Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में चल रहे सियासी संग्राम का आखिरी चरण शुरू हो गया है. ऐसे में अभी कुछ पत्ते कांग्रेस के खुलने बाकी हैं, तो कुछ बीजेपी के. दोनों सियासी दल है निश्चित हैं, दोनों के पास कई चाणक्य होंगे. सियासत का नियम ही यह है कि पहले एक पार्टी अपना पत्ता खोलेगी फिर दूसरी पार्टी. यही तो राजस्थान की सियासत में चल रहा है. राजस्थान की इन दोनों पार्टियों की एक खास बात है, कि दोनों एक के बाद एक राजस्थान पर राज करती रहती हैं.
राजस्थान में हरदेव जोशी के बाद कई लोग आए, जिन्होंने कांग्रेस को बनाए और बचाए रखा तो उनमें अशोक गहलोत का नाम सबसे बड़ा और प्रमुखता से लिए जाने वाला नाम है. ऐसे ही भाजपा में भैरोसिंह शेखावत के बाद वसुंधरा राजे ऐसा नाम रही हैं, जो भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा है. लेकिन पिछले सालों में कांग्रेस और भाजपा में दो और बड़े नाम उभरे, एक कांग्रेस से सचिन पायलट तो दूसरा बीजेपी से ओम माथुर.
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संघ की पृष्ठभूमि से जुडे़ ओम माथुर जब राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, तो राजस्थान की राजनीति के चाणक्य से कम में उनकी गिनती नहीं होती थी, लेकिन जब जनता के लोकप्रिय चेहरे की बात हुई तो वसुंधरा राजे ओम माथुर से आगे खड़ी थीं. 20 साल पहले की राजनीतिक स्थितियों को समझने वाले लोग जानते हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने को लेकर वसुंधरा राजे और ओम माथुर के बीच काफी लंबा वर्चस्व का संघर्ष चला था. इस संघर्ष का अंत यह हुआ कि राजस्थान को मुख्यमंत्री के तौर पर वसुंधरा राजे के मिलने के साथ ही ओम माथुर की राजस्थान से विदाई हो गई.
राजस्थान से दूर होकर ओम माथुर भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गए और उन्होंने गुजरात में बीजेपी की जीत के बाद कई राज्यों में अपनी काबलियत का लोहा मनवाया. लेकिन जब तक वसुंधरा राजे राजस्थान में मुख्यमंत्री के रूप में रहीं, ओम माथुर राजस्थान में दिखने ही बंद हो गए. यहां दिखने ही बंद हो गए का अर्थ केवल उनकी राजनीतिक व्यवस्था से रहा है. अब जब वसुुंधरा राजे को सबसे कमजोर दौर की वसुंधरा के रूप में देखा जा रहा है, तब ओम माथुर एक बार फिर राजस्थान की भाजपा की रणनीति में सक्रिय भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं.
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ओम माथुर इस समय भाजपा के बहुत कद्दावर राष्ट्रीय नेता हैं. उनका जयपुर में इस समय आना, जब प्रदेश का सियासी घमासान अपने चरम पर है और ऐसे समय मे जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी केबिनेट का हर मंत्री कह रहा है कि राजस्थान में भाजपा के पास वसुंधरा राजे से बड़ा दमदार नेता और चेहरा कोई और नहीं है, राजस्थान भाजपा नेताओं सहित कार्यकर्ताओं के लिए बहुत बड़ी बात है. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपना सियासी हमला यहीं नहीं रोका, यह भी कह दिया कि बीजेपी के कुछ नेता, जिनमें कोई दम नहीं हैं, वसुंधरा राजे को साइड लाइन कर रहे हैं. इसके आगे समझदार को इशारा काफी है… राजनीतिक स्थितियां कुछ ऐसी हैं कि हम तो कुछ नहीं कहना चाहते, फिर आजकल सब सबकुछ खुद ही समझ लेते हैं.