राजस्थान विधानसभा उपचुनाव (Rajasthan Assembly By-Election-2019) में BJP ने खींवसर सीट हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के लिए छोड़ने का एलान कर दिया है. तो वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का धन्यवाद देते हुए भरोसा दिलाया कि मंडावा में BJP को 40 से 50 हजार वोटों जीत दिलाएंगे. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि गहलोत अपने बेटे का वैभव बचाने के लिए RCA का अध्यक्ष बनाने में जुटे हैं.

राजस्थान में खींवसर व मंडावा सीट पर विधानसभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है. यहां 21 अक्टूबर को मतदान होगा, वहीं 24 अक्टूबर को नतीजें घोषित किए जाएंगे. दोनों सीटों पर बीजपी-आरलपी गठबंधन को लेकर बीजेपी मुख्यालय में हनुमान बेनीवाल और बीजेपी के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने गुरुवार शाम एक संयुक्त प्रेस वार्ता की. प्रेस वार्ता में आरएलपी के मुखिया बेनीवाल और पूनिया ने साझा तौर पर तय किया कि खींवसर विधानसभा सीट आरएलपी और मंडावा सीट बीजेपी के लिए छोड़ी जाएगी.

प्रेस को संबोधित करते हुए हनुमान बेनीवाल ने खींवसर सीट RLP के लिए छोड़ने पर बीजेपी और सतीश पूनिया का आभार जताते हुए कहा कि हम राजस्थान में कांग्रेस मुक्त प्रदेश चाहते हैं. बेनीवाल ने खींवसर और मंडावा दोनों सीटों पर जीत का दावा किया. गठबंधन पर बोलते हुए बेनीवाल ने कहा कि हमारा गठबंधन नहीं, बल्कि हमारा तो पूरा ही बंधन है. उन्होंने ये भी कहा कि आरएलपी मंडावा में पूरी ताकत से बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोट मांगेगी.

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बेनीवाल ने राजस्थान की गहलोत सरकार पर राजनीतिक भ्रष्टाचार के आरोप भी जड़े. उन्होंने कहा कि बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय करना ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है. साथ ही उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था के बिगड़ने का आरोप भी गहलोत सरकार पर मढ़ा. बेनीवाल कहा कि अशोक गहलोत अपने बेटे की बेरोजगारी को मिटाने के लिए RCA का अध्यक्ष बनाने में लगे हुए है. ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में अधिकारी सरकार चला रहे है, अशोक गहलोत तो सिर्फ सीएम है जबकि देवाराम सैनी सुपर सीएम हैं.

वहीं केंद्र में मंत्री नहीं बनाए जाने के सवाल पर बेनीवाल ने कहा कि मंत्री बनने के लिए एनडीए से गठबंधन नहीं किया था, गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था. बेनीवाल ने अपनी कट्टर दुश्मन वसुंधरा राजे का नाम लिये बिना कहा कि विशिष्ठ परिस्थतियों में ही मैंने बीजेपी का साथ छोड़ा था. इस दौरान नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने एकजुटता और एकमुखी रणनीति के साथ उप चुनाव लड़ने की बात कही.

वहीं प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बीजेपी ने लोकसभा में पर्याप्त बहुमत हासिल किया है लेकिन फिर भी बीजेपी गठबंधन के सभी सहयोगियों को पूरा सम्मान देती है. आरएलपी का एनडीए का घटक दल के रूप में पुराना नाता है इसलिए खींवसर में भी इस गठजोड़ को बरकरार रखा गया है. कटारिया ने कहा कि बीजेपी के लिए खींवसर और मंडावा का उपचुनाव जीतने में कोई कठिनाई नहीं है. बीजेपी और आरएलपी की गाड़ी दोनों सीटों पर तेज रफ्तार से दौड़ेगी.

गौरतलब है कि जाट लैंड (Jat Land) खींवसर हनुमान बेनीवाल का गढ़ मानी जाती है जहां से बेनीवाल खुद जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. उनके लोकसभा पहुंचने की वजह से ये सीट खाली हुई है. वहीं मंडावा बीजेपी के नरेंद्र खींचड के लोकसभा पहुंचने से रिक्त हुई. बेनीवाल नागौर और खींचड़ झुंझनूं सीट से जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे हैं.

खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल को टिकट मिलने की संभावना प्रबल है. एनडीए गठबंधन के चलते बीजेपी यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. इधर कांग्रेस में पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा, कुचेरा नगरपालिका चैयरमेन तेजपाल मिर्धा एवं पूर्व चैयरमेन महेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा और रिटायर्ड आईपीएस सवाई सिंह चौधरी को टिकट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. हालांकि पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा टिकट की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं.

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वहीं मंडावा सीट पर बीजेपी के नरेंद्र खींचड (Narendra Khichar) ने लगातार दो बार जीत दर्ज की. 2019 के आम चुनावों में झुंझुनू से सांसद चुनकर खींचड लोकसभा पहुंच गए. गठबंधन के चलते आरएलपी यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. ऐसे में बीजेपी का उम्मीदवार उतरना तय है जिसे आरएलपी पार्टी का भी समर्थन मिलेगा. कांग्रेस में मंडावा के लिए दावेदारों की फेहरिस्त लम्बी है. दावेदारों में पूर्व विधायक रीटा चौधरी, पूर्व पीसीसी चीफ डॉ.चंद्रभान, प्यारेलाल डूकिया, सुशीला सीगड़ा, राजेंद्र चौधरी और शाबीर अली प्रमुख हैं. उपचुनाव के टिकट की दौड़ में रीटा चौधरी का नाम सामने आ रहा है.

गौरतलब है कि प्रदेश में होने वाले निकाय और पंचायत चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के लिए ही खींवसर और मंडावा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है. इन उपचुनाव में जीतने वाली पार्टी को उसके बाद होने वाले निकाय व पंचायत चुनावों में इसका फायदा मिलना तय है. हालांकि प्रदेश में अपनी सरकार होने का फायदा कांग्रेस को जरूर मिल सकता है.

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