पॉलिटॉक्स न्यूज/कर्नाटक. पिछले साल कांग्रेस के 13 सहित कुल 16 विधायकों के एक साथ इस्तीफा देने की वजह से कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार डूब गई थी, जो कांग्रेस के साथ गठबंधन में थी. उसके बाद येदियुरप्पा ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की और सत्ता की कुर्सी संभाली. ऐसा ही कुछ हाल ही में मध्य प्रदेश में भी हुआ था. अब लगने लगा है कि कर्नाटक में एक बार फिर तख्ता पलट की तैयारी हो रही है. बीजेपी के नेता खुद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार को घेरने की तैयारी में हैं. लिंगायत नेता उमेश कत्ती सहित अन्य 20 विधायक येदियुरप्पा के सामने संकट खड़ा करते दिख रहे हैं.
सीएम येदियुरप्पा के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले ज्यादातर विधायक उत्तर कर्नाटक से हैं. ये सारे बागी विधायक उमेश कत्ती से समर्थक हैं. कत्ती बेलगाम जिले के ताकतवर लिंगायत नेता है. गुरुवार को उन्होंने 20 विधायकों को डिनर पर बुलाया. हालांकि इस पार्टी और बैठक के बारे में कोई अधिकारिक तौर पर बात नहीं कर रहा है लेकिन दबे स्वर में ये जरूर कहा जा रहा है कि ये सारे विधायक मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खिलाफ गोलबंद हो रहे हैं.
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सूत्रों के मुताबिक उमेश कत्ती और उनके समर्थित विधायकों को येदियुरप्पा के काम करने के तरीकों से ऐतराज है. ये सभी विधायक चाहते हैं कि मुख्यमंत्री अपने कामकाज़ के तरीके को बदले. इसके अलावा, येदियुरप्पा से नाराज़ चल रहे विधायक चाहते हैं कि 8 बार के विधायक उमेश कत्ती को कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. साथ ही उक्त नेताओं की एक मांग ये भी है कि उमेश कत्ती के भाई रमेश कत्ती को राज्यसभा भेजा जाये.
इस बीच खबर है कि बीएस येदियुरप्पा ने उमेश कत्ती को मीटिंग के लिए बुलाया है और ताजा घटनाक्रम पर उनसे जवाब भी मांगा है. उधर एक अन्य लिंगायत विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीआर पाटिल यतनाल को लेकर येदियुरप्पा नाराज़ चल रहे हैं. येदियुरप्पा को लग रहा है कि वो सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं. हालांकि ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को येदियुरप्पा के समर्थकों ने तरजीह नहीं दी है. उनका कहना है कि येदियुरप्पा की सरकार पूरी तरह सुरक्षित है. लेकिन जिस तरह से सरकार के 22 विधायक मुख्यमंत्री को घेरने की फिराक में हैं, येदियुरप्पा की कुर्सी को खतरा हो या न हो लेकिन डोलने का अहसास भली भांति हो गया है.
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अब परिस्थितियां बिलकुल पहले जैसी हो चली हैं. सरकार में भी 16 विधायकों के इस्तीफों के बाद सरकार गिर गई थी. अबकी बार 22 हैं और कहा जाए तो कोरोना काल में लोगों की मोदी सरकार के प्रति नाराजगी भी है. ऐसे में अगर येदियुरप्पा समय पर नहीं चेते तो एक साल पुराना इतिहास फिर से दोहराया भी जा सकता है.