Politalks.News/WestBengal/Farmers Protest. केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सी सीमाओं पर पिछले 84 दिनों से जारी किसान आंदोलन की आंच अब बंगाल चुनाव तक पहुंच रही है. आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि वे चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में भी सभाएं करेंगे. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अब हम पश्चिम बंगाल भी जाएंगे. वहीं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि वे जनता से ऐसे लोगों को वोट नहीं देने को कहेंगे जो किसानों की आजीविका छीन रहे हैं. चढूनी ने यह भी कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लोग हार जाते हैं तभी उनका आंदोलन सफल होगा. दूसरी तरफ बंगाल सहित अन्य राज्यों में किसान आंदोलन के साइड इफेक्ट से पार्टी को बचाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मेगा मंथन किया और पार्टी नेताओं को तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर काम करने के निर्देश दिए.
आपको बता दें, किसान नेताओं ने मंगलवार को गढ़ी सांपला में किसान महापंचायत से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि कि कई अन्य राज्यों की तरह वे जल्दी ही पश्चिम बंगाल का भी दौरा करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम पूरे देश का दौरा करेंगे और हम पश्चिम बंगाल भी जाएंगे. पश्चिम बंगाल में भी किसान समस्याओं का सामना कर रहे है, उन्हें अपनी फसलों के लिए अच्छी कीमतें नहीं मिल रही हैं, हम वहां भी एक किसान पंचायत आयोजित करेंगे.’
यह भी पढ़ें: पुडुचेरी में सियासी संकट के बीच अचानक हटाई गईं किरण बेदी का कार्यकारी जीवन रहा है प्रभावशाली
वहीं हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने महापंचायत को संबोधित करते हुए लोगों से अपील की कि वे पंचायत से संसद तक के चुनाव में ऐसे किसी व्यक्ति को वोट नहीं दें जो प्रदर्शनकारी किसानों की मदद नहीं करते हैं और उनके आंदोलन को समर्थन नहीं देते. इसके बाद किसान नेताओं के साथ पत्रकारों से बातचीत करते हुए चढूनी ने कहा, ‘जहां तक पश्चिम बंगाल का संबंध है, अगर भाजपा के लोग हार जाते हैं, तभी हमारा आंदोलन सफल होगा. बंगाल में भी लोग कृषि पर निर्भर हैं, हम वहां जाएंगे और किसानों से आग्रह करेंगे कि वे उन्हें वोट नहीं दें जो हमारी आजीविका छीन रहे हैं. चढूनी ने कहा कि सरकारें लोगों से ऊपर नहीं हैं, हमें तब तक लड़ना है जब तक हमें अपने अधिकार नहीं मिल जाते, भले ही इसका मतलब अंतिम सांस तक लड़ना हो.’
किसान नेताओं के बंगाल में किसान महापंचायत करने के एलान के बाद अब किसान आंदोलन का राजनीतिकरण होता नजर आ रहा है. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चे का बंगाल में कोई खास अस्तित्व नहीं है लेकिन आंदोलन का किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट वहां नहीं पड़े, इसके लिए बीजेपी के चाणक्य अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जमीन से जुड़े यूपी, हरियाणा राजस्थान और पंजाब के नेताओं संग मंगलवार देर शाम एक अहम बैठक की. जानकारों की मानें तो इस बैठक में अमित शाह ने तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर बीजेपी नेताओं को काम करने के निर्देश दिए.
यह भी पढ़ें: बंगाल चुनाव से पहले दीदी की जागी ममता, 5 रुपए में पेटभर भोजन वाली ‘मां थाली’ का लगाया मास्टरस्ट्रोक
क्या है अमित शाह का यह तीन सूत्रीय फॉर्मूला
अमित शाह ने बैठक में तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर काम करने के निर्देश देते हुए कहा कि पहला तो यह कि बीजेपी के सभी बड़े नेता खापों में जाएं. दूसरा यह कि कृषि कानूनों की सच्चाई जाट समाज को बतानी होगी और तीसरा यह कि लोगों को बताएं कि कम्युनिस्ट हमारी विचारधारा को खत्म करना चाहते हैं, आंदोलन का किसानों से कोई मतलब नहीं है. अमित शाह के इस तीन सूत्रीय फॉर्मले को ध्यान में रखते हुए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के नेताओं को अगले 3 से 4 दिनों में ठोस रणनीति बनाकर 20 दिनों के लिए जमीनी स्तर पर काम करने का आदेश दिया गया है. इसके साथ ही किसान बिल की बारीकियों को समझाते हुए बीजेपी एक बुकलेट भी तैयार करा रही है.
जानकारों की मानें तो बीजेपी द्वारा तैयार करवाई जा रही इस बुकलेट में किसान कानून को आसान शब्दों में समझाया जाएगा. आंदोलन पर बैठे ज्यादातर किसान जाट हैं, इसलिए जाट बाहुल्य इलाकों में बीजेपी नेता बुकलेट के साथ जाएंगे और लोगों से चर्चा करेंगे. इस रणनीति से बीजेपी का मकसद ये है कि आंदोलन को मिल रहे जनसमर्थन को जड़ से ही काट दिया जाए और जनाधार नहीं तो आंदोलन नहीं. ऐसे में जब यहां के जाट बाहुल्य राज्यों में ही आंदोलन निपट जाएगा तो फिर बंगाल चुनाव पर पड़ने वाले छोटे-मोटे प्रभाव से भी बीजेपी चिंतामुक्त हो जाएगी.