Politalks.News/Maharashtra. देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस फिलहाल अपने वजूद को बचाने की जद्दोजहद में लगी है. देश के जिन जिन राज्यों में कांग्रेस की या फिर कांग्रेस गठबंधन की सरकार है वहां पार्टी में आपसी खींचतान चरम पर है. पंजाब की राजनीति में जो भी घटनाक्रम फिलहाल चल रहा है वो किसी से छुपा नहीं है. तो वहीं राजस्थान कांग्रेस में दो दिग्गजों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाल भी कुछ इसी तरह के हैं. तो वहीं महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल तीनों दलों के नेता समय समय पर एक दूसरे की पार्टी को आड़े हाथ ले ही लेते है. देश भर कांग्रेस के इन हालातों को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये कांग्रेस को सलाह दी है. सामना में शिवसेना ने लिखा कि कांग्रेस को अब पार्ट टाइम नहीं बल्कि फुलटाइम अध्यक्ष की जरुरत है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि ‘पंजाब कांग्रेस में चल रही आंतरिक कलह के बीच नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की खुशामद से कुछ भी नहीं होगा. कांग्रेस को इस परिस्थति से उफान मारकर मैदान में उतरना ही होगा.’ शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिये कांग्रेस को अध्यक्ष पद को लेकर भी सलाह दी. शिवसेना ने सामना में कहा कि ‘जिस तरह के हालात आज कांग्रेस के हैं तो ऐसे में कांग्रेस को एक फुलटाइम अध्यक्ष की जरूरत है. बिना फुलटाइम अध्यक्ष के पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं हो सकता.’
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शिवसेना ने पंजाब कांग्रेस में छिड़ी सियासी कलह का जिक्र करते हुए सामना में लिखा कि ‘कांग्रेस का पंजाब सूबा इस वक्त पूरी तरह से जड़ से हिला हुआ है. कांग्रेस के अध्यक्ष ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और उनकी जगह नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनका नया मंत्रिमंडल सत्ता में आया. जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस बदलाव पर पेड़े बांटे.’
शिवसेना ने सामना में लिखा कि ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भांगड़ा किया लेकिन विद्रोही, अविश्वसनीय सिद्धू ने ही अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अपनी ही पार्टी के समक्ष संकट बढ़ा दिया है.’ सामना में आगे लिखा गया कि ‘सिद्धू के हमेशा की खिट-पिट के कारण कांग्रेस ने अमरिंदर को दूर कर दिया और अब देखो सिद्धू भी गए.’ सामना में शिवसेना ने आगे लिखा कि नरेंद्र मोदी के तूफान के आगे और बीजेपी के विस्तार के कारण कांग्रेस की हालत ‘पतली’ हो गई व कांग्रेस के खेमे के बचे-कुचे सिपहसालार छोड़कर जाने लगे हैं.
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि लोगों की भावना है कि कांग्रेस राजनीति में नई चेतना की बहार लाए. बीजेपी की चुटकी लेते हुए शिवसेना ने सामना में लिखा कि कांग्रेस पार्टी का क्या होगा, ऐसी आशंका कई लोग महसूस कर रहे हैं. महात्मा गांधी की इच्छा के अनुसार कांग्रेस का विसर्जन हो रहा है क्या? ऐसा खुशी का उबाल भाजपा में देखने को मिल रहा है. सामना ने लिखा कि पिछले सात आठ साल में कांग्रेस की अवस्था ठीक नहीं है. इस दौरान सामना में लिखा गया कि दिमाग ही नहीं होगा तो शरीर का क्या लाभ?
शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिये कांग्रेस आलाकमान को सुझाव देने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस का आगे क्या होगा ये तो भविष्य के गर्त में छुपा है. कांग्रेस का साथ छोड़कर जा चुके एवं कांग्रेस के ही कई दिग्गज नेता कांग्रेस आलाकमान को सुझाव दे चुके है कि बिना वर्किंग प्रेसिडेंट के पार्टी में हालात ठीक नहीं होंगे. कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को लेकर G-23 गुट भी मुखर हो चूका है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चुनावी राज्यों में कांग्रेस के वर्तमान हालात वहां के नेताओं के साथ साथ प्रदेश की जनता की जनता के बीच उनकी पकड़ को कमजोर कर रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान को अब यह सोचना चाहिए कि आखिर इन सभी मुसीबतों का निपटारा किस तरह होगा. क्योंकि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा और कोई नहीं बचेगा.