महाराष्ट्र (Maharastra) में जहां विपक्षी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन (Congress-NCP Alliance) ने 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तालमेल कर लिया है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) में सीटों को लेकर भारी खींचतान चल रही है. अब शिवसेना आरे कॉलोनी की जमीन पर मेट्रो 3 कारशेड निर्माण परियोजना का विरोध करने में जुटी है, जिसका फैसला देवेन्द्र फड़नवीस सरकार कर चुकी है. सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस परियोजना का हस्र भी नानार रिफाइनरी परियोजना की तरह होने वाला है.

महाराष्ट्र सरकार कुछ माह पूर्व नानार रिफाइनरी परियोजना रद्द करने की घोषणा कर चुकी है. रिफाइनरी का निर्माण सिंधुदुर्ग के नानार में प्रस्तावित था. सरकार ने इसके लिए क्षेत्र में 16 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहीत करने की अधिसूचना जारी कर दी थी. उस समय उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द कर दिया था. तब मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) ने कहा था कि उद्योग मंत्री को अधिसूचना रद्द करने का अधिकार नहीं हैं. सुभाष देसाई शिवसेना के कोटे से मंत्री बने हुए हैं.

आरे कालोनी में मेट्रो कारशेड परियोजना (Metro Carshed Project) को लेकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बयान को भाजपा ने निराशाजनक बताया है. ठाकरे का बयान ऐसे वक्त में आया है जब भाजपा और शिवसेना के बीच विधानससभा चुनाव में सीटों के तालमेल की बातचीत चल रही है. ठाकरे के बयान को उनकी भाजपा को दबाव में लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

महाराष्ट्र में भाजपा 155-157 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और शिवसेना के लिए 115-117 सीटें छोड़ना चाहती है. 18 सीटें अन्य सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ने का विचार है. यह उद्धव ठाकरे को मंजूर नहीं है. लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना ने आधी-आधी सीटें बांटना तय किया था. अब भाजपा ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. भाजपा का गणित शिवसेना की समझ में नहीं आ रहा है. राज्य की 20-25 सीटों को लेकर दोनों के बीच विवाद हो रहा है.

भाजपा नेताओं का कहा है कि उन्होंने 155-157 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करना तय कर लिया है. भाजपा के ज्यादा सीटें मांगने के कई महत्वपूर्ण कारण है, जिनमें प्रमुख यह है कि धारा 370 हटाने के फैसले के बाद भाजपा के पक्ष में जनभावना बनी हुई है. शिवसेना को यह बात समझनी चाहिए. मुख्यमंत्री फड़नवीस का कहना है कि आरे वन क्षेत्र में शामिल नहीं है और वहां मेट्रो भवन के निर्माण की परियोजना आगे बढ़ रही है. सरकार ने मेट्रो भवन बनाने का फैसला कर लिया है.

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दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन कांग्रेस-राकांपा के बीच सीटों को लेकर अब कोई विवाद नहीं है. दोनों पार्टियां 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. इनमें से 125 सीटों पर कांग्रेस और 125 सीटों पर राकांपा के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. बाकी 38 सीटों पर अन्य सहयोगी पार्टियों को समर्थन दिया जाएगा. सीटों के तालमेल के बाद NCP प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने सोमवार को यह घोषणा की.

पवार ने पत्रकारों को बताया कि दोनों पार्टियों के बीच कुछ सीटों पर अदला-बदली हो सकती है. नासिक, पुणे, नागपुर और औरंगाबाद में दोनों पार्टियों की संयुक्त रैलियां होंगी. कौन सी पार्टी किस सीट पर चुनाव लड़ेगी, इसका फैसला होना बाकी है. जो 38 सीटें खाली छोड़ी गई हैं, उन पर सहयोगी पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. इनमें स्वाभिमानी शेकतरी संघटना, बहुजन विकास आघाडी, पेज़ंट्स एंड वर्कर्स पार्टी शामिल हैं.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष विजय (बाला साहेब) थोरात ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल करने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से बातचीत चल रही है. उन्होंने दावा किया राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से तालमेल के मुद्दे पर कई बात नहीं हुई है. सूत्रों ने बताया कि पवार मनसे को गठबंधन में शामिल करना चाहते थे लेकिन कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं है. कांग्रेस का विचार है कि मनसे को स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना चाहिए, जिससे शिवसेना के वोट बंटेंगे.

पवार ने कहा कि तालमेल के मुद्दे पर उनकी राज ठाकरे से बात हुई थी. राज ठाकरे विधानसभा चुनाव का ही बायकाट करना चाहते हैं. उनका विचार हो कि अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी चुनाव का बायकाट कर देना चाहिए. पवार के मुताबिक यह संभव नहीं है, इसलिए उनसे आगे बातचीत करने का कोई मतलब नहीं है.

कांग्रेस और राकांपा में 1999 तक तालमेल था. बाद में दोनों पार्टियां अलग हो गई थी. 2014 का विधानसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा था. कांग्रेस ने 287 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से 42 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. राकांपा ने 278 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से 41 उम्मीदवार चुनाव जीत गए थे. इससे पहले 2009 में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 170 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से 82 उम्मीदवार जीत गए थे, जबकि राकांपा के 113 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 62 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. दोनों पार्टियों ने 2004 में पहली बार चुनावी तालमेल किया था. तब कांग्रेस को 157 में से 69 और राकांपा को 124 में से 71 सीटें मिली थीं.

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