Shekhawat’s big attack on CM Gehlot: चुनावी वर्ष हो और सियासी शब्दबाणो का प्रहार ना हो राजनीति में ऐसा संभव नहीं है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अब महज 7 महीने का समय शेष है. ऐसे में नेताओं की आपसी बयानबाजी का दौर अपने चरम पर है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीते दिन चित्तौड़ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का रावण बताया तो शेखावत के इस बयान पर पलटवार करते हुए सीएम गहलोत ने मैं शेखावत को राम मानने तैयार हूं, वो राम बनके दिखाए, संजीवनी घोटाला पीड़ितों के पैसे वापस लौटाए. सीएम गहलोत के इस बयान के बाद मंत्री शेखावत ने आज फिर से सीकर में सीएम गहलोत पर दिए अपने बयान को दोहराते हुए उन्हें राजनीति का रावण बताया.
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान की राजनीति में महिला अत्याचार, माफियाराज, भ्रष्टाचार आदि का एक रावण है, इस रावण को इस बार जनता को प्रदेश से हटाना है. राज्य सरकार के राहत शिविरों पर तंज कसते हुए शेखावत ने कहा कि इन शिविरों में गरीबों को लाइन में लगाकर सरकार उन्हें गरीब होने का अहसास कराकर रही है.
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सीकर में आज जनआक्रोश महाघेराव सभा में अपने संबोधन के दौरान मंत्री शेखावत ने कहा कि जिस प्रकार त्रेता युग में एक रावण था, उसी प्रकार इस सरकार में भी राजनीति का रावण है. उस रावण के दस सिर थे, इस रावण के भी तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार, दलित उत्पीडऩ, नारी अत्याचार, बेरोजगारी, माफियाराज, कलाबाजारी, वादा-खिलाफी, शिक्षा से खिलवाड़, गौहत्यारा और पेपर लीक सरकार नाम के दस सिर हैं. दस सिर वाले इस रावण को राज्य से हमेशा के लिए हटाना है.
मंत्री शेखावत ने कहा कि गहलोत सरकार राहत शिविर लगा रही है, लेकिन वास्तव में उन्हें गरीबों को राहत नहीं देनी, बल्कि खुद को भगवान दिखाना है. गरीब को इस बात का अहसास कराना है कि तुम भिखारी की तरह हमारे सामने खड़े रहो. गरीब को भिखारी बनाने का पाप यह गहलोत सरकार कर रही है. इसलिए गरीबों को लाइन में खड़ा करवा दिया, अन्यथा इनके पास सारे डाटा पहले से ही मौजूद है. एक बटन दबाकर गरीबों को सीधे सहायता पहुंचाई जा सकती थी.
किसानों, युवाओं के साथ किया धोखा
मंत्री शेखावत ने कहा कि यह सरकार किसानों को धोखा देकर, युवाओं को धोखा देकर और महिलाओं को झूठा वादाकर सत्ता में आई थी. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार के समय राजस्थान सबसे तेज बढ़ते राज्यों में शामिल था, लेकिन अब यहांं माफियाराज पनप रहा है. प्रगति के हर पैमाने पर पिछड़ता हुआ यह राज्य वापस बीमारू राज्य बनने की कगार पर खड़ा हुआ है. गहलोत सरकार ने न किसानों के कर्जे माफ किए और न ही युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया.
राजस्थान को बनाया रेप की कैपिटल
मंत्री शेखावत ने कहा कि जो प्रदेश नारी सम्मान और गौरव के लिए जाना जाता था, उसे इस सरकार ने रेप की कैपिटल बना दिया. ऊपर से सीएम गहलोत प्रदेश को शर्मसार करने वाले बयान देते हैं. राजस्थान की धरती पर मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि जितने राजस्थान में रेप होते हैं, अधिकांशत: परिवार वाले ही करते हैं. इसी प्रकार विधानसभा में इस सरकार के सबसे बड़े मंत्री ने कहा- राजस्थान मर्दों का प्रदेश है, इसलिए बलात्कार ज्यादा होते हैं. जिन लोगों ने प्रदेश को बदनाम करने का काम किया. दुर्भाग्य है कि वे आज भी कैबिनेट में बने हुए हैं. इसके खिलाफ आपमें आक्रोश है. इस आक्रोश की कथा को सरकार को सुनाने के लिए आपके बीच मैं यहां मौजूद हूं.
मोदीजी ने बाजरा खरीद के दाम बढ़ाए
मंत्री शेखावत ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के भले के लिए एमएसपी के भाव बढ़ाए. पीएम मोदी ने बाजरा और रागी को श्रीअन्न के रूप में पूरे विश्व में प्रचारित किया, इनकी डिमांड बढ़ी है. इसके पहले किसान 1200 रुपए में बाजरा बेचने पर मजबूर होता था. केन्द्र सरकार ने सरकारी खरीद के दाम बढ़ाए, लेकिन राज्य सरकार ने बाजरा, लहसुन आदि खरीदने के लिए चिट्ठी नहीं भेजी. किसानों को खोखला करने का काम करने वाले आज किसान हितैषी बन रहे हैं.
गहलोत सरकार है तुष्टीकरण की सरकार
मंत्री शेखावत ने आगे कहा कि राजस्थान की सरकार ने तुष्टीकरण का काम किया है. एक तरफ पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में राम मंदिर बन रहा है तो दूसरी ओर यह सरकार तुष्टीकरण में लगी हुई है. रामजी के दरबार को बुलडोजर से ढहाती है. शिवलिंग को जेसीबी से तोड़ती है. करौली में दंगे हुए, जांच से लेकर बेल तक में तुष्टीकरण किया. नतीजा भीलवाड़ा में दंगा हुआ, जोधपुर में दंगा हुआ. उर्दू को आगे बढ़ाने का काम किया. कन्हैयालाल की फरियाद पुलिस ने नहीं सुनी, उसका सरेआम सर तन से जुदा कर दिया गया.
केन्द्र की योजनाओं का नाम बदलकर चला रही सरकार
मंत्री शेखावत ने कहा कि यह सरकार केन्द्र की योजनाओं के नाम बदल कर काम चला रही है. केन्द्र ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की, इन्होंने चिरंजीवी योजना चलाई. इसमें दस लाख रुपए तक की सहायता देने की घोषणा की गई थी. उसमें से केवल 75 लोगों को पांच से दस लाख की सहायत मिली है. इसी प्रकार स्वास्थ्य के अधिकार का कानून लेकर आए. इस दौरान पूरी चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई