Wednesday, January 15, 2025
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आगामी विस चुनाव से पहले अपना वजूद खो देगी शिवसेना! जयंत पाटिल के निशाने पर एकनाथ सरकार

राकंपा नेता जयंत पाटिल ने आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी और एमवीए में होने का किया दावा, बीजेपी के सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने की कही बात, शिवसेना के खत्म होने की जताई संभावना

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Jayant Patil on Eknath Shinde Government: महाराष्ट्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष जयंत पाटिल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी शिवसेना पर हमला बोला है. पाटिल ने दावा किया है कि आगामी चुनावों से पहले शिवसेना अपना वजूद खो देगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 2024 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी बनाम महाविकास अघाड़ी (MVA) में ही होगा. पाटिल ने ये भी कहा कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा होगा और शिंदे गुट का वजूद खत्म हो जाएगा.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकांपा नेता जयंत पाटिल ने कहा कि बीजेपी स्थानीय राजनीतिक पार्टियों के अस्तित्व को मान्यता नहीं देना चाहती और उन्हें बढ़ने नहीं देना चाहती. बीजेपी ने छोटे दलों, सहयोगियों या प्रतिद्वंद्वियों को नष्ट करने का काम किया है. भारतीय जनता पार्टी का एक सूत्रीय एजेंडा छोटी पार्टियों को अस्थिर करना है ताकि वह उनके वोट शेयर को हड़प सके. पाटिल ने कहा कि उन्हें लगता है आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधानसभा की सभी 288 सीटों पर अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेगी क्योंकि शिंदे गुट का वजूद खत्म हो जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि जब बीजेपी और एमवीए के बीच लड़ाई होगी तो शिंदे समूह बचेगा.

आगामी विधानसभा चुनाव पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता जयंत पाटिल ने कहा कि अगर शिंदे समूह तब तक अस्तित्व में रहता है, तो बीजेपी अंतिम समय में उन्हें 48 सीटों पर चुनाव लड़ने की अनुमति देगी. पार्टी उन्हें बताएगी कि उनके पांच से छह उम्मीदवार ही जीत सकते हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच मतभेद निश्चित है. इसके बाद शिवसेना या शिंदे गुट का अस्तित्व महाराष्ट्र से पूरी तरह खत्म हो जाएगा.

यह भी पढ़ें: ‘अपनी दादी और पिता से कुछ सीखें राहुल गांधी’ बोले अमित शाह तो जेपी नड्डा ने कह दिया ‘मानसिक दिवालिया’

गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के अविभाजित शिवसेना से बाहर निकलने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार पिछले साल गिर गई थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने अपने गुट के विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला लिया और मुख्यमंत्री बन बैठे. शिवसेना की मान्यता का मामला जब चुनाव आयोग के पास पहुंचा तो चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट की ‘शिवसेना’ को नाम और ‘धनुष-तीर’ चिन्ह आवंटित कर दिया. अब शिंदे गुट की शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के सभी पार्टी दफ्तरों पर कब्जा कर लिया है और पार्टी की प्रोपर्टी पर भी कब्जा करने की तैयारी की जा रही है.

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