Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद अब अंदरूनी खींचतान एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. दोनों ही सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी अपना कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए. यहां तक कि वल्लभनगर से बीजेपी प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला चौथे स्थान पर तो रहे ही साथ ही साथ अपनी जमानत भी जब्त करा बैठे. ऐसे में दो गुटों में बटीं प्रदेश भाजपा में अब पूनियां खेमा अलग थलग नजर आ रहा है तो वहीं मैडम राजे खेमा भी अब मुखर हो रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री एवं बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे के समर्थक नेता एक बार फिर प्रदेश भाजपा की कमान मैडम राजे को सौपें जाने के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं. इसी कड़ी में पहले भवानी सिंह राजावत तो वहीं अब पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल भी मैडम राजे को कमान सौंपे जाने को लेकर आवाज उठाई है.
उपचुनाव में हार के बाद कार्यकर्त्ता हैं हताश और निराश- गुंजल
कोटा उत्तर से पूर्व विधायक एवं वसुंधरा खेमे के दिग्गज नेता प्रह्लाद गुंजल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के कारण आज हमारा कार्यकर्ता हताश और निराश है. हमारे पास बूथ लेवल तक कार्यकर्ता बैठा है. पन्ना प्रमुख तक हमारा नेटवर्क होने के बावजूद एक जगह हमारा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा और एक जगह जमानत जब्त हो गई. ऐसे हालात क्यों बने? इस सच्चाई के नजदीक जाकर चिंतन करना चाहिए.
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सीएम गहलोत के मुकाबले चुनाव में रहा बड़े नेतृत्व का अभाव- गुंजल
प्रह्लाद गुंजल ने कहा कि कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा नेतृत्व था. लेकिन हमारे पास इन चुनावों में इतने बड़े नेतृत्व का अभाव रहा. इसीलिए हमें वसुंधरा राजे को आगे लाना ही चाहिए और यह मैं ही नहीं बल्कि नीचे तक का कार्यकर्ता कह रहा है और इस सच्चाई को सभी को स्वीकार भी करना चाहिए. गुंजल ने आगे कहा कि सीएम गहलोत के मुकाबले केवल एकमात्र वसुंधरा राजे ही ऐसी नेता है जिनका चमत्कारिक नेतृत्व है, और वे ही विपक्षी पार्टियों से मुकाबला कर सकती हैं.
हम हैं विपक्ष में और हमें लानी है अब सरकार- गुंजल
वहीं 2023 विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए प्रह्लाद गुंजल ने कहा कि आज जमीनी कार्यकर्ता से यह आवाज आने लगी है कि 2023 की नैया पार करने के लिए राजे को लाया जाए. क्योंकि कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का नेतृत्व है, गहलोत का बड़ा कद है, और उनसे मुकाबला राजे ही कर सकती हैं. वहीं उपचुनाव में मिली हार पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष द्वारा दिए गए बयान कि ‘हम सरकार में रहते हुए भी तीन उपचुनाव हारे थे’, इसके जवाब में गुंजल ने कहा कि हमारे प्रदेशाध्यक्ष यह कह तो रहे हैं लेकिन उस हार के बाद तो हमारी सरकार ही चली गई थी और अभी तो हम विपक्ष में हैं और हमें सरकार लानी है.
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संगठन के बड़े पदों पर बैठे लोगों को करना चाहिए चिंतन- गुंजल
प्रह्लाद गुंजल ने अध्यक्ष सतीश पूनियां को जवाब देते हुए कहा कि आज हमारी हार हुई है लेकिन हमें वापस विपक्ष में नहीं बैठना है. पार्टी के संगठन के पदों पर बैठे लोगों को इस पर सोचना चाहिए. अगर वापस प्रदेश में सरकार लानी है तो इस मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन करना होगा. संगठन के पदों पर बैठे लोगों के अलावा भी बहुत लोग हैं. सबल नेतृत्व को आगे लाना होगा. वहीं उपचुनाव में मिली हार के लिए जिम्मेदारी के सवाल पर गुंजल ने कहा कि बीजेपी में हमेशा सामूहिक नेतृत्व की बात होती है, इसीलिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
गुंजल से पहले राजावत ने पार्टी की कमान राजे को सौंपने की उठाई थी मांग
वहीं इससे पहले पूर्व संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत ने भी प्रदेश भाजपा की कमान वसुंधरा राजे के हाथों में देने की बात कही थी. राजावत ने कहा था कि वसुंधरा राजे को कमान नहीं दी गई तो आने वाले विधानसभा चुनावों में इससे भी बुरी दुर्गति होने वाली है. इस उपचुनाव में पार्टी टक्कर में भी नहीं आ पाई. बीजेपी जहां प्रदेश में विजय पताका फहराती थी, वहां पर भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. राजावत ने आगे कह कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि जनता का पार्टी से मोह भंग हो गया है. राजावत ने कहा कि पूर्व में हुए विधानसभा चुनावों में एक बार 200 में से 120 और दूसरी बार 200 में से 163 सीटें जीतने का रिकाॅर्ड हमने कायम किया और लगभग हर चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता रहा. इसीलिए मेरा मानना है कि प्रदेश में भाजपा की जीत के लिए मैडम वसुंधरा राजे को बागडोर सौंपना अब जरूरी हो गया है.