महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासी हलचलों की लहर उफान मार रही है. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने फिर से एक बार मोदी सरकार के साथ आने की बात कही है. इसके बाद महागठबंधन में चिंता की लहर दौड़ गयी है. हालांकि इसके लिए उद्धव ठाकरे ने एक शर्त भी रखी है. अगर केंद्र सरकार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा करने के लिए संसद में कोई कानून पेश करती है तो मेरी पार्टी के सांसद इसका समर्थन करेंगे. इसी वजह है कि यह अधिकार राज्य सरकार के अधिकार सीमा से बाहर है.
पूर्व महाराष्ट्र सीएम ने इस संबंध में आगे कहा कि राज्य सरकार के पास आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा हटाने का अधिकार नहीं है. केंद्र सरकार ही संसद के जरिए आरक्षण को बढ़ा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा करने के लिए कोई कानून पेश किया जाता है तो मेरे सांसद इसका समर्थन करेंगे.
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शिवसेना (यूबीटी) सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. हाल में आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के बिहार सरकार के फैसले पर उच्च न्यायालय की रोक का उदाहरण रखते हुए उद्धव ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हर किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जाना चाहिए. प्रधानमंत्री को आरक्षण मुद्दे के समाधान पर फैसला करना चाहिए. इसके बाद जो भी फैसला होगा, हम उसे स्वीकार करेंगे.
उद्धव ठाकरे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार को भी घेरा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेताओं के साथ चर्चा करने के बजाय आपसी सहमति के माध्यम से समाधान खोजने के लिए विभिन्न वर्गों के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा काफी समय से चल रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को बढ़ाने से स्पष्ट इनकार कर दिया है. अब देखना ये होगा कि मोदी सरकार महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर कोई फैसला लेगी या फिर तटस्थ मोड पर कायम रहती है.