कहते हैं कि किसी भी सफल पुरुष के पीछे किसी ने किसी महिला का हाथ जरूर होता है यह कहावत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बिल्कुल सटीक बैठती है। यूं तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आज इस मुकाम तक पहुंचाने में प्रदेश की जनता का जितना हाथ है, उतना ही हाथ उनकी बड़ी बहन विमला का है।
बचपन से ही अशोक गहलोत अपनी बहन विमला के सानिध्य में पढ़ाई-लिखाई कर बड़े हुए और उन्हीं के यहां रहकर उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले अपनी बड़ी बहन विमला का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ अब उनके पुत्र वैभव गहलोत भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हैं। शायद वैभव गहलोत को इस बात का एहसास हुआ है कि उनके पिता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सफलता के पीछे उनकी बड़ी बहन विमला का आशीर्वाद ही है।
यही वजह रही कि जब वैभव गहलोत अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत करने जा रहे थे तो सबसे पहले उन्होंने अपनी बुआ विमला का आशीर्वाद लेना उचित समझा। नामांकन दाखिल करने से पहले वैभव गहलोत सीधे अपनी बुआ विमला के घर पहुंचे और अपनी बुआ का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया. विमला देवी ने भी हमेशा की तरह अपने लाडले भतीजे को आशीर्वाद और स्नेह के साथ दुलारा. उसके बाद उन्होंने वैभव के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर नेकी भी दी। यहां से आशीर्वाद लेने के बाद वैभव गहलोत सीधे ही नामांकन भरने पहुंचे।
आमतौर पर कोई भी प्रत्याशी नामांकन दाखिल करता है तो वह पहले भगवान के चरणों में सिर झुका कर और पूजा अर्चना कर अपना नामांकन दाखिल करता है लेकिन वैभव ने अपनी बुआ का आशीर्वाद लेकर राजनीतिक सफर की शुरुआत की है। जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उस दौरान विमला ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हर चुनाव में अशोक गहलोत मतदान के बाद सीधे उनके पास आते हैं और यहां से आशीर्वाद लेने के बाद ही जयपुर लौटते हैं।
2013 के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व्यस्तता के चलते मतदान करने के बाद अपनी बहन विमला से बिना मिले जयपुर निकल गए और चुनावी परिणाम से तो सभी वाकिफ हैं। इस चुनाव में कांग्रेस 50 सीटें भी नहीं निकाल पाई थी. इस बार जब 2018 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मतदान किया, उसके तुरंत बाद अपनी बहन के घर पहुंचे और उनसे आशीर्वाद लेकर जयपुर की ओर निकले। जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद पर बनने की घोषणा हुई तो विमला देवी ने कहा था कि पिछले चुनाव में व्यवस्थाओं के चलते अशोक गहलोत उनके पास नहीं आ सके थे जिसके चलते शायद वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए लेकिन इस बार वह उनके यहां आकर उनका आशीर्वाद लिया तो आज एक बार फिर वह मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
अपने पिता अशोक गहलोत से प्रेरणा लेकर वैभव गहलोत ने भी आज इस परंपरा को जारी रखा है। अब देखना होगा कि हमेशा अपने भाई अशोक गहलोत के कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें विपरीत परिस्थितियों में सफलता दिलाने वाली उनके बड़ी बहन विमला अपने भतीजे के लिए कितना लकी साबित होती है।