पूरी कहानी, कैसे अनदेखी करना भारी पड़ा कांग्रेस को
सिंधिया जी की 18 साल की राजनीति में कांग्रेस ने :
– 17 साल सांसद बनाया
– 2 बार केंद्रीय मंत्री बनाया
– मुख्य सचेतक बनाया
– राष्ट्रीय महासचिव बनाया
– यूपी का प्रभारी बनाया
– कार्यसमिति सदस्य बनाया
– चुनाव अभियान प्रमुख बनाया
– 50+ टिकट, 9 मंत्री दियेफिर भी मोदी-शाह की शरण में ? pic.twitter.com/bABGfFuYc5
— MP Congress (@INCMP) March 11, 2020
इस ट्वीट के साथ कांग्रेस ने जो फोटो शेयर किया है, वो बेहद दिलचस्प है. बाकायदा एक फोटो डिजाइन किया गया है, जिस पर ट्रस्ट ब्रेक होना दर्शाया गया है. यानी कांग्रेस ने सिंधिया को भरोसा तोड़ने वाला बताया है.
वहीं दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया है कि वह अपना बहुमत साबित कर देंगे. मंगलवार रात हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद कमलनाथ ने कहा कि जो विधायक गए हैं, हम उनके संपर्क में हैं. इसके साथ ही सरकार के पूरे पांच साल चलने का दावा भी कमलनाथ ने किया. वहीं बीजेपी सिंधिया के कंधे पर सवार होकर सत्ता पर काबिज होने का सुनहरा सपना देखने में लगी हुई है. इसके बावजूद कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि उनके पास बहुमत है और सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है.
मध्यप्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की बात को लेकर कहा- हमने हमेशा देखा है कि कांग्रेस से जाने वाले लोग हमेशा गुर्राते हुए जाते हैं और दुम दबाकर आते हैं और ऐसे अनेक उदाहरण हैं. बघेल ने यह भी “कहा-कुछ तो मजबूरियां रहीं होगी, कोई यूं ही बेवफा नहीं होता.”
वहीं कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने दावा किया कि बीजेपी के कुछ विधायक भी उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा में हम बहुमत साबित करने को तैयार हैं. हमारे कुछ विधायकों को बेंगलुरु ले जाया गया है, जिन्हें मिसलीड किया गया है. ये सभी विधायक हमारे सम्पर्क में हैं और हम जल्द ही पूरी तस्वीर साफ कर देंगे.
सिंधिया ने लोगों के विश्वास के साथ-साथ विचारधारा के साथ भी विश्वासघात किया- अशोक गहलोत
मध्यप्रदेश के सियासी घमासान पर पुडूच्चेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला और मप्र में कर्नाटक की पॉलिसी अपनाने का आरोप जड़ा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘ बीजेपी मप्र में भी कर्नाटक की पॉलिसी अपना रही. ये लोकतंत्र की हत्या है और ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके ट्रैप में फंस चुके हैं. उन्हें जल्द ही इसका अहसास होगा. इस्तेमाल के बाद बीजेपी सिंधिया को निकाल देगी’.
#BJP is enacting the strategy the way they did in #Karnataka . It is murder of democracy #JyotiradityaScindia has fallen into the trap. He will realise the himalayan blunder very shortly. BJP after using #Scindia will through him out. I am confident Shri Kamalnath prove majority.
— V.Narayanasamy (@VNarayanasami) March 11, 2020
इससे पहले मंगलवार सुबह कमलनाथ सरकार में 22 विधायकों और मंत्रियों ने ‘मेरा नेता – मेरा स्वाभिमान’ शीर्षक से अपना इस्तीफा सौंप दिया. अपने लिखे त्याग पत्रों में विधायकों ने सिंधिया को पार्टी में सम्मान और पद न देने का जिक्र किया. इसके बाद कमलनाथ सरकार पर गिरने का खतरा मंडराने लगा है.
बात करें मप्र में सियासी समीकरणों की तो मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इसमें से फिलहाल दो सीट खाली है. ऐसे में मौजूदा विधायकों की कुल संख्या 228 है. सिंधिया की बगावत के साथ अब तक 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा भेजा है. अगर इन कांग्रेसी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो इसकी कुल संख्या 206 हो जाती है, जिसके बाद बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी. बीजेपी के पास पहले से 107 विधायक हैं. ऐसे में उन्हें बहुमत साबित करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
वहीं कांग्रेस के पास 88 कांग्रेस और 4 निर्दलीय सहित 92 विधायक हैं. कुल विधायक मिसिंग भी चल रहे हैं. यहां तो कमलनाथ के पास बहुमत तक पहुंचने का दूर दूर तक कोई रास्ता नहीं दिख रहा. लेकिन जिस तरह कांग्रेस के नेता बहुमत साबित करने को लेकर विश्वस्त हैं, लग तो यही रहा है कि अंदर ही अंदर कमलनाथ कोई तुरूप का इक्का छुपाए बैठे हैं जो बाजी को पलट सकता है.