Politalks.News/Rajasthan. कल तो हुजूर बोले तो खूब बोले, खुलकर बोले, अजी जनाब ये पूछो क्या-क्या नहीं बोले. इतना तो कभी नहीं बोले. दर्द भी झलका. नई पीढ़ी के तौर तरीकों पर रोष जाहिर किया, उनकी सोच पर भी बोले. कुल मिलकर बोलने लगे तो बोलते ही चले गए. नकारा कह दिया, निकम्मा बता दिया, काॅरपोरेट फंडिंग का पाॅलिटिशियन भी बता दिया और भी बहुत कुछ, जो कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी टीम ‘ए’ के मुखिया यह बात टीम ‘पी’ के मुखिया के लिए बोल सकता है.
तकलीफ जरूर, हो रही होगी, होनी भी चाहिए. युवा बसे बसाए घर को आग लगाएगा, तो घर का बड़ा तो बोलेगा, बोलना भी चाहिए. लेकिन आखिर तमाशा क्या चल रहा है, क्यूं चल रहा है? लड़ाई उनके घर की और भुगत रही है जनता.
हुजूर ने बताया कि मिस्टर ‘पी’ कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहते थे कि मै राजनीति में बैंगन बेचने नहीं आया हूं, सब्जी बेचने नहीं आया हूं. मुख्यमंत्री बनने आया हूं. कहते होंगे, कह भी सकते हैं. जनता को उससे क्या लेना देना कि राजनीति में कौन किस बात के लिए जा रहा है. एक बात तो है, राजनीति में आते तो सभी कुछ न कुछ पाने के लिए ही हैं. फिर वो यश, कीर्ति ताकत या फिर धन कुछ भी हो सकता है. किसी की मंशा कुछ, तो किसी की कुछ हो सकती है, होनी भी चाहिए. कर्म कर और फल की इच्छा मत कर, इस दौर में कौन मानेगा, इस महावाक्य को. जरूरत भी नहीं है कि कोई माने.
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अब अगर कोई नए महावाक्य को मान ले तो भी दिक्कत नहीं कि तू कर्म कर, यहीं ले और अभी के अभी ले. अब कलयुुग में युवा पीढ़ी को लगता है कि हाथों हाथ कर्म करने से हाथों हाथ फल मिल जाते हैं.
तो कर लिया कर्म, हाथों हाथ मिल गया फल. तेज गाडी चलाई, अनाड़ी स्टाइल में, अब हाथ पैर तुड़वा के लेटेे हैं, अस्पताल के बैड पर. जिन्होंने कहा था कि गाडी तेज चलाने से ही मंजिल तेजी से मिलती है, यह कहने वाली टीम ‘बी’ पूरी गायब है.
अब टीम ‘बी’ कह रही है कि हमारी नजरें बनी हुई हैं. वहीं कुछ अंदर से कह रहे हैं कि गाडी कुछ ज्यादा ही तेज चला दी. कम से कम इतना तो सोचना चाहिए था, कि गाडी के टेंक में तेल पूरा है कि नहीं. अरे भईया, जब तेल ही पूूरा नहीं होगा, तो मंजिल पर पहुंचेगे कईसे. अब हुजूर हुआ ये, कि टीम ‘बी’ की ताकत लेकर जोश-जोश में टीम ‘पी’ ने गाडी तो स्टार्ट कर ली. लेकिन ई क्या, ये तो देखा ही नहीं कि गाडी में तो पूरा फ्यूल ही नही है. सोचा कोई बात नहीं, अब निकल ही गए हैं तो चलते रहो. फ्यूल खत्म होगा, तो टीम ‘बी’ को फोन करके बता देंगे कि सुसरा फ्यूल खतम हो गया है.
कुछ घटों बाद टीम ‘बी’ को फोनवा किए गए, बताया कि फ्यूल खत्म हो गया, मंजिल दूर है. सुसरों ने एक बार तो फोन उठा लिया, फिर उठाना ही बंद कर दिया. अब भईया करें तो करें क्या. उलटी सुसरी टीम ‘बी’ तो बहुत चालाक निकली. कहने लगी कि ई प्रोबलम तो टीम ‘ए’ और टीम ‘पी’ के अंदरूनी झगडे़ से जुड़ी है. भईया हमें क्या लेना- देना, हम तो तमाशबीन हैं, यानि देखने वाले हैं.
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हद हो गई, देखने वाले तो बहुत सारे लोग होते हैं. शादी होती है तो घोड़ी वाला, बैंड वाला, ढोल वाला, लाइटिंग वाला, सब देखने वाले ही तो होते हैं.
उल्टा मामला फंस जाए तो पुलिस वाला, कोर्ट कचहरी वाला और ना जाने कौन कौन, थाने से कोर्ट, कचहरी से सेटिंग कराने वाले और भी बहुतेरे, मजा लेने के साथ देखने वाले बन जाते हैं.
खैर, यह तो सारी बाते बकवास, जिनका कोई मतलब नही….अब बात करते हैं राजस्थान के सियासी संग्राम की तो दो बड़ी खबरें….
न्यूज 1 – मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट पर वार करते हुए उन्हें कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया….
न्यूज 2- सचिन पायलट ने जवाब देते हुए कहा कि उचित कानूनी कार्रवाई करूंगा… भड़का पायलट खेमा