Politalks.News/Chattisgadh. छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच का विवाद वैसे तो राज्य में उसी दिन से शुरू हो गया था जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन ढाई साल पूरे होने के बाद यह पूरी तरह सतह पर आ गया है. राजस्थान-हरियाणा के बाद अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकतीं हैं. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार चल रही है. असल में ढाई-ढाई साल पर रोटेशन के तहत छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाएं तेज़ हैं और इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव दिल्ली दौरे पर हैं. टी एस सिंह देव ने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में पहली बार इस पूरे घमासान पर चुप्पी तोड़ी.
राजनीति में नहीं होता कई लिखित फॉर्मूला- टीएस सिंह देव
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा कि, ‘राजनीति में मुख्यमंत्री बदलने का कोई लिखित फार्मूला तो तय नहीं होता मगर मुझे उम्मीद है कि नेतृत्व उचित फैसला करेगा’. टीएस सिंह देव ने कर्नाटक और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कि, ‘कर्नाटक और उत्तराखंड में कोई फार्मूला था क्या जहां मुख्यमंत्री बदले गए? टीएस सिंह देव ने उत्तर प्रदेश का भी उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में भी तो योगी आदित्यनाथ को बदलने पर मंथन हुआ था.
बघेल पहले ही कह चुके जो आलाकमान कहेगा वो करेंगे
आपको बता दें कि हाल हीं में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री भपेश बघेल ने कहा था कि, ‘राज्य में तीन-चौथाई बहुमत की सरकार चल रही है लिहाज़ा रोटेशन जैसे किसी समझौते का सवाल हीं नहीं पैदा होता. हालांकि मुख्यमंत्री बघेल ने साथ ही ये भी कहा था कि, ‘नेतृत्व ने जब उन्हें शपथ लेने को कहा था तब उन्होंने शपथ ली थी, उसी तरह अगर नेतृत्व उन्हें इस्तीफा देने को कहेगा तो पद छोड़ देंगे’.
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क्या सच में ढाई-ढाई साल को लेकर हुआ था कमिटमेंट!
अब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदले जाने की ज़रूरत पर पूछे गए सवाल के जवाब में टी एस सिंह देव ने ये भी कहा कि, ‘नेतृत्व हमेशा उन पर ध्यान देता है और नेतृत्व उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी देता है वो उसके लिए हमेशा तैयार हैं. असल में जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से टी एस सिंह देव के करीबियों का कहना है कि नेतृत्व के सामने भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव के बीच ढाई-ढाई साल पर मुख्यमंत्री बनने की समझ बनी थी, जिसका अब पालन होना चाहिए.
पहले देव करते रहे हैं ऐसी कोई कमिटमेंट से इनकार
इससे पहले टीएस सिंहदेव ने ढाई- ढाई साल मुख्यमंत्री पद पर रहने की बात को नकारते हुए कहा कि, ‘आज तक मैंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मीडिया के लोग ही इसे उठाते है. मीडिया में बात आती है तो साफ करते देते है राजनीति में ऐसा कोई अनुबंध नहीं होता है. पार्टी आला कमान ही इस तरह के फैसले करते है. वैसे यह पूरी तरह से बेबुनियाद है’. लेकिन अब खुद टीएस सिंह देव ने मुख्यमंत्री बदलने का मुद्दा उठाया है. अब देखना यह होगा की क्या आलाकमान इस ओर ध्यान देता है या नहीं?
भूपेश बघेल बनाम टीएस सिंह देव ‘कोल्डवार’
मुख्यमंत्री बघेल और सिंहदेव के बीच टकराव और शीतयुद्ध की खबरें पिछले ढाई साल से लगातार आती रही हैं. माना जाता है कि अपनी सत्ता को मिलने वाली संभावित चुनौती को दबाने के लिए बघेल अकसर सिंहदेव को दरकिनार करने की कोशिश करते हैं. प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद महत्वपूर्ण बैठकों में सिंहदेव को आमंत्रित न करना, उनके विचारों को तवज्जो नहीं देना, सिंहदेव-समर्थकों की अनदेखी करना- पिछले ढाई साल में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं. इधर, सिंहदेव भी कई बार सरकार के फैसलों पर सार्वजनिक आपत्ति जता चुके हैं. करीब एक महीने पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी अनुदान देने के राज्य सरकार के फैसले से उन्होंने दूरी बना ली थी. सिंहदेव ने स्पष्ट कहा था कि स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद उनसे इस बारे में कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया. कई बार उनका रवैया मुख्यमंत्री के फैसले को चुनौती देने वाला रहा है.
एक आक्रामक, दूसरा सौम्य, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का हिट फॉर्मूला
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दोनों बड़े चेहरे, मुख्यमंत्री बघेल और सरगुजा राजपरिवार के सिंहदेव की छवि बिल्कुल उलट रही है. बघेल की छवि आक्रामक रही है. बघेल अपने विरोधियों पर सीधा हमला करने से पीछे नहीं हटते. 2018 के चुनाव में बीजेपी की 15 साल की सरकार को अपदस्थ करने में उनकी इस छवि की बड़ी भूमिका थी. इसके बूते बघेल पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने में कामयाब रहे, लेकिन सत्ता संभालने के बाद उनकी यह आक्रामकता पार्टी के लिए मुसीबत भी बनती रही है. वहीं, टीएस सिंहदेव इसके उलट अपनी सरल और सौम्य छवि के लिए जाने जाते हैं. सिंहदेव की राजनीतिक कार्यशैली सबको साथ लेकर चलने की है. कांग्रेस पार्टी के लिए दोनों जरूरी हैं क्योंकि इनकी आक्रामकता और सौम्यता प्रदेश की राजनीति में बैलेंसिंग फैक्टर का काम करता है.