पॉलिटॉक्स न्यूज/यूपी. उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताहभर से चल रही प्रवासी मजदूरों के लिए ‘बस सियासत‘ पर अब बगावती रंग चढ़ता दिख रहा है. कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी अपनी ही पार्टी के साथ प्रियंका गांधी पर भी निशाना साधा है और सस्ती लोकप्रियता की राजनीति करने का आरोप लगाया है. फेसबुक पर पोस्ट करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि बसों की सूची में फर्जीवाड़ा करके पार्टी का मजाक बना है. कांग्रेस नेता ने पार्टी से सवाल भी किया कि अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई? बता दें, रायबरेली से कांग्रेसी विधायक अदिति सिंह ने भी बुधवार को कांग्रेस पर बसों को लेकर सियायत करने का आरोप लगाया था जिसके बाद उन्हें अनुशासनहीनता के चलते नोटिस भेजा गया था.
‘हमें तो अपनों से लूटा, गैरों में कहां दम था.. हमारी तो कश्ती भी वहीं ढूबी, जहां पानी कम था’ यूपी की सियासत में कांग्रेस के लिए अब यही कहावत सिद्ध होते दिख रही है. प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसें मौहैया कराने का दांव अब प्रियंका गांधी पर ही उलटा पड़ता दिख रहा है और इसके जिम्मेदारी खुद कांग्रेस ही है. बुधवार को कांग्रेसी विधायक अदिति सिंह ने प्रियंका के बसें भेजने को निम्न स्तर की सियासत कहते हुए हमला बोल दिया. इतना ही नहीं, अदिति ने सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी की.
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आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी पर धावा बोलते हुए सस्ती लोकप्रियता की राजनीति करने का आरोप जड़ दिया. अपने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए त्रिपाठी ने कहा, ‘देश भयानक संकट से गुजर रहा है और कांग्रेस नेतृत्व राजनीति में सस्ती लोकप्रियता के लिए खिलवाड़ कर रहा है. गंभीरता को ताक पर रखकर केवल प्रचार के लिए बसों का फर्जीवाड़ा करके जनता के बीच मजाक का पात्र बन गया है.’ सत्यदेव त्रिपाठी कुछ वर्ष पहले तक कांग्रेस के मीडिया सेल की जिम्मेदारी भी संभालते थे.
बात दें, लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर यूपी के बॉर्डर पर फंसे हैं. इन मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिये कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 1000 बसें चलाने का प्रस्ताव योगी सरकार को भेजा था. योगी सरकार ने इसे मंजूरी दी और बसों की पूरी सूची मांगी. इस सूची के आधार पर योगी सरकार की तरफ से कहा गया कि लिस्ट में शामिल बसों के नंबर टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर के भी हैं और कई बसें खराब हालत में हैं.
इसके बाद प्रियंका ने नई बसों की बात कहकर करीब 1049 बसों को आगरा बॉर्डर और गाजियाबाद बॉर्डर पर खड़ा कर दिया लेकिन यूपी प्रशासन और पुलिस के एंट्री न देने के चलते 24 घंटों बाद बसों को वापिस बुला लिया गया. इसके बाद लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में आगरा में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को हिरासत में ले लिया गया. साथ ही लखनऊ और नोएडा में प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के दूसरे नेताओं पर एफआईआर दर्ज की गई है.
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योगी सरकार के प्रियंका की बसों पर ब्रेक लगाने के बाद अब इस मुद्दे पर सियासत और तेज हो गई है. मजदूरों के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस 50 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सोशल मीडिया पर बड़ा अभियान शुरू करने जा रही है. कोरोना संकट के बीच पहली बार कोई विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया के द्वारा किया जा रहा है. कार्यकर्ता फेसबुक लाइव के माध्यम से श्रमिकों की आवाज उठाएंगे और राज्य दमन का विरोध करेंगे.
इस कैंपेनिंग पर राज्य के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के दावे का खुलासा हो गया है. साथ ही कांग्रेस को टि्वटर की राजनीति करने वाला बताया. बीजेपी नेता ने कहा कि यूपी जैसी व्यवस्था देश में कहीं देखने को नहीं मिली. हम स्क्रीनिंग के साथ स्किलिंग भी करा रहे हैं ताकि लोगों को रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का काम लोगों को गुमराह करना और काम में बाधा डालना है. राजस्थान और महाराष्ट्र की हालत बदतर है. जहां कांग्रेस की सरकार है वहां हालात कुछ ऐसे हैं कि भोजन, चेकअप जैसी व्यवस्था भी नहीं हो पा रही हैं. कांग्रेस का पुराना आलाप यही है. 60 साल से ज्यादा शासन कर कांग्रेस ने सिर्फ बेरोजगारी दी है.
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उप मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश की इसलिए कांग्रेस को इस आपराधिक कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस के पास धरातल पर कुछ नहीं है. ये टि्वटर की राजनीति करने वाले लोग हैं. उन्होंने कांग्रेस शासित प्रदेशों को भी अपने कृत्य के अनुसार माफी मांगने की बात कही.
इधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी सरकार और कांग्रेस दोनों को ही निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया है कि कहीं ये पार्टियां आपसी मिली-भगत कर मुख्य त्रासदी से ध्यान तो नहीं बांट रही हैं. मायावती ने कांग्रेस को सलाह लेते हुए कहा कि यदि कांग्रेस को श्रमिक प्रवासियों को बसों से ही उनके घर वापसी में मदद करनी है अर्थात ट्रेनों से नहीं करनी है तो फिर इनको अपनी ये सभी बसें कांग्रेस-शासित राज्यों में श्रमिकों की मदद में लगा देनी चाहिये तो यह बेहतर होगा. मायावती बोलीं कि हमारी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस की तरह मदद की आड़ में कोई घिनौनी राजनीति नहीं कर रही है.