क्या मैनपुरी में डिम्पल यादव बचा पाएंगी नेताजी की सत्ता और परिवार की विरासत की साख को?

यादव परिवार का पैतृक गढ़ है मैनपुरी लोकसभा सीट, धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव की जमीं पर बहू डिंपल के कंधों पर साख बचाने की चुनौती, मजबूत उम्मीदवार खड़ा करने के लिए कई नामों पर मंथन कर रही बीजेपी

dimple yadav in mainpuri byelection
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Dimple Yadav in Mainpuri By-Election of UP. उत्तरप्रदेश की मैनपुरी लोकसभा मुलायम परिवार की पैतृक सीट मानी जाती है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव में पैतृक सत्ता बनाए रखने के लिए मुलायम की पुत्रवधू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया गया है. डिंपल सोमवार को यानी आज अपना नामांकन दर्ज करने मैनपुरी पहुंच रही हैं, जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी उनके साथ होंगे. मैनपुरी उपचुनाव में पांच दिसंबर को वोटिंग होनी है और आठ दिसंबर को नतीजों का ऐलान होगा. इस चुनाव में डिंपल यादव के उतरने से मैनपुरी सीट अब सपा की प्रतिष्ठा का सवाल तो बन गई है.

चुनावी समर में डिंपल यादव के प्रत्याशी के तौर पर उतरने के बाद समाजवादी कुनबा उनको जीत दिलाने की तैयारियों में लग गया है. इस बीच बीजेपी सपा को उसके ही गढ़ में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. यही वजह रही कि बीजेपी ने उपचुनाव के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.

दरअसल, सपा उम्मीदवार डिंपल के सामने ऐसा तगड़ा प्रत्याशी ढूंढा जा रहा है ताकि एक कड़ी चुनौती पेश की जाए और सालों से सपा के हिस्से में जाने वाली इस सीट को बीजेपी के वाड़े में लाया जा सके. इस बात का अंदाजा योदी सरकार में मंत्री एवं मैनपुरी सदर विधायक जयवीर सिंह के इस बयान से ही लगाया जा सकता है कि नेताजी का युग समाप्त हो गया है और मैनपुरी के लोग बीजेपी की जीत के लिए उत्सुक हैं.

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मैनपुरी की जनता से हमेशा नेताजी यानी मुलायम सिंह का समर्थन किया है. मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई भी इसी एरिया में है. मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के लोगों द्वारा भी इस चुनाव को नेताजी का चुनाव बताया जा रहा है. मैनपुरी सीट से 5 बार जीतकर मुलायम लोकसभा में पहुंचे थे. सपा भले ही मैनपुरी सीट को सुरक्षित मान रही है, लेकिन धरतीपुत्र की जमीं पर बहू डिंपल यादव की चुनावी राह आसान नहीं है. डिंपल पूर्व में फिरोजाबाद और कन्नौज से भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. अब वे मैनपुरी से मैदान में हैं.

सपा मुलायम की विरासत वाली सीट को हासिल करके लोकसभा में अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहती है. हालांकि उपचुनाव में सीधे-सीधे मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच ही है. बीजेपी यहां सपा का गढ़ ढहाना चाहती है.

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बीजेपी की मजबूती ने सपा की राह मुश्किल बना दी है. वर्ष 2004 में हुए आम चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने 3.37 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी, लेकिन पिछले आम चुनावों में जीत का अंतर घटकर केवल 94 हजार वोट रह गया. सपा की ओर से चुनाव मैदान में खुद मुलायम सिंह यादव थे, वहीं भाजपा ने स्थानीय प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया था. इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 वोट मिले, जबकि भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य 4,30,547 ने वोट हासिल किए थे. मुलायम सिंह जैसा बड़ा चेहरा सिर्फ 94,389 वोटों से ही जीता.

सपा की जीत का अंतर ऐसे वक्त में घटा, जब सपा और बसपा गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था. उपचुनाव में सपा के साथ बसपा नहीं है. ऐसे में बसपा वोट में सेंध लगाकर भाजपा बाजी पलट भी सकती है और यही चिंता सपा प्रमुख अखिलेश यादव को परेशान कर रही है.

दरअसल, मैनपुरी में कुल 5 विधानसभा सीटे हैं. इनमें करहल और जसवंत नगर की सीट भी आती है. इन पर फिलहाल अखिलेश यादव और शिवपाल यादव विधायक के तौर पर काबिज हैं. इन सीटों पर लगभग 17 लाख मतदाता हैं, जिसमें यादव 4.25 लाख, शाक्य 3.15 लाख, ठाकुर 2.50, ब्राह्मण 1.25, दलित 1.50 लाख, लोधी 1 लाख, वैश्य 70000 और और मुस्लिम 45 हजार की संख्या में है. मैनपुरी मुलायम सिंह यादव का गढ़ है और उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए डिंपल यादव को सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है.

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यहां बीजेपी डिंपल के सामने अपने उम्मीदवार के लिए खासी मंथन कर रही है. मैनपुरी चुनाव से पहले राज्य संगठन को भेजी गई संभावित बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में प्रेम सिंह शाक्य, प्रदीप चौहान, प्रेमपाल, सतीश पाल और रघुराज शाक्य का नाम शामिल हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी मैनपुरी सीट से अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सकती है.

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