Politalks.News/MP. मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अचानक अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उमा भारती एमपी में ‘लट्ठ के दम‘ पर ‘शराबबंदी‘ लागू करवाने की बात कर रही हैं. वहीं, उमा भारती ने रेलवे के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाया है. पूर्व सीएम उमा भारती के तेवर इन दिनों फिर से बदल रहे हैं. भारती के तेवर ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. आपको बता दें, उमा भारती करीब एक साल से एमपी में शराबबंदी की मांग कर रही थीं, उसके बाद बीच में वें शांत हो गई थीं, लेकिन अब फिर से मध्यप्रदेश में उमा भारती ने शराबबंदी की मांग करते हुए यहां तक कह दिया है कि अब लठ्ठ से शराबबंदी करवानी पड़ेगी. इधर भारती के आक्रामक तेवरों को देख दिल्ली से भोपाल तक सभी हैरान हैं. सियासी गलियारों में इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं.
लट्ठ के दम पर करवाऊंगी शराबबंदी- भारती
उमा भारती ने कहा है कि, ‘शिवराजजी और वीडी शर्माजी का मानना है कि जागरूकता अभियान से शराबबंदी की जा सकती है. मेरा मानना है कि यह बिना लट्ठ के नहीं होगा. मैं 15 जनवरी तक लोकतंत्र का पालन करूंगी. शराबबंदी के लिए जागरूकता अभियान से काम चलाऊंगी. यदि फिर भी लोग नहीं माने तो सड़क पर उतर जाऊंगी‘. इसके साथ ही लेकिन उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम की तारीफ भी की, कहा- ‘मैंने शिवराज जी से कहा था कि अबकी बार की सरकार गांधी जी के आदर्शों पर चले, मैं जब मुख्यमंत्री बनी थी, तब घोषणा पत्र में नहीं डाला था कि शराबबंदी करेंगे, लेकिन यह मेरी आत्मा में था. मैंने अधिकारियों से कहा था कि रेवेन्यू के लिए अलग से रास्ता निकालें’. भारती ने कहा कि, ‘कोरोना में यह देखा गया कि एक भी व्यक्ति शराब से नहीं मरा, क्योंकि दुकानें बंद थीं’.
गंगा यात्रा से लौटकर चलाऊंगी मुहिम
पूर्व मुख्यमंत्री भारती ने कहा कि, ‘मैं नवरात्रि से गंगा जी की यात्रा पर जाऊंगी. इसका अक्षय तृतीया पर गंगा सागर में विसर्जन होगा. इसके बाद शराबबंदी की मुहिम में जुट जाऊंगी. 15 जनवरी के बाद अभियान का नेतृत्व खुद करूंगी. मैं सड़क पर आ जाऊंगी’. उमा भारती ने कहा कि, ‘इस अभियान से मध्यप्रदेश की सरकार मजबूत होगी. भारती ने बिहार में नीतीश कुमार के शराबबंदी के मॉडल की तारीफ की.
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लट्ठ का मतलब सख्त कानून
लट्ठ से शराबबंदी को लेकर पूछे सवाल पर उमा भारती ने सफाई दी कि, ‘लट्ठ से मेरा मतलब सख्त कानून से है. सख्त कानून सरकार कैसे लाएगी. वह जन दबाव को देखकर कानून लाएगी. लठ उठाने का काम किसी का भी नहीं होना चाहिए. पुलिस के कोरोना के समय लोगों को लट्ठ मारने का भी मैंने विरोध किया था. इसको लेकर मैंने अधिकारियों से भी चर्चा की थी. मेरा लट्ठ से मतलब था कि ताकत दिखा देना’.
नौकरशाही तो चप्पल उठाती है हमारी-भारती
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नौकरशाही को भी आड़े हाथ लिया. भारती ने कहा कि, ‘आपको गलतफहमी है ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं होती है, चप्पल उठाने वाली होती है, चप्पल उठाती है हमारी... हम लोग ही राजी हो जाते हैं उसके लिए क्योंकि हमें समझाया जाता है कि आपका बहुत बड़ा चक्कर पड़ जाएगा.’ पूर्व केंद्रीय मंत्री आगे कहती हैं कि, ‘आपको क्या लगता है ब्यूरोक्रेसी नेता को घुमाती है, नहीं-नहीं, अकेले में बात हो जाती है पहले और फिर ब्यूरोक्रेसी फाइल बनाकर लाती है’.
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झांसी रेलवे स्टेशन को लेकर मंत्री पर निशाना!
शराबबंदी वाली मांग के बाद उमा भारती ने रेलवे को निशाने पर लिया है. इसके जरिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से सवाल किया है कि, ‘पता नहीं, उन्हें इस लापरवाही के बारे में जानकारी है कि नहीं’. उमा भारती ने ट्वीट किया है कि, ‘मैं ओरछा में रामराजा सरकार के दर्शन करने के लिए झांसी रेलवे स्टेशन पर उतरी हूं. झांसी में तीन साल पहले झांसी रेलवे स्टेशन के दुरस्तीकरण का कार्य प्रारंभ हुआ था, उसमें से कुछ काम को तो कुछ महीनों में ही खत्म हो जाना था’. उमा भारती ने कहा कि, ‘आज हमें दुख हुआ कि काम अभी तक खत्म नहीं हुआ. यात्रियों को भारी असुविधा है, पता नहीं कि अश्विनी वैष्णव को इस घोर लापरवाही की खबर है या नहीं?. पूर्व सीएम उमा भारती ने आगे लिखा कि, ‘मैंने इस संबंध में रेल विभाग को झांसी रेलवे स्टेशन के अधिकारियों के माध्यम से खबर दी है कि सारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करिए अन्यथा आपको भारी जन आक्रोश का सामना करना पड़ेगा क्योंकि लोग बहुत परेशान हैं’.
कप्तान सिंह ने उठाया सवाल- ‘लोकतंत्र जनमत से चलता है लट्ठ से नहीं’
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती द्वारा दिए गए शराबबंदी के बयान के बाद से ही प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. उनके इस बयान पर जहां कांग्रेस कांग्रेस विधायक और दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने समर्थन किया, तो वहीं अब पूर्व राज्यपाल व भाजपा के वरिष्ठ नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने उमा भारती के ट्वीट पर रीट्वीट कर नई बहस छेड़ दी है. पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने ट्वीट कर लिखा है कि लोकतंत्र जनमत से चलता है. लठ से नहीं. यह हिंसा का हिस्सा है. क़ानून से भय पैदा किया जा सकता है, विचार नहीं बदले जा सकते. संस्कारों से विचार बदलने की ज़रूरत है?
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लक्ष्मण सिंह ने कसा तंज- क्या आप तैयार हैं?
इससे पहले कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि, ‘शराबबंदी’ पर राजनीति फिर शुरू हो गई है, लोगों का असफलताओं से ध्यान हटाने वाली. अच्छा होगा अगर नेतागण भू माफिया के विरुद्ध मोर्चा खोलें. मैं लट्ठ लेकर आपके साथ चलने को तैयार हूं और लाखों गरीब भी साथ हो जायेंगे. क्या आप तैयार हैं?
पूर्व सीएम उमा भारती के इस तरह अचानक एक्शन में आने को लेकर सियासी गलियारों में बहुत मायने निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अपनी सरकार की नीतियों पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाकर उमा अपने इरादे स्पष्ट कर रही हैं. वहीं, शराबबंदी वाली मांग पर एमपी में बीजेपी के बड़े नेताओं ने चुप्पी साध ली है. हालांकि उमा भारती खुलकर बोल भी नहीं रही हैं कि उनकी चाहत क्या है?
भारती की राज्यसभा पद के लिए थीं दावेदार
वहीं, सूत्र बताते हैं कि एमपी में राज्यसभा की एक सीट खाली है. इस सीट के लिए एमपी से उमा भारती का नाम भी रेस में शामिल था. मगर पार्टी ने प्रदेश के किसी और नेता को मौका नहीं दिया. उमा भारती ने जिस दिन शराबबंदी की मांग की, उसी दिन इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई. बता दें, केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन को पार्टी ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.
बीजेपी का परिवर्तन रथ पहुंचे एमपी उससे पहले दिखाए तेवर!
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में सीएम का चेहरा बदलने के बाद हरियाणा और मध्यप्रदेश में बीजेपी पार्टी का चेहरा बदल सकती है. मध्यप्रदेश में भी शिवराज के बाद कई चेहरे हैं जो मुख्यमंत्री बनने की रेस में हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, नरेन्द्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय कतार में है. सियासी कलह कर भाजपा की सरकार बनाने वाले सिंधिया को सीएम की दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि सियासी कलह के दौरान अगर ‘महाराज‘ को सीएम बनाया जाता तो भाजपा में घमासान मच सकता था. लेकिन अब चेहरा परिवर्तन में भाजपा को कोई दिक्कत नहीं आने वाली है. एसपी में भाजपा के पास विधायकों की पूरी गिनती है. इस पूरे घटनाक्रम से जोड़कर भी उमाभारती की अचानक सक्रिय होने से देखा जा रहा है.
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कट्टर समर्थकों के लिए फिर एक्शन में भारती!
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमा भारती की राज्य की सियासत में दखल बढ़ाने में रुचि है. कई सालों से राजनीति से फ्री बैठीं भारती एक्टिव होने की तैयारी में हैं. किसी दौर में उनके पास कट्टर समर्थकों की फौज हुआ करती थी, अब वह धीरे-धीरे कम हो रही है. यह बात उमा भारती खुद जानती है, यही कारण है कि राज्य के दौरे कर वे अपनी उपस्थिति दर्ज करा जाती है. शराबबंदी जैसा आंदेालन उनकी आधी आबादी में गहरी पैठ बना सकता है, यही कारण है कि वे अब राज्य में सबसे ज्यादा बात शराबबंदी की बात करती हैं.