Politalks.News/Bengal. पश्चिम बंगाल में 8 माह का वक्त बाकी है लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन अभी से तैयार होने लगी है. पिछले साल हुए आम चुनाव में 18 सीटें जीतकर बीजेपी के हौसले बुलंद हैं और टक्कर में भी दिख रही है लेकिन ममता के एकछत्र राज के सामने बीजेपी के लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला. ऐसे में बीजेपी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली पर दांव खेल सकती है. सौरव गांगुली को बंगाल में बीजेपी का चेहरा बनाया जा सकता है. काफी वक्त से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली राजनीति में आ सकते हैं. फिलहाल गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष हैं.
‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ और ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ के नाम से पॉपुलर सौरव गांगुली इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं. ‘दादा’ के नाम से जाने जाने वाले पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय हैं और उन्हें पसंद करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. वे बंगाल में एक यूथ आइकन के तौर पर जाने जाते हैं और वहां उनकी लोकप्रियता सीएम ममता बनर्जी से कम नहीं आंकी जाती. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व प्रदर्शन करके ममता बनर्जी की अगुआई वाली तृणमूल कांग्रेस को झटका देने वाली बीजेपी को भी मौजूदा वक्त में बंगाल में किसी ऐसे चेहरे की जरुरत है जो पॉपुलर्टी के मामले में ममता बनर्जी को बराबर टक्कर दे सके. ऐसे में सौरव से बेहतर फेस और कोई हो ही नहीं सकता.
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बीजेपी ने आम चुनावों में भी सौरव गांगुली पर दांव लगाने का प्लान बनाया था. उस समय सौरव गांगुली के बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगी थीं, लेकिन तब गांगुली ने खुद बयान देकर ऐसी अटकलों पर विराम लगा दिया था. अब विधानसभा चुनाव आने के बाद फिर से इन खबरों को हवा मिलने लगी है. वैसे भारतीय जनता पार्टी हमेशा चाहती थी कि सौरव गांगुली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं, लेकिन सौरव कई दूसरी भूमिकाओं में व्यस्त रहे. बीजेपी का मानना है कि सौरव गांगुली की ओर से कोई भी भूमिका पार्टी की मदद करेगी. हालांकि, खुद गांगुली की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है.
हालांकि मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सौरव गांगुली फिलहाल चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दादा ने बीजेपी नेतृत्व को बता दिया है कि वह ना तो राजनीति में उतरना चाहते हैं और ना ही विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सौरव गांगुली ने पिछले महीने बीजेपी के सामने यह साफ कर दिया था कि वह एक्टिव पॉलिटिक्स में शामिल नहीं होना चाहते और बीसीसीआई चीफ के तौर पर अपने रोल से ही खुश हैं. सूत्रों ने यह भी पता चला है कि गांगुली की ओर से इनकार किए जाने के बाद पार्टी ने उन पर मन बदलने के लिए कोई दबाव नहीं डाला है.
वहीं सौरभ गांगुली और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच अच्छे राजनीतिक संबंध हैं. माना जाता है कि गांगुली को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल का अध्यक्ष बनाने के पीछे ममता बनर्जी का ही सहयोग रहा था. गांगुली जब से बीसीसीआई अध्यक्ष बने हैं, तब से उनके अमित शाह से अच्छे संबंध बनने लगे.
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अक्टूबर, 2019 में सौरव गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष बनाने में गृहमंत्री अमित शाह ने अहम भूमिका निभाई थी. तभी से राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सौरभ गांगुली बीजेपी की कमान संभाल सकते हैं. अगर किसी कारणवश ऐसा न हो सका तो ममता बनर्जी के खिलाफ वे चुनाव प्रचार जरुर करेंगे. फिलहाल सौरव गांगुली ने इस सभी अटकलों पर चुप्पी साधी हुई है.