Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र की सियासत में महाविकास अघाड़ी सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये एक बार फिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भाजपा के ढर्रे पर चलने का आरोप लगाते हुए शिवसेना ने कहा कि केंद्र सरकार यदि चाहती है कि संविधान बरकरार रहे तो राज्यपाल का पूरा वस्त्रहरण होने से पहले गृहमंत्रालय को उन्हें वापस बुला लेना चाहिए.
हाल ही में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी विमान के इस्तेमाल को लेकर सुर्खियों में आए थे. राज्यपाल सरकारी विमान से देहरादून जाने के लिए मुंबई एयरपोर्ट गए थे लेकिन सरकार ने उन्हें सरकारी विमान से देहरादून जाने की अनुमति नहीं दी जिसके बाद उन्हें प्राइवेट विमान से देहरादून जाना पड़ा. इस मामले में शिवसेना ने सफाई देते हुए कहा कि विपक्षी भाजपा इसे मुद्दा बना रही है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि महाराष्ट्र का राज्यपाल बनने के बाद से यह सामान्य व्यक्ति किसी-न-किसी कारण से चर्चा अथवा विवाद में रहा है. विवाद खड़े करना उनका स्वभाव नहीं है व राज्यपाल को तो समझदार लोगों जैसा बर्ताव करना चाहिए, ऐसी मान्यता होने के बाद भी महाराष्ट्र के राज्यपाल जाल में पांव फंसाकर बार-बार क्यों गिर रहे हैं, ये सवाल ही है.
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सामना में लिखा गया कि ताजा प्रकरण में श्रीमान राज्यपाल महोदय सरकारी विमान के इस्तेमाल को लेकर चर्चा में आ गए हैं.अब इस पूरे प्रकरण को लेकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी उठापटक करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही होगी तो विपक्ष पहली धार की मारकर हंगामा कर रहा है, ऐसा ही कहना होगा. राजभवन व सरकार के बीच अब इस मुद्दे पर विवाद चल रहा है. उसमें बीच में भाजपा ने मेरा चांद भाई कहकर बांग दी. सामना में ऐसा इसलिए लिखा गया क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे सरकार का अहंकार बताया और कहा कि राज्यपाल को विमान की सुविधा से मना किया यह सरकार का अहंकार है.
फडणवीस के बयान पर पलटवार करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि भाजपा नेताओं के मुंह में अहंकार की भाषा शोभा नहीं देती. फिलहाल अहंकार की राजनीति कौन कर रहा है यह पूरा देश जानता है. गाजीपुर की सीमा पर 200 किसानों के प्राण त्यागने के बाद भी सरकार कृषि कानून से पीछे हटने को तैयार नहीं है, अगर इसे अहंकार नहीं कहा जाए तो क्या?
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सामना में लिखा गया कि फडणवीस कहते हैं, ‘राज्यपाल को विमान नहीं दिया ये महाराष्ट्र के इतिहास का काला दिन है. सरकार ने राज्यपाल का अपमान किया.’ विपक्ष के नेता का ऐसा कहना थोड़ी ज्यादती है. उन्हें अपने संवैधानिक सलाहकारों से यह मुद्दा समझ लेना चाहिए. राज्यपाल को भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे पर नाचने को मजबूर किया जाता है और इसमें राज्यपाल का ही अधोपतन हो रहा है. राज्यपाल को राजनैतिक कठपुतली की तरह कोई नचाता होगा तो यह संविधान का अपमान है.
सामना में लिखा गया कि महाराष्ट्र सरकार ने किसी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई की तो भाजपा उस गुनहगार के पक्ष में कांव-कांव करती है और तुरंत ही राज्यपाल उस व्यक्ति को सम्माननीय अतिथि के रूप में चाय-पान के लिए बुलाते हैं. यह कौन-सी संवैधानिक संस्कृति के अंतर्गत आता है. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार होने के बाद भी राज्य सरकार इसे नजरअंदाज करे, इस पर हैरानी ही होती है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि राज्यपाल को सरकार के एजेंडे के अनुसार चलना होता है, विपक्ष के नहीं. इस नियम को महाराष्ट्र में पैरों तले रौंदा जाना इसे ही काला दिन मानना चाहिए. काला दिन मानकर निषेध व्यक्त किया जाए, ऐसी अनेक घटनाएं महाराष्ट्र में व देश में घटित होने के बावजूद महाराष्ट्र की भाजपा चुप बैठी रही. अभिनेत्री कंगना रनौत पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि भाजपा की अजीज अभिनेत्री ने मुंबई का अपमान किया फिर भी ये चुप रहे. उस अर्णब गोस्वामी ने राष्ट्रीय सुरक्षा की धज्जियां उड़ार्इं फिर भी ये उस देशद्रोही के पक्ष में खड़े रहे. भाजपा के अधोपतन का अंतिम अंक इस तरह से शुरू हुआ है और इस ड्रामे में उन्होंने राज्यपाल को खलनायक की भूमिका दी है.
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये केंद्र सरकार से राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग करते हुए कहा कि गृहमंत्रालय को भारतीय संविधान, नियम, कानून आदि से नफरत की परवाह होगी तो ऐसे राज्यपाल का पूरा वस्त्रहरण होने से पहले गृहमंत्रालय को उन्हें वापस बुला लेना चाहिए. राज्यपाल के कंधे पर बंदूक रखकर केंद्र की आघाड़ी सरकार पर निशाना नहीं साधा जा सकता है. सरकार स्थित व मजबूत है और रहेगी, राज्यपाल का क्या करना है, यह भाजपा की समस्या है!