पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हैदराबाद कांड (Hyderabad scandal) को लेकर देशभर में आक्रोश है. हैदराबाद के शमशाबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के साथ सामुहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद शव को आग के हवाले कर दिया गया. इस घटना के बाद देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं और मृतका को न्याय दिलाने एवं आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने की मांग की जा रही है. सोमवार में भी इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा कांग्रेस ने किया. लेकिन इस मामले में अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की चुप्पी समझ से परे है.
हर छोटे बड़े मुद्दे पर सोशल मीडिया पर अपने बयान और राय रखने वाले राजनीति के ये दोनों दिग्गज़ हैदराबाद कांड के तीन दिन बाद भी अब तक चुप हैं. देश के सबसे बड़े दो सरकारी ओहदों पर बैठे ये मोदी और शाह ने न तो किसी बयान के जरिये और ना ही ट्वीट पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, न ही इस बारे में कोई कड़ा एक्शन लेने की बात ही कही, जबकि देशभर में हो रहे प्रदर्शन कभी भी किसी बड़े आंदोलन में बदल सकते हैं. हालांकि मोदी और शाह ही नहीं, अधिकांश बीजेपी नेता इस मामले से बचते नजर आ रहे हैं.
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सोमवार को राज्यसभा में भी हैदराबाद कांड (Hyderabad scandal) जोर शोर से उठाया गया और इस बारे में एक सख्त कानून बनाने की मांग की गई. वहीं उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने दुष्कर्मियों के लिए ‘लिंचिंग’ को बेहतर तरीका बताया. उन्होंने कठुआ और निर्भया मामले में सरकार की ओर से उठाए गए प्रयासों के बारे में सवाल उठाया. कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने भी सख्त कानून बनाने और सबको साथ मिलकर इस लड़ाई को लड़ने की बात कही. वहीं दूसरी ओर, देश के गृहमंत्री सोशल मीडिया पर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को जन्मदिन की बधाई देते हुए और झारखंड में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दिखे. पीएम मोदी की ओर से भी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया अभी तक देखने को नहीं मिली. इस बारे में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और जी.किशन रेड्डी ने लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा कठोर कानून बनाए जाने की बात तो कही लेकिन कब और कैसे… इस बारे में कुछ नहीं कहा.
हैदराबाद मामले (Hyderabad scandal) में तेलंगाना के गृहमंत्री मोहम्मद महमूद अली ने तो खुद मृत पीड़िता को ही घटना का जिम्मेदार ठहरा दिया. मंत्री अली ने कहा कि डॉक्टर युवती ने अगर खतरे को भांप लिया था तो काश बहन की जगह पुलिस की फोन लगाया होता तो शायद वो बच जाती. आखिर वह पढ़ी लिखी थी’. उनके इस बयान की भी देश भर में कड़ी निंदा की गई.
ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली खबर रविवार को राजस्थान से भी आई है. टोंक जिले के खेड़ली गांव में कक्षा एक में पढ़ने वाली 6 साल की मासूम बच्ची का शव उसके स्कूल से 200 फीट दूर एक सुनसान जगह पर मिला. बच्ची से दुष्कर्म की पुष्टि हुई है. दुष्कर्मी ने बच्ची की बेल्ट से उसका गला इस कदर दबाया कि उसकी आंखें तक बाहर निकल आई. वहीं इस मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा, ‘(अलीगढ़) टोंक, राजस्थान में मासूम बच्ची के दुष्कर्म और हत्या की घटना बेहद निंदनीय और शर्मनाक है. इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा’.
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देश में लगातार इस तरह की दरिंदगी बढ़ती जा रही है, इस बात में कोई संदेह नहीं. एक सर्वे के अनुसार, हर 20 मिनिट में देश में एक रेप केस सामने आ रहा है लेकिन कानून के हालात भी इस कदर बिगड़े हुए हैं कि सालों साल केवल मामला अदालत में चलता रहा है लेकिन सजा का कोई प्रावधान नहीं. दिल्ली में बहुचर्चित निर्भया कांड में एक को छोड़ सभी आरोपियों को फांसी की सजा हो चुकी है लेकिन मामले को सात साल बीतने के बाद भी मामला वहीं का वहीं है. देश के 26 राज्यों में से 10 राज्यों ने अभी तक इमरजेंसी नंबर 112 अभी तक शुरु तक नहीं किया जिनमे से 9 राज्यों में भाजपा और उनकी समर्थन की सरकार है.
केंद्र में भी बीजेपी सरकार पिछले 6 सालों से विराजमान है लेकिन दुष्कर्म जैसे घिनौने क्रियाकलापों पर कोई कठोर कानून अब तक नहीं बन पाया है. जबकि देश में दुराचारियों को मौत की मांग का कानून बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है. इस मामले में कई बार प्रदर्शन तक हो चुके हैं, स्थिति बिगड़ती जा रही है लेकिन राज्य सरकारें भी केवल राजनीति करने में लगी हैं.