Politalks.News/Karnataka. कर्नाटक में फिर राजनीतिक ‘नाटक’ शुरू हो गया है, लंबे समय से चल रहे सियासी घमासान के बाद आखिरकार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. आपको बता दें कि आज ही कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 2 साल पूरे हुए हैं और आज ही येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफा दिया है.
जिस दिन मनाया जा रहा था जश्न, रोते हुए दिया इस्तीफा
आज से ठीक 2 साल पहले कुमारस्वामी सरकार को गिराकर येदियुरप्पा ने कर्नाटक की गद्दी संभाली थी. आज कर्नाटक सरकार में इसी बात का जश्न मनाया जा रहा था, लेकिन वाह री किस्मत, जिस दिन जश्न मनाया जा रहा था उस दिन रोते हुए हुई येद्दि की विदाई. अभी आने वाले समय में देखने वाली बात होगी कि भाजपा का कर्नाटक में मुख्यमंत्री का अगला चेहरा कौन होने वाला है. आपको याद होगा कि पिछले दिनों जब येदियुरप्पा दिल्ली के दौरे पर आए थे तब से ही उनके इस्तीफा देने की चर्चा जोरों पर थीं. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद येदियुरप्पा ने दावा किया था कि किसी ने भी उनसे उनका इस्तीफा नहीं मांगा. लेकिन अब मुलाकात के कुछ दिनों के बाद उनका इस्तीफा आने से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी वह ठान चुकी थी कि कर्नाटक में वह मुख्यमंत्री बदलने का मन बना चुकी है.
दक्षिण भारत में पहली बार पार्टी को स्थापित कर बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने थे येदियुरप्पा
आपको बता दें, साल 2007 में बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक में पहली बार बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री बनाए गए. कर्नाटक दक्षिण भारत का पहला राज्य बना जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. इससे पहले बीजेपी की पकड़ उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में ही देखी जाती रही थी. हालांकि उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही उनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगे थे.
कौन बिराजेगा येदियुरप्पा की गद्दी पर !
कर्नाटक में अब बड़ा सवाल है कि बीएस येदियुरप्पा की जगह कौन लेगा? पिछली बार यानी 2011 में जब बी एस येदियुरप्पा को हटाया गया था तब उन्होंने डीवी सदानंद गौड़ा को अपना उत्तराधिकारी चुना था, जो गैर लिंगायत थे. हालांकि बाद में उनको हटा कर भाजपा ने लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाया दिया गया था, जिससे नाराज होकर येदियुरप्पा पार्टी से बाहर हो गए थे. इसके बाद येदियुरप्पा अपनी पार्टी बना कर लड़े और यह सुनिश्चित किया कि भाजपा चुनाव नहीं जीत सके. हालांकि बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में करा दिया.
यह भी पढ़ें- यूपी के साथ ही गुजरात में भी चुनाव करवाने के संकेत, ‘एक तीर से दो निशाने’ मारने की फिराक में BJP !
बासवराज बोम्मई हो सकते हैं छुपे रुस्तम!
इस बार अगर येदियुरप्पा को अपना उत्तराधिकारी चुनने का मौका मिलता तो वे लिंगायत नेता को ही मुख्यमंत्री बनाते. उनकी उम्र ज्यादा हो गई है और वे अपनी राजनीतिक वापसी की संभावना नहीं देख रहे हैं. अब येदियुरप्पा की चिंता अपने दोनों बेटों को स्थापित करने की है. सो, कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा की पसंद राज्य के गृह मंत्री बासवराज बोम्मई हैं. वे लिंगायत भी हैं और सरकार में रहने का पुराना अनुभव है. हालांकि इसमें संदेह है कि पार्टी अब येदियुरप्पा की बात को मानेगी.
प्रहलाद जोशी, सीटी रवि और बीएल संतोष तो हैं ही विकल्प
अगर पार्टी ने लिंगायत नेता को चुना तो आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता बासनगौड़ा पाटिल यतनाल या अरविंद बेलाड मुख्यमंत्री बन सकते हैं. तीसरा नाम मुरूगेश आर निरानी है, वे भी लिंगायत हैं. पर मुश्किल यह है कि ये तीनों नेता येदियुरप्पा के विरोधी माने जाते हैं, इसलिए वे इनको रोकने का प्रयास करेंगे. जहां तक गैर लिंगायत नेताओं का सवाल है तो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के नाम की चर्चा है. हालांकि जोशी ने सफाई दी है कि वे दावेदार नहीं हैं. लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल के लीक ऑडियो के मुताबिक वे मुख्य दावेदार हैं.
बढ़ती ‘उम्र’ या ‘भ्रष्टाचार’ के चलते गई कुर्सी!
सवाल ये है कि आख़िरकार क्यों कर्नाटक के ताक़तवर क्षत्रप बीएस येदियुरप्पा को राज्य की भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा है. माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोप और सरकार में बेटे की दखलंदाज़ी के आरोपों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा है. येदियुरप्पा की विदाई के पीछे केंद्र सरकार को दिए गए उनके उस ‘इकरारनामे‘ को भी एक वजह बताया जा रहा है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे ये वादा लिया था कि सत्ता में दो साल पूरे होने के बाद वे पद छोड़ देंगे. कर्नाटक के सियासी हलकों में ये कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा ने उसी ‘इकरारनामे‘ पर अमल पर करते हुए सोमवार को पद छोड़ने का एलान किया और वादा किया कि साल 2023 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए वे काम करते रहेंगे.
यह भी पढ़े: अमरिंदर के बाद अब मुख्यमंत्री गहलोत भी बोले- सोनिया गांधी जो फैसला करेगी, उसके लिए वे तैयार हैं
अपनों ने ही खोला येदियुरप्पा के खिलाफ मोर्चा
येदियुरप्पा के पद से हटने के कुछ और भी कारण हो सकते हैं लेकिन बड़ी वजह यही लग रही है कि पार्टी विधायक और नव नियुक्त मंत्रियों ने दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से सरकार के कामकाज में मुख्यमंत्री के बेटे बीवाई विजेंद्र की दखलंदाज़ी को लेकर शिकायत की थी. बताया जा रहा है कि सरकार के कामकाज पर उनकी पहले जैसी पकड़ नहीं रही थी. कर्नाटक में जब कोरोना महामारी तेज़ी से फैल रही थी, तो येदियुरप्पा अपने स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु के कामकाज से ख़ुश नहीं थे. उन्होंने मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर डॉक्टर के सुधाकर से कर्नाटक में कोरोना महामारी की स्थिति पर राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए कहा था.
सिद्धारमैया ने येदियुरप्पा के इस्तीफे पर उठाए सवाल
बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा की ओर से सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसा क्यों करवाया गया? येदियुरप्पा के पद छोड़ने के कुछ घंटों बाद विपक्षी नेता और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने इस्तीफे के पीछे के कारण पर सवाल उठाया. एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि, ‘राज्य के लोगों को सत्ताधारी पार्टी के नेता के इस्तीफे के पीछे का असली कारण बताया जाना चाहिए. सिद्धारमैया ने संकेत दिया है कि बीजेपी ने येदियुरप्पा को उनके खिलाफ भ्रष्ट्राचर के आरोपों के कारण पद छोड़ने के लिए कहा और पीएम नरेंद्र मोदी से जांच शुरू करने का आग्रह किया. बता दें कि चार बार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उस दिन अपना पद छोड़ने का ऐलान किया जिस दिन बीजेपी ने बेंगलुरु में उनकी सरकार के दूसरे साल का जश्न मनाया था
येदियुरप्पा इस्तीफा देने के बाद हुए भावुक
2 सालों तक कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद संभालने वाले बीएस येदियुरप्पा अपना इस्तीफा देने के बाद भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद जरूर छोड़ रहे हैं लेकिन लोगों के लिए अभी उन्हें काफी काम करना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे सभी साथियों ने काफी मेहनत की है और आगे भी करते रहेंगे. हालांकि इस दौरान येदियुरप्पा ने एक वाक्य बोल कर सबको चौंका दिया जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘हमेशा उन्हें ही अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है’.
यह भी पढ़े: सचिन पायलट से किए वादों को निभाना आलाकमान की मजबूरी या सियासी कूटनीति!
दिल्ली में मुलाकात के बाद से थी इस्तीफे की चर्चा
आपको ये बता दें कि येदियुरप्पा के दिल्ली के दौरे के बाद से ही लगातार स्थिति पर चर्चा हो रही थी. उस समय से ही मीडिया में खबर चल रही थी कि वह कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि येदियुरप्पा खुद इन बातों को अफवाह करार देते रहे. 2 दिनों पहले ही उन्होंने यह साफ कर दिया था कि यदि केंद्रीय नेतृत्व यह चाहेगा तो वह इस्तीफा दे देंगे. यहां बता दें कि 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस जीडीएस ने सरकार बनाई थी. लेकिन यह सरकार 1 साल ही चल पाई जिसके बाद येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई थी.