Politalks.News/HanumanBeniwal. राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग में आदिबद्री धाम और कनकांचल में हो रहे अवैध खनन को बंद करने के विरोध में आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु विजय दास की शनिवार देर रात मौत हो गई है. जिले में करीब डेढ़ साल से साधु खनन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. अवैध खनन के विरोध में संत विजयदास के आत्मदाह करने पर अब प्रदेश की सियासत गरमा गई है. विपक्षी दलों ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी बीच इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए नागौर सांसद एवं RLP मुखिया हनुमान बेनीवाल ने साधू विजयदास के निधन पर गहरा दुःख जताया है. बेनीवाल ने कहा कि, ‘पहाड़ों को बचाने के लिए खनन के विरुद्ध संतो के आंदोलन को राजस्थान सरकार द्वारा अनदेखा किया गया और आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां बनी जो एक संत को आत्मदाह करने के लिए मजबूर कर दिया,यह सीबीआई जांच का विषय है.’
दरअसल, भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन पर उतर आये. विरोध जताने के लिए बुधवार को बड़ी संख्या में साधु-संत जुटे लेकिन इस दौरान आंदोलन स्थल पर एक संत ने आग लगा ली. गंभीर रूप से झुलसे संत विजयदास को पहले जयपुर स्थित SMS अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन उनके स्वास्थ्य में सुधार को ना देखते हुए प्रशासन ने उन्हें ग्रीन कॉरिडोर के जरिए दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. जिसके बाद संत का शनिवार अल सुबह करीब 2.30 निधन हो गया. ऐसे में आंदोलनरत संत विजय दास के निधन के कारण आदिबद्री धाम में शोक व्याप्त हो गया. वहीं संत विजयदास के निधन पर प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है. जहां एक तरफ सरकार के विधायक ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह की धमकी दे रहे हैं तो वहीं संत के निधन के बाद विपक्ष ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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इसी कड़ी में नागौर सांसद एवं RLP मुखिया हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर संत विजयदास के निधन पर दुःख प्रकट किया और कहा कि, ‘भरतपुर में खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले वाले संत विजय दास जी का दिल्ली में उपचार के दौरान निधन हो जाना अत्यंत दु:खद खबर है. पहाड़ों को बचाने के लिए खनन के विरुद्ध संतो के आंदोलन को राजस्थान सरकार द्वारा अनदेखा किया गया और आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां बनी जो एक संत को आत्मदाह करने के लिए मजबूर कर दिया, यह सीबीआई जांच का विषय है. आज न केवल राजस्थान बल्कि देश भर में खनन माफिया सिस्टम को चुनौती देते नजर आ रहे है. विगत दिनों हरियाणा के नूंह जिले में खनन माफियाओ ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या कर दी और ऐसे कई उदाहरण देश भर में देखने को मिल जायेंगे जहां सरकार व सिस्टम ऐसे माफियाओं के आगे मूकदर्शक बने मिल जायेंगे.
सांसद हनुमान बेनिवला ने कहा कि, ‘राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री केवल कुर्सी बचाने में व्यस्त है और उनके लिए खनन माफियाओं पर लगाम लगाने से ज्यादा कुर्सी बचाना जरूरी है ऐसे में राजस्थान सरकार के जिम्मेदारों ने संतो के इस आन्दोलन को अनदेखा किया. राजस्थान सरकार के एक दर्जन से अधिक विधायक और मंत्री अवैध खनन की गतिविधियों में संलिप्त है और खनन माफियाओं को संरक्षण दे रहे है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक लगातार राजस्थान सरकार के ही खान मंत्री पर अवैध खनन करवाने, खनन माफियाओं को संरक्षण देने व खान विभाग में लगातार भ्रष्टाचार बढ़ाने के आरोप लगा रहे है और खान मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहे है. इससे ज्यादा विडंबना नहीं हो सकती. मेरी राजस्थान सरकार से मांग है की इस पुरे प्रकरण की सीबीआई जांच करवाएं. पर्यावरण व पहाड़ों को बचाने के लिए एक संत ने शहादत दी है, ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें.