Politalks.News/WestBengal. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पश्चात कई हिस्सों में हुई हिंसा को लेकर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. बंगाल हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के सामने आने के बाद बंगाल में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. कलकत्ता हाई कोर्ट के अनुसार आयोग ने रिपोर्ट जारी कर कहा कि ‘बंगाल में कानून का शासन नहीं है बल्कि यहां तो शासक का कानून है‘. आयोग द्वारा जारी की गई इस अभिव्यक्ति के बाद टीएमसी अपनी प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के निशाने पर आ गई है. बीजेपी ने जहाँ बंगाल में संविधान के नहीं एक व्यक्ति विशेष का राज होने की बात कही तो वहीं आयोग द्वारा राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक पर लगाए आरोपों के जवाब में कहा कि मैं आयोग के सदस्यों के खिलाफ कानूनी विकल्प की तलाश कर रहा हूं.
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के कई हिस्सों से हिंसा और आगजनी जैसी ख़बरें सामने आई थी. इसके बाद से BJP इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए ममता सरकार को आड़े हाथ ले रही है. बंगाल में हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की कमिटी का गठन कर इस पुरे मामले की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था. जिसके बाद रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने कहा है कि ‘बंगाल में कानून का शासन नहीं है बल्कि यहां तो शासक का कानून है’. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई विधायकों को कुख्यात आरोपी भी करार दिया है जिसके बाद से सूबे की राजनीति में सियासी बयानबाजी चरम पर है.
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बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि जो राज्य की वास्तविक स्थिति है वह आयोग की उक्त रिपोर्ट से ज्यादा भयावह है. राज्य में हुई हिंसा को लेकर अभी तक कुल साढ़े छह हजार मामले और 250 से ज्यादा FIR दर्ज है. बंगाल में भाजपा के 29 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. बता दें कि मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में TMC के कुछ नेताओं को कुख्यात अपराधी भी बताया गया है.
TMC सरकार में वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को भी आयोग ने कुख्यात अपराधियों की लिस्ट में शामिल किया है और साथ ही इस लिस्ट में नैहाटी से टीएमसी विधायक पार्थ भौमिक का नाम भी शामिल है. रिपोर्ट में नाम आने के बाद मंत्री मलिक ने कहा कि मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की बात तो छोड़िये अगर बंगाल में किसी थाने में मेरे खिलाफ अगर कोई डायरी भी प्रविष्ट की है तो मैं उसे अपनी और से पुरुष्कृत करूँगा. मैं आयोग के सदस्यों के खिलाफ कानूनी विकल्प की तलाश कर रहा हूं. समिति ने गलत रिपोर्ट पेश की है.
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तो वहीं नैहाटी से विधयक पार्थ भौमिक ने कहा कि इस सूचि से प्रतिशोध की बू आ रही है, मेरे खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला कभी दर्ज नहीं हुआ. टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा कि मानवाधिकारी आयोग की समिति की जो रिपोर्ट सामने आई है उससे साफ है कि समिति ने शुभेंदु अधिकारी के कहने पर काम किया है.