राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की जल्दबाजी! तो क्या इस कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो जाएगा कानूनी रूप ले चुका CAB?

आखिर क्यों खारिज कर दीं सभापति ने कपिल सिब्बल और टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर की आपत्तियां? तो क्या CAB को पास करने को लेकर सरकार के दबाव में हो रहा था सब कुछ?

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही अब नागरिकता संशोधन बिल कानून बन चुका है. बुधवार को राज्यसभा से पारित हुए नागरिकता संशोधन बिल को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी सभापति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu on CAB) को?, आखिर क्यों खारिज कर दीं सभापति ने कपिल सिब्बल और टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर की आपत्तियां?

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तो क्या CAB को पास करने को लेकर सरकार के दबाव में हो रहा था सब कुछ? क्यों विधेयक को पास कराने से पहले सरकार ने विधि मंत्रालय को नहीं भेजी इसकी फाइल? इन सब सवालों के जवाब अब राजनीति हलकों में जबरदस्त चर्चा का विषय बने हुए हैं. इधर कपिल सिब्बल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर सरकार को ऐसी क्या जल्दबाजी थी बिल लाने की जिसके कारण वो नागरिकता संशोधन बिल में धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक प्रताड़ना जैसे महत्वपूर्ण शब्दों का उल्लेख करना भूल गई? (Venkaiah Naidu on CAB)

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के अनुसार जल्दबाजी और लापरवाही के कारण धार्मिक प्रताड़ना शब्दों का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है, उन्होंने कहा कि विधेयक के साथ संलग्न कागजातों में जरूर धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रताड़ित करने का जिक्र किया गया है. सिब्बल ने ये भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट में विधेयक (जो कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन चुका है) को कोर्ट द्वारा तुरंत प्रभाव से खारिज कर दिया जाएगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को असम में NRC के लिए एक और प्रयास के लिए मनाही के बाद सरकार ने आनन-फानन में इस बिल को लाने की योजना बनाई और उसमें कामयाब भी हो गई. सरकार ने NRC से बाहर 19 लाख लोगों में से 12 लाख हिंदुओं के लिए इस बिल को संसद में पास कराया है. ताकि एनआरसी में छूटे इन हिंदुओं को लाभ दिलाया जा सके. (Venkaiah Naidu on CAB)

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लेकिन विपक्ष शुरुआत से ही इस बात को लेकर निश्चिंत है कि वे इस बिल (जो देर रात राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानूनी रूप ले चुका है) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं और अब कपिल सिब्बल की बातों से भी विपक्ष इसे लेकर आशांवित है कि इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट बड़ी खामियों के चलते पहली ही बार में खारिज कर देगा. अब देखना ये होगा कि विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा ?

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