‘किड़नी के बदले राजनीति करियर..’ रोहिणी आचार्य का बयान कहीं पर निगाहें कहीं पर इशारा

लालू की पारिवारिक कलह अब देश के राजनीतिक नक्शे पर, तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ा रहे रोहिणी के तीखे कटाक्ष, बोली 'हिम्मत है तो सामने आए..'

rohini acharya vs tejashwi yadav
rohini acharya vs tejashwi yadav

बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन तो हाशिए पर है ही, लालू का परिवार भी पारिवारिक कलह से निजात नहीं पा रहा है. वजह है लालू की सुपुत्री रोहिणी, जो न केवल अपने उपर हुए अत्याचार को सार्वजनिक तौर पर बयां कर रही है, साथ ही परिवार पर इशारों इशारों में वार भी कर रही है. यहां तक की उन्होंने अपने पिता को किड़नी दान करने की बात पर भी परिवार पर तीखा कटाक्ष किया. माना जा रहा है कि यह वार तेजस्वी यादव के लिए किया गया है.

रोहिणी आचार्य ने अपने सोशल हैंडल पर ये कहते हुए सनसनी मचा कि हिम्मत है तो आइए और मीडिया के सामने बात कीजिए. रोहिणी पहले ही अपने परिवार के सदस्यों पर अत्याचार करने के आरोप जड़ चुकी हैं. इस बार उन्होंने इससे भी उपर उठकर कहा, ‘आइए आप लालू के नाम पर किड़नी दान कीजिए..एक बोतल खून देने की हिम्मत नहीं है और आए हैं यहां बकवास करने के लिए..’ रोहिणी ने ये भी कहा कि हम आपको मीडिया के सामने बात करने के लिए खींच कर लाएंगे..अगर हिम्मत है तो आइए.’ रोहिणी ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए तेजस्वी यादव और उनके करीबियों को आरोपों के कटघरे में खड़ किया है.

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रोहिणी के आरोपों के बीच अब सवाल उठ रहे हैं कि परिवार में कलह की असल वजह क्या है. बता दें कि पिछले साल लालू को किड़नी की आवश्यकता थी. तब रोहिणी ने आगे बढ़कर पिता के लिए यह काम किया. बताया ये भी जा रहा है कि किड़नी के बदले रोहिणी के राजनीतिक करियर को सेट करने की शर्त रखी गयी थी. हालांकि ये महज एक अफवाह लगती है. चुनाव हारने के बाद रोहिणी ने अचानक से राजनीति से संन्यास की घोषणा करने हुए तेजस्वी और उनके दो क​रीबियों पर गंभीर आरोप जड़ दिए, जो लालू परिवार को देश की राजनीति के नक्शे पर ले आया.

इससे पहले लालू के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप यादव परिवार के टूटने की असल वजह बने थे. पिछले चुनाव से पूर्व उनकी पत्नी ऐश्वर्या ने तेज प्रताप और परिवार पर मारपीट सहित कई आरोप जड़े थे. इस चुनाव से ऐन वक्त पहले तेज प्रताप का नाम दो अन्य लड़कियों के साथ जुड़ा और उनकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई थी, जिसके चलते लालू ने उन्हें परिवार और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. परिवार से नाराज होकर तेज प्रताप ने खुद की पार्टी बनाई और राजद के खिलाफ चुनाव लड़ा. हालांकि तेज प्रताप को हार का सामना करना पड़ा लेकिन राजद को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचाने का काम तो किया ही है.

अब देखना है कि बिहार विस चुनाव परिणामों से आहत राजद परिवार की कलह से किस तरह से निजात पा पाती है. वैसे निकट भविष्य में इसकी संभावना क्षुण्य नजर आ रही है.

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