Politalks.News/Bihar. बिहार में चुनावी दंगल का ऐलान हो चुका है. चुनावी बिसात भी बिछ चुकी है, बस अब मुहरे फिट करना शेष है. राजद की ओर से तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं. तेजस्वी का सीधा टार्गेट युवाओं पर है. ऐसे में तेजस्वी को जवाब देने बीजेपी के तेजस्वी भी बिहार आ गए हैं. ये हैं भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या. 29 साल के सूर्या बीजेपी में युवा चेहरा है और बेंगलुरु दक्षिण की सीट से लोकसभा सांसद हैं. तेजस्वी सूर्या को भाजपा की तरफ से जारी भाजपा केंद्रीय संगठन की टीम में भाजपा युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को अपनी इस नई टीम की घोषणा की है.
तेजस्वी सूर्या दो दिवसीय बिहार दौरे आए हैं और मंगलवार को प्रदेश के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. सोमवार को पटना के अटल सभागार में उनका स्वागत समारोह रखा गया है. वहीं मंगलवार को सुबह 11 बजे समस्तीपुर और दोपहर तीन बजे दरभंगा में कार्यक्रम होंगे. युवा मोर्चा की कमान संभालने के एकदम बाद बिहार दौरा बीजेपी की रणनीति का एक हिस्सा है. चूंकि बिहार में चुनाव है और विपक्ष लगातार यहां युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठा रही है. ऐसे में तेजस्वी सूर्या के चेहरे के जरिए बीजेपी बिहार के युवा वोटरों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लग गई है.
तेजस्वी सूर्या का बिहार दौरा कई मायनों में खास कहा जा सकता है दक्षिण के एक सांसद को बिहार में प्रचार के काम में लगाना बेहद खास चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है. तेजस्वी सूर्या एक प्रखर वक्ता हैं और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. यही वजह है कि बीजेपी को लगता है कि तेजस्वी सूर्या का बिहार दौरा बिहार के युवाओं से उन्हें जोड़ सकता है. खासतौर से उस दौर में जब विपक्षी राजद का एक युवा चेहरा यानी तेजस्वी यादव बेरोजगारी के मुद्दे पर बिहार के युवाओं को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं और नीतीश कुमार खुद इस मुद्दे पर पिछड़ रहे हैं.
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पार्टी की नई टीम में युवाओं को तवज्जो देने की कोशिश में लगी भाजपा ने तेजस्वी सूर्या को भाजपा के राष्ट्रीय युवा मोर्चा की कमान दी है. इससे पहले तेजस्वी कर्नाटक भाजयुमो की कमान संभाल चुके हैं. भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तेजस्वी सूर्या को टिकट देकर सबको चौंका दिया था. उस वक्त बेंगलुरु दक्षिण सीट से पार्टी के दिवंगत नेता अनंत कुमार की पत्नी टिकट की सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही थी. वजह यह थी कि बेंगलुरु इस सीट से 1996 से ही लगातार अनंत कुमार जीतते आ रहे थे और अचानक से उनकी मौत से पार्टी के साथ ही पूरे देश को बड़ा सदमा लगा था.
माना जा रहा था कि सहानुभूति की सोच के साथ बीजेपी इस सीट से अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी को पार्टी का टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अचानक से पार्टी की तरफ से इस युवा चेहरे को साउथ बेंगलुरु की सीट से भाजपा का टिकट मिला और वह जीत कर लोकसभा पहुंचे. तब 28 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद को तीन लाख 31 हजार 192 वोट से हराकर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था.
बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या अपनी छवि फायरब्रांड नेता के रूप में बना रहे हैं. वे गैर हिंदूओं पर सीधे हमला बोलते हैं और खुद को पूरी तरह से कट्टर हिंदुत्व की छवि के साथ जनता के सामने पेश करते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि वे तेजस्वी के तेज को कम करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.
इधर, राजद नेता और गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव की उम्र 30 साल है और युवा जोश से भरे हुए हैं. नीतीश कुमार की 2015 में बनी सरकार में तेजस्वी डिप्टी सीएम थे. साल 2016 में नीतीश कुमार जब राजद से गठबंधन तोड़कर दोबारा बीजेपी के साथ गए, तब लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव ने पहली बार विधानसभा में जोरदार भाषण दिया था. तेजस्वी यादव ने बेहद सधे हुए शब्दों में अनुभवी नेता नीतीश कुमार पर ऐसे तीखे हमले किए जिसे देखकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई थी कि लालू के लाल में दम है.
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हालांकि लोकसभा चुनाव में राजद और महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहने और हालिया दिनों में यादव परिवार में जो घटा, उससे तेजस्वी और तेजप्रताप की छवि थोड़ी धूमिल हुई है, लेकिन हार-जीत के बूते किसी के नेतृत्व का परखा जाना सही नहीं है. तेजस्वी इस समय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में हैं और राजद सहित महागठबंधन के नेतृत्व का पूरा दारोमदार उन्हीं के कंधों पर है.
लालू यादव इस समय रांची की एक जेल में भ्रष्टाचार के अपराध में सजा काट रहे हैं. ऐसे में उनका चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकल पाना शायद संभव नहीं होगा. ऐसे में तेजस्वी का तेज ही राजद और महागठबंधन को बचा सकता है. अगर वे अपने दम पर बिहार चुनाव निकाल ले जाते हैं तो बिहार की राजनीति की धुरी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की कही उस बात को भी बल मिलेगा जिसमें उन्होंने कहा था कि अब बिहार की राजनीति में नीतीश, लालू और रामविलास के लिए जगह नहीं बची है. अब नया बिहार केवल युवा नेताओं के हाथों में होना चाहिए.