Twitter war between Scindia and Jairam Ramesh: बीते कुछ दिनों से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी और कांग्रेस की विचारधारा को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर हमला कर रहे हैं. कांग्रेस के नेता भी उनकी हर एक टिप्पणी का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. वहीं बीजेपी की विचारधारा में रम चुके सिंधिया बीजेपी नेताओं की तरह खुद भी हर एक पोस्ट का रिप्लाय कर रहे हैं. दोनों पार्टियों की विचारधाराओं का ये द्वंद्व अब सोशल मीडिया पर रण में बदल चुका हैं जहां एक ओर सिंधिया राहुल गांधी और कांग्रेस की मानसिकता एवं विचारधारा पर आक्षेप लगा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सिंधिया और 1857 की क्रांति में सिंधिया परिवार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. इससे पहले भी राहुल गांधी के सूरत कोर्ट में पेशी के लिए जाते समय दिग्गजों की फौज ले जाने पर सिंधिया द्वारा की गई टिप्पणी पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी एवं पीएम मोदी को सिंधिया से सतर्क रहने की हिदायत दे दी थी.
दरअसल सिंधिया और जयराम रमेश के बीच टकराव की शुरूआत तब हुई, जब गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा लॉन्च हुई. इस आत्मकथा में गुलाम नबी ने अपनी राजनीति के 55 सालों की दास्तान—ए—सफर का इज़हार करते हुए कांग्रेस की विचारधारा एवं उनके नेताओं को लेकर नाराजगी व्यक्त की है. इस पर जयराम रमेश ने टविट कर उनके इस रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि ज्योतिरादित्य एवं आजाद कांग्रेस सिस्टम एवं पार्टी नेतृत्व के योग्य नहीं थे. यहां से निकल कर अब दोनों अपना असली चरित्र दिखा रहे हैं.
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इस पर बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य ने जयराम को टैग कर जवाब देते हुए कहा कि मैं और मेरा परिवार हमेशा से जनता के प्रति जवाबदेह रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता को केवल स्वयं के प्रति समर्पित बताते हुए मुंह में राम बगल में छुरी से शब्दों से संबोधित किया.
मुंह में राम बगल में छुरी! आपके ऐसे वक्तव्य साफ दर्शाते है कि कितनी मर्यादा व विचारधारा कांग्रेस में बची है । वैसे भी आप केवल स्वयं के प्रति समर्पित हैं; इसी से आपकी राजनीति जीवित है। मैं और मेरा परिवार हमेशा जनता के प्रति जवाबदेह रहें है। https://t.co/57bNHdMlag
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) April 5, 2023
इस पर जवाब देते हुए जयराम रमेश ने 1857 की क्रांति का उल्लेख करते हुए रानी लक्ष्मी बाई और सिंधिया परिवार द्वारा झांसी छोड़कर चले जाने एवं अंग्रेजों से हाथ मिलाने का जिक्र किया. इस पर सिंधिया ने उन्हें कविता करने की जगह इतिहास उठाकर देखने की सलाह दी.
कविताएँ कम और इतिहास ज़्यादा पढ़ें।
“Thus they (Marathas) had practically inherited the Delhi Empire.The Marathas remained to challenge British supremacy.But the Maratha power went to pieces after the death of Mahadji Scindia”
– Nehru in his book ‘Glimpses of World History’
1/3 https://t.co/AI2J8kr13H— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) April 5, 2023
बात यहां भी खत्म नहीं हुई. जयराम रमेश ने यहां वीर सावरकर को बीजेपी का नया भगवान बताते हुए सिंधिया पर फिर से हमला किया. उन्होंने कहा कि सावरकर ने खुद अपनी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र समर’ में सिंधिया परिवार की गद्दारी का जिक्र किया है. इस पर सिंधिया ने संग्राम में वीर गति को प्राप्त हुए तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे की लिखी ‘आॅपरेशन रेड लोटस’ किताब में सिंधिया परिवार द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध मराठों का साथ देने का जिक्र किए जाने की बात कही. सिंधिया ने कांग्रेस को विभाजनकारी राजनीति बंद करने की नसीयत देते हुए कहा कि मराठा आज भी एक हैं.
कभी 1857 के वीर शहीद तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे की ख़ुद की लिखी किताब ‘Operation Red Lotus’ पढ़िए; ज्ञात हो जाएगा कि किस प्रकार हम मराठे – सिंधिया, पेशवा और झाँसी के नेवालकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक साथ थे।
मराठा आज भी एक हैं। कृपया यह “विभाजनकारी” राजनीति बंद करें। https://t.co/fzB84soMLv
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) April 6, 2023
हालांकि कांग्रेस से बीजेपी में जा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया को सोशल मीडिया पर इस तरह की जंग लड़ते कम ही देखा गया है. लेकिन बीते कुछ दिनों से सिंधिया न केवल खुद इस तरह की टिप्पणी करने में व्यस्त हैं, बल्कि अपने और पार्टी के खिलाफ की गई बयानबाजी का भी बखूबी जवाब दे रहे हैं. यहां से इस बात की भी बू आ रही है कि बीजेपी नेताओं द्वारा इस तरह की चीजें राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ कांग्रेस द्वारा देशभर में किए जा रहे प्रदर्शनों से जनता का ध्यान हटाने के लिए हो रही हैं. जिस तरह सिंधिया कांग्रेस की विचारधारा एवं बयानबाजी कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा सहित अन्य अन्य नेताओं की तरह सिंधिया भी बीजेपी की मायानगरी में रम चुके हैं और कांग्रेस के खिलाफ विरोधाभास का झंडा सोशल मीडिया पर गाढ़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.