Politalks.News/Rajasthan. देश की आबोहवा में राष्ट्रवाद की एक अलग ही हवा दिखाई दे रही है. अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाली कंगना रनौत द्वारा देश की आजादी को लेकर दिया गया बयान अब उन्हीं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. देश के कई राज्यों से उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है. लेकिन उनके तेवर हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहे. कंगना रनौत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के सहारे कहा कि ‘अगर मैं गलत साबित हुई तो वापस पद्मश्री लौटा दूंगी’. कंगना रनौत यहीं नहीं रुकी, यह भी कहा कि ‘1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है’. वहीं कंगना रनौत के बयान पर अब बीजेपी नेता भी पलटवार करने में लगे हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता और राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि ‘लाखों लोगों के बलिदान के बाद ही इस देश को आजादी मिली है, लेकिन ऐसे में किसी भी सूरत में उसे भीख में मिली आजादी नहीं कहा जा सकता’.
निशाने पर आने के बाद भी कंगना के कम नहीं हुए तेवर
देश की आजादी को लेकर दिए गए बयान के बाद चौतरफा घिरी कंगना रनौत को अपनी सफाई देने सामने आने पड़ा. हालांकि इसमें भी उन्होंने अपने तेवर किसी भी लिहाज में कम नहीं किये. यहां तक कि चौतरफा घिरने के बाद भी कंगना ने यही कहा कि ‘अगर कोई भी मुझे गलत साबित कर देगा तो मैं अपना पद्मश्री वापस लौटा दूंगी.’ कंगना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिये ये बात कही. कंगना ने अपनी इस पोस्ट में साफ-साफ़ लिखा कि, ‘1857 में स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई शुरू हुई. पूरी लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों ने बलिदान दिया. 1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है. अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी… कृपया इसमें मेरी मदद करें.’
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गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया
वहीं कंगना ने एक और पोस्ट के जरिये 1857 की क्रांति को लेकर उनके द्वारा की गई रिसर्च का भी हवाला दिया. कंगना ने लिखा कि, ‘मैंने शहीद वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की फीचर फिल्म में काम किया है… आजादी की पहली लड़ाई 1857 पर मैंने बड़े पैमाने पर रिसर्च की थी… राष्ट्रवाद के साथ राइट विंग का भी उदय हुआ… लेकिन अचानक खत्म क्यों हो गया? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया? नेताजी बोस को क्यों मारा गया और गांधी जी का सपोर्ट उन्हें कभी क्यों नहीं मिला? एक गोरे (ब्रिटिश) ने पार्टीशन की लाइन क्यों खींची? स्वतंत्रता का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा? कुछ जवाब जो मैं मांग रही हूं कृपया जवाब खोजने में मेरी मदद करें.’
जो चोर हैं, उनकी तो जलेगी, कोई बुझा नहीं सकता
वहीं कंगना ने अपनी अगली इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा कि, ‘मैं परिणाम भुगतने के लिए तैयार हूं. जहां तक 2014 में आजादी का संबंध है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है, लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में मुक्त हो गए थे.. पहली बार है जब अंग्रेजी न बोलने या छोटे शहरों से आने या भारत में बनी चीजों का उपयोग करने के लिए लोग हमें शर्मिंदा नहीं कर सकते… उस एक ही इंटरव्यू में सब कुछ साफ कहा है… लेकिन जो चोर हैं, उनकी तो जलेगी, कोई बुझा नहीं सकता… जय हिंद.
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किसी भी सूरत में आजादी को नहीं कहा जा सकता भीख- कटारिया
तो वहीं अपने बयानों को लेकर चौतरफा घिरी कंगना रनौत अब बीजेपी नेताओं के निशाने पर भी आ गई है. कंगना रनौत के बयान पर राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं बीजेपी के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया ने उनके बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया. कटारिया ने कहा कि, ‘देश के निर्माण में 2014 के बाद हमारा काम मजबूती की ओर बढ़ा, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन आजादी भीख में नहीं मिली. आजादी बहुत संघर्ष और बलिदानों के बाद मिली है. ऐसे में किसी भी सूरत में उसे भीख की आजादी नहीं कहा जा सकता. कोई ये सोचे कि आजादी 2014 के बाद मिली तो ऐसा बिल्कुल नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया का ये बयान उस वक़्त आया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुवीर मीणा ने कंगना के बयान को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा था कि यह शहीदों का अपमान है. BJP इस पर अपना रुख साफ करे, नहीं तो कंगना पर देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराएं. आपको बता दें, कंगना के खिलाफ राजस्थान के 7 शहरों में पुलिस शिकायत भी दर्ज की गई है. जयपुर सहित देश के कई राज्यों में कंगना के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. साथ ही सोशल मीडिया पर भी उनके खिलाफ लोगों में जबरदस्त आक्रोश है.