बिहार की राजनीति में रंग भर रहे तेजस्वी यादव बन रहे सियासत की धूरी

बिहार में सीएम उम्मीदवारी पर तेजस्वी यादव के खुले ऐलान ने राहुल गांधी के साथ महागठबंधन को भी चौंकाया, अब कांग्रेस न चाहते हुए भी बैक फुट पर

tejashwi yadav in bihar politics
tejashwi yadav in bihar politics

बिहार की राजनीति अब जोर शोर पकड़ती जा रही है. वजह है – बिहार विधानसभा चुनाव 2025. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद महागठबंधन के साथ चुनावी कश्ती पर सवार है. महागठबंधन का नेतृत्व खुद राहुल गांधी कर रहे हैं जो वोटर अधिकार यात्रा के जरिए पूरे बिहार में एकता और मतदाता जागरूकता का संदेश दे रहे हैं. कांग्रेस फिलहाल ​महागठबंधन के सीएम फेस के सवाल को टाल रही है लेकिन तेजस्वी यादव ने बातों ही बातों में राहुल गांधी के सामने स्वयं को महागठबंधन का चेहरा बताते हुए बिहार की राजनीति में न केवल नया रंग भर दिया, बल्कि प्रदेश की सियासत की धूरी बनने का काम भी बखूबी किया है.

भोजपुर के आरा में वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के 14वें दिन यह बड़ा सियासी मोड़ तब आया जब राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने एक तरफा घोषणा करते हुए खुद को इंडिया ब्लॉक का मुख्यमंत्री चेहरा बता दिया. जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, जनता को ओरिजिनल सीएम चाहिए, डुप्लीकेट नहीं. यह तंज नीतीश कुमार पर था, लेकिन उन्होंने अपरोक्ष रूप से ही सही, तेजस्वी ने राहुल गांधी के सामने ही खुद को सीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट कर दिया.

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इसी मंच से तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, बच्चे जैसे कागज की नाव और प्लेन बनाकर उड़ाते हैं, नीतीश कुमार के वादे वैसे ही होते हैं. आप पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई वाली सरकार बनाइए. हम पढ़ाई, दवाई, कमाई और सिंचाई वाली सरकार बनाएंगे. ओरिजिनल CM चाहिए या डुप्लीकेट, फैसला आपको करना है. उस वक्त पर मंच पर राहुल गांधी, अखिलेश यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी भी विराजमान थे. इन दिग्गजों के समक्ष तेजस्वी ने स्वयं को महागठबंधन का असल चेहरा बताते हुए कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती भी पेश कर दी है.

यह घोषणा इसलिए भी खास है क्योंकि हाल में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री चेहरा बताने के सवाल को राहुल गांधी टाल गए थे. इसी तरह कांग्रेस भी इस सवाल पर टालमटोली कर रही है. इस सवाल ने महागठबंधन की सियासत को लेकर संशय के बादल छोड़ रखे थे. ऐसे में तेजस्वी ने राजनीति दांव खेलते हुए इंडिया ब्लॉक के दिग्गजों के सामने स्वयं को प्रदेश की सियासत का अहम चेहरा बता दिया, जिसके बाद न चाहते हुए भी कांग्रेस को इस बात के लिए राजी होना ही पड़ेगा.

अगर बिहार की सियासी गणित पर गौर करें तो राजद समर्थक तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा मानते हैं, जबकि कांग्रेस प्रदेश में अपनी भूमिका मजबूत करना चाहती है. पिछले विस चुनाव में कांग्रेस 70 के मुकाबले मात्र 17 सीटों पर सिमट गयी थी, जो महागठबंधन की हार की सबसे बड़ी वजह बनी. ऐसे में राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के सहारे कांग्रेस की डूबी हुई कश्ती को किनारे लगाना चाह रहे हैं. वहीं आरा में भारी भीड़ के बीच तेजस्वी यादव की इस घोषणा ने न केवल नीतीश सरकार को चुनौती दी, बल्कि कांग्रेस और अन्य सहयोगियों को भी साफ संदेश दिया कि आरजेडी बिहार में नेतृत्व की कमान अपने हाथ में रखना चाहती है. कुल मिलाकर तेजस्वी यादव अब बिहार की सियासी घरती में एक मुख्य धूरी बनकर फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं.

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