Politalks.News/Punjab. पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhansabha Chunav) से पहले कांग्रेस (Congress) की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंध सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amrinder singh) के बीच सियासी कलह अभी-अभी शांत हुई है. लेकिन पंजाब की सियासत में गर्माहट पैदा करने वाला एक और बड़ा मुद्दा सामने आ रहा है. एक बार फिर कांग्रेस ‘प्रधान’ नवजोत सिंह सिद्धू अपनों के ही निशाने पर आ गए हैं. चन्नी सरकार में टेक्निकल एजुकेशन मंत्री राणा गुरजीत (Rana Gurjeet Singh) ने नवजोत सिद्धू पर सीधा हमला बोल दिया है. राणा ने सिद्धू को भाड़े का नेता करार दिया है और साथ ही ये कहा कि ‘नवजोत सिंह सिद्धू तो कांग्रेस पार्टी में सिर्फ CM बनने के लिए आएं हैं.’
कांग्रेस नेता का यह बयान उस वक़्त आया है जब आगामी कुछ ही महीनों में पंजाब के साथ साथ 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच यह तल्खी तब शुरू हुई, जब सिद्धू ने सुल्तानपुर लोधी में मंत्री राणा पर इशारों-इशारों में निशाना साधा था. इतना ही नहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री राणा के विरोधी कांग्रेस MLA नवतेज चीमा की मंच से तारीफ भी की थी और सिद्धू ने चीमा की पीठ भी थपथापई थी. अब इसे लेकर मंत्री राणा गुरजीत सिद्धू के खिलाफ हमलावर हैं. दरअसल राणा सुल्तानपुर लोधी से चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं.
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राणा गुरजीत सिंह ने सिद्धू पर निशाना साधते हुए मीडिया से कहा कि, ‘नवजोत सिंह सिद्धू को एक सच्चे कांग्रेसी के बारे में जुबान संभालकर बात करनी चाहिए. मैं तो जन्म से कांग्रेसी हूं, मैंने कोई सिद्धू की तरह पार्टियां नहीं बदली है. सिद्धू केवल और केवल मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस में आये हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिर्फ एक राजनीतिक अवसरवादी पूरी जिंदगी पार्टी की सेवा में लगाने वालों पर आरोप लगा रहा है. सिद्धू तो एक भाड़े के नेता हैं वो कांग्रेस में रहेंगे या नहीं यह भी पक्का नहीं है’.
राणा गुरजीत सिंह ने आगे कहा कि, ‘सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की बढ़ती लोकप्रियता से जलते हैं. सिद्धू चन्नी के सामने खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसी वजह से वह समय समय पर सीएम चन्नी की अगुवाई वाली सरकार पर ही सवाल उठा रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू लगातार पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं’. मंत्री राणा ने आगे कहा कि, ‘पार्टी प्रधान के तौर पर सिद्धू की जिम्मेदारी सबको एकजुट रखना है, लेकिन उन्होंने तो ऐसे कुछ भी नहीं किया. इसकी जगह सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान की बनाई कैंपेन, मेनिफेस्टो और स्क्रीनिंग कमेटी में भी फूट डालने की पूरी कोशिश की.’
आपको बता दें कि नई सरकार के गठन के वक़्त सिद्धू खेमा ये बिलकुल नहीं चाहता था कि राणा गुरजीत सिंह को मंत्री पद मिले. सिद्धू खेमे के कई कांग्रेस नेताओं ने दोआबा में राणा के बढ़ते दबदबे को देखते हुए विधायकों और सीनियर नेताओं ने आलाकमान को एक पत्र भी लिखा था. जिसे लेकर सिद्धू चंडीगढ़ भी आए और कांग्रेस ऑब्जर्वरों और इंचार्ज से मुलाकात भी की लेकिन उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी और विरोध के बावजूद भी राणा मंत्री बन गए.