Politalks.News/JammuKashmir. आज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को खत्म करने की दूसरी सालगिरह है. आज ही के दिन यानी पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी कर दिया गया था. केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का ऐलान भी किया था. आज यानी गुरुवार को इस ऐतिहासिक कदम के दो साल पूरे हो गए हैं. इस अवधि में जम्मू-कश्मीर से जुड़े कई प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है. इतना ही नहीं, केंद्र शासित राज्य के हालात भी काफी कुछ बदल गए हैं. आइए इनमें से कुछ पर नजर डालते हैं और हालातों को समझने की कोशिश करते हैं. इस साल फरवरी में इंटरनेट और 4जी कनेक्टिविटी बहाल कर दी गई, जिससे 18 महीने की बंदी का अंत हुआ. करीब-करीब सभी राजनैतिक बंदी रिहा कर दिए गए हैं.
विश्वासघात दिवस मना रही है PDP
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 5 अगस्त को देश के संवैधानिक और लोकतांत्रिक इतिहास में एक काला दिन बताया है. मुफ्ती ने कहा कि 2019 में इस दिन उठाए गए कदम से न केवल लोगों के विश्वास के साथ विश्वासघात किया बल्कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को और भी जटिल बना दिया. मुफ्ती ने एक बयान जारी कर कहा कि 5 अगस्त देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था के विनाश की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा दिन है जब देश से झूठ बोला गया और सर्वोच्च संस्थानों का दुरुपयोग किया गया. पाकिस्तान भारत संबंधों की चर्चा करते हुए सुश्री मुफ्ती ने कहा कि, ‘जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की हड्डी के बजाय दोस्ती का सेतु बनना है तथा पीडीपी ऐसा होते देखने के लिए प्रयास जारी रखेगी. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग औऱ उऩकी पार्टी आज के दिन को ‘विश्वासघात दिवस’ के रूप में मना रहे हैं
आम कश्मीरियों ने देश को अपने और करीब पाया
अनुच्छेद 370 हटने से ना सिर्फ आंकड़ों में सुधार हुआ है, आम कश्मीरियों ने देश को अपने और करीब पाया है. और इस बात को पूरी दुनिया ने तब देखा जब आम कश्मीरी लोगों ने पंचायत चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और बताया कि वो बुलेट नहीं बैलेट के जरिए अपना भविष्य खुद तय करता है. 2 साल पहले घाटी में जम्हूरियत इंसानियत और कश्मीरीयत का जो बीज बोया गया था, वो अब फलने फूलने लगा है.
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गुपकार गठबंधन का उदय
जम्मू-कश्मीर में जो दल एक-दूसरे के विरोध में राजनीति करते थे, वे अब गुपकार गठबंधन के तहत एकजुट हैं. इसमें पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा. गुपकार सहित अन्य दलों के साथ पीएम मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक की थी. जिसमें इन लोगों से परिसीमन को लेकर राय मांगी गई.
शेख अब्दुल्ला का जन्मदिन नहीं मनता
हर साल पांच दिसंबर को शेख अबदुल्ला का जन्मदिन सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता था. हालांकि, 2019 में यह प्रथा बंद कर दी गई. इसी तरह शेख अब्दुल्ला के नाम वाली कई सरकारी इमारतों के नाम बदल दिए गए.
ये आंकड़े भी हैं महत्वपूर्ण
आंकड़े बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में साल 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में 2300 लोगों के खिलाफ UAPA कानून के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा 954 लोग ऐसे हैं, जिन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया है. UAPA में न सिर्फ सख्त सजा का प्रावधान है बल्कि जमानत मिलने के नियम भी काफी सख्त हैं. शायद यही वजह है कि UAPA के तहत केस का सामना कर रहे 2300 में से करीब 46 फीसदी लोग अब तक जम्मू-कश्मीर या दूसरे राज्यों की जेलों में बंद हैं. ऐसा ही कुछ पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत बुक किए 30 फीसदी लोगों के साथ हुआ है.
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बड़े नेताओं पर लगा पब्लिक सेफ्टी एक्ट
ऐसा नहीं है कि UAPA की मार आम लोगों पर ही पड़ी हो. कश्मीर के बड़े नेता भी इसके शिकार हुए हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक पुलिस डेटा का हवाला देते हुए लिखा है कि साल 2019 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट में 699 लोगों को गिरफ्तार किया गया. साल 2020 में 160 और 2021 जुलाई तक 95 लोगों को इस एक्ट के तहत अरेस्ट किया गया. इनमें से 284 लोग अब भी सलाखों के पीछे हैं. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का खास दर्जा खत्म होने के 30 दिन के अंदर तकरीबन 290 लोगों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया. इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं. अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जिन पर पब्लिक सेफ्टी कानून लगा, उनमें कश्मीर क्षेत्र के कम से कम 250 लोग थे.
भविष्य की राह परिसीमन
जम्मू-कश्मीर विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन होने जा रहा है, जिससे घाटी में आने वाली सात सीटें जम्मू में चले जाने की संभावना है. इससे क्षेत्र की राजनीति पर व्यापक असर पड़ेगा. इस बाबत परिसीमन आयोग की प्रक्रिया जारी है.
पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी
अनुच्छेद-370 हटने के बाद पत्थरबाजी, आतंकी घंटनाओं में कमी आई है तो अलगाववादी की जमीन भी खिसकी है. साल 2018 में कश्मीर में पत्थरबाजी की 1,458 घटनाएं हुईं, 2019 में ये बढ़कर 1,999 पर पहुंच गईं, फिर 370 हटा और अगले साल यानी 2020 में पत्थरबाजी की सिर्फ 255 घटनाएं हुईं. इस साल यानी 2021 में जनवरी से जुलाई तक सिर्फ 76 घटनाएं हुई हैं.
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आतंकवाद की घटनाओं में भी कमी आई
पत्थरबाजी के अलावा आतंकवाद जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या है. इस आतंकवाद की वजह से पिछले 30 सालों में जम्मू कश्मीर में हजारों आम लोग मारे गए हैं, लेकिन जब से धारा 370 हटी है तब से आतंकवाद की घटनाओं में भी कमी आई है. अगस्त 2017 से जुलाई 2019 तक जम्मू कश्मीर में 129 आम नागरिक मारे गए, 211 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए और 509 आतंकवादी भी मारे गए. धारा 370 हटने के बाद अगस्त 2019 से अगस्त 2021 तक 66 आम नागरिकों की मौत हुई, यानी 49 प्रतिशत की कमी आई. सुरक्षाबलों के 131 जवान शहीद हुए यानी 62 प्रतिशत की कमी आई और 365 आतंकवादियों को भी मार गिराया गया. यानी आतंकवादियों के मारे जाने में भी 28 प्रतिशत कीकमी आई है.
बेझिझक आ रहे निवेशक
निवेशक बेझिझक घाटी की ओर बढ़ रहे हैं. नई औद्योगिक नीति का असर नजर आने लगा है. 24 महीने के अंतराल में ही 14 क्षेत्रों में निवेश आने लगा. कनाडा के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग में संभावना तलाशीं. इसके अलावा अबुधाबी स्थित लुलु ग्रुप 60 करोड़ के निवेश के लिए समझौता किया. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े देश के तीन बड़े समूह भी 3,325 करोड़ रुपए का निवेश करने का प्रस्ताव जमा करा चुके हैं. साथ ही पर्यटन, फिल्म पर्यटन, बागवानी, फसल कटाई के बाद का प्रबंधन, कृषि, फूड प्रोसेसिंग, रेशम, स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, उत्पादन, आइटी, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचा व रियल एस्टेट, हथकरघा व हस्तकला और शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ा है.
कश्मीर फिर से बनेगा बॉलीवुड की पहली पसंद
1990 के दशक में जब आतंकवाद का दौर शुरू हुआ तो यहां सिर्फ 4 फिल्मों की शूटिंग ही हुई. हलांकि साल 2000 के बाद हालात कुछ बदले और उसके बाद अगले 10 सालों में 15 फिल्में फिल्माई गईं. 2010 के बाद अब तक कुल 21 फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में हुई है. अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शूट की गई पहली फिल्म थी- कश्मीर: द फाइनल रिजोल्यूशन. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ये आंकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है और कश्मीर फिर से बॉलीवुड की पहली पसंद बनेगा.